आखिर क्यों संजय लीला भंसाली की ज्यादातर फिल्मों में नजर आता है रेड लाइट एरिया

बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म में क्यों वैश्यों और रेड लाइट एरिया का सीन होता हैं इसके बारे में खुद उन्होने एक इंटरव्यू के दौरान बताया है।

red light area scene in sanjay leela bhansali films

बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली जिनकी फिल्म के सेट से अंदाजा लगाया जाता है कि उनकी फिल्म कितनी बड़ी हिट होगी। दरअसल, संजय लीला भंसाली के सभी फिल्मों के सेट बेहद ही खूबसूरत होते हैं साथ ही वो हर फिल्म के सीन को बेहद खूबसूरती से परदे पर दिखाते हैं। वहीं इन सबके बीच डायरेक्टर के फिल्मों में रेड लाइट एरिया वाला सीन जरुर होता हैं और इस सीन को डायरेक्टर बेहद ही खूबसूरती से पेश करते हैं। वहीं इस आर्टिकल में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के ज्यादातर फिल्मों में रेड लाइट एरिया औरवैश्यों का सीन होता है।

इन फिल्मों में था वैश्यों का सीन

दरअसल, संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास, बाजीराव मस्तानी, गंगूबाई काठियावाड़ी साथ ही हाल में रिलीज़ हुई हीरामंडी में रेड लाइट एरिया वाला सीन दिखाया होगा और इसमें कई साड़ी वैश्यों भी नजर आई है।

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फिल्म देवदास में एक वैश्य की ज़िन्दगी से जुड़े कई चीजों को बंसाली ने परदे पर पेश किया। इस फिल्म वैश्य का किरदार माधुरी दीक्षित ने निभाया था और ये किरदार सभी लोगों को पसंद आया। वहीं फिल्म बाजीराव मस्तानी में भी एक कोठे का सीन नजर आया था। वहीं गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म में भी वैश्यों के लड़ाई को दिखाया गया था।

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भंसाली का प्रोजेक्ट हीरामंडी- द डायमंड बाजार में भी वैश्याओं के किरदार दिखाया गया है और ये वेब सीरीज लाहौर के हीरामंडी इलाके पर बेस्ड है। वहीं भंसाली की ज्यादातर फिल्मों में रेड लाइट एरिया और वैश्यों का सीन क्यों ज्यादा नजर आता है इस बात का खुलासा खुद संजय लीला भंसाली ने किया है।

इस वजह से हर फिल्म में होता है वैश्यों का सीन

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भंसाली ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि वह मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा की पास में एक चॉल थी और इस चॉल में वो पले-बढ़े हैं। वहीं इस चॉल में रहने के दौरान उन्होने वैश्यों के जीवन को काफी करीब से देखा है।

भंसाली ने ये भी बताया कि कैसे थोड़े से पैसे के लिए वैश्य खुद को बेच देती थी और ये बचपन में उनके सामने हुआ और सभी चीजें उनके दिमाग में बस गयी हैं। वहीं उन्होंने आगे कहा कि स्कूल जाने के दौरान इन वैश्यों के चेहरे पर उन्हें कई सारे दुःख नजर आते थे जो वो मेकअप की मदद से छुपा लेती थी और इन सभी चीजों से वो काफी प्रभावित हुए थे।

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Image Credit : Social media

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