संजय लीला भंसाली पहली बार खासतौर पर ओटीटी के लिए एक सीरीज बना रहे हैं और इसे नाम दिया गया है 'हीरा मंडी'। जब से इसका अनाउंसमेंट हुआ है तब से ही इसे लोगों की उत्सुकता बढ़ गई है। इस सीरीज में मनीषा कोइराला, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, सोनाक्षी सिन्हा, शर्मिन सहगल और संजीदा शेख मौजूद हैं।
इस सीरीज का सेट वहीं बन रहा है जहां पर 'गंगूबाई काठियावाड़ी' का सेट बना था। इसमें रेड लाइट एरिया की कहानी बताई जाएगी और संजय लीला भंसाली का ये प्रोजेक्ट अपने आप में कुछ अलग है। पर क्या आपको पता है कि असली हीरा मंडी कहां है और किस तरह से इसकी कहानी बताई जा रही है। आज हम आपको उसी हीरा मंडी की कहानी बताने जा रहे हैं जो आज़ादी से पहले से ही खास रही है।
कहां मौजूद है हीरा मंडी?
असली हीरा मंडी लाहौर पाकिस्तान में मौजूद है। 17वीं सदी के राजा रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह ने यहां अनाज मार्केट बनाया था। हालांकि, कुछ साक्ष्य मिलते हैं कि ये मुगल काल से मौजूद थी और यहां 15वीं और 17वीं सदी के दौरान मुगलों के मनोरंजन के लिए तवायफों को रखा जाता था।
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इस जगह को शाही मोहल्ला भी कहा जाता है। इसका नाम शाही मोहल्ला इसलिए भी रखा गया था क्योंकि ये लाहौर के किले के बहुत पास था। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स मानती हैं कि अनाज मार्केट बनने से पहले भी इस जगह तवायफों को बसाया जा चुका था और इसे लेकर अलग-अलग तरह की बातें होती हैं।
क्या है हीरा मंडी का ऐतिहासिक कनेक्शन?
ये मार्केट लाहौर के किले के बहुत करीब मौजूद है। 15वीं और 16वीं सदी में यहां मुगलों द्वारा अफगानिस्तान और ईरान से महिलाओं को लाया गया था जो मनोरंजन के लिए नृत्य और संगीत का सहारा लेती थीं। इसके बाद भारतीय महाद्वीप के कई हिस्सों से महिलाएं यहां आकर बसने लगीं और वहां कत्थक जैसे क्लासिकल डांस होने लगे।
हीरा मंडी कब और कैसे बना तवायफों का बाजार?
मुगलिया सल्तनत की खूबी ये थी कि उस दौरान तवायफों की बदनामी नहीं होती थी बल्कि उनकी कला को सराहा जाता था। हीरा मंडी का नाम पहली बार अहमद शाह अब्दाली के दौर में देह व्यापार से जुड़ा था। उसकी फौज ने पूरे महाद्वीप पर कब्जा करने के लिए जगह-जगह हाहाकार मचाया था और उसके बाद वहां से कई औरतों को कब्जे में कर इस जगह के आस-पास बसाना शुरू किया था। उस दौर में कई कोठे खोले गए थे।
इसके बाद आया ब्रिटिश राज जहां हीरा मंडी की स्थिति को और भी मजबूत किया गया। बाजार के अंदर कई महिलाएं और ट्रांसजेंडर स्थानीय लोकनृत्य करते और लोगों को बुलाते। ब्रिटिश राज से लेकर अभी तक ये जगह लाहौर में देह व्यापार के लिए प्रसिद्ध रही है। पाकिस्तानी ट्रांसजेंडर कम्युनिटी से जुड़े कई लोग यहां नृत्य करते रहे हैं।
ब्रिटिश राज में अनारकली बाजार में कोठे खोले गए थे ताकि ब्रिटिश सिपाहियों का मनोरंजन हो सके और उसके बाद इसे लोहारी गेट शिफ्ट किया गया और आखिरकार टकसाली गेट जिसे हीरा मंडी भी कहा जाता है। 1947 में बंटवारे के बाद कई सरकारों ने इसे बनाने की कोशिश की, लेकिन इस जगह को उस तरह से बढ़ाया नहीं जा सका जैसा कि मुगल काम में होता था।
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अब कैसा है हीरा मंडी का हाल?
हीरा मंडी मौजूदा समय में बिल्कुल वैसी ही लगती है जैसी दिल्ली की जीबी रोड। यहां दिन के समय साधारण बाजार लगता है और यहां खाने-पीने की कई सारी चीजें मिलती हैं। यहां खुस्सा बहुत फेमस है जो एक तरह का फुटवियर होता है जिसे मुगल काल में पहना जाता था। यहां म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट की दुकानें मिल जाएंगी। रात में यहां दुकानें बंद हो जाती हैं और दुकानों के ऊपर मौजूद कोठे खुल जाते हैं। हालांकि, अब इसे बदनाम गलियों में गिना जाता है।
इस जगह को मोहम्मद जिया उल हक के समय में काफी नुकसान पहुंचाया गया था, लेकिन अब मौजूदा समय में एक बार फिर से ये जगह देह व्यापार के लिए पनपने लगी है। इस जगह पर अभी भी अफगानिस्तान से आई हुई रिफ्यूजी महिलाएं रहती हैं और अब ये जगह काफी फेमस होती जा रही है।
हीरा मंडी के बारे में ये बातें क्या आपको पता थीं? ऐसी ही कौन सी जगहों के बारे में आप जानना चाहती हैं इसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर ये स्टोरी आपको अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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