साल 1988 में आई फिल्म तेजाब जिसके बाद बॉलीवुड इंडस्ट्री में माधुरी दीक्षित को एक नई पहचान मिली और वह बॉलीवुड की मशहूर अदाकाराओं की लिस्ट में शामिल हुईं। तेजाब फिल्म की स्टोरी और डायलॉग से ज्यादा फिल्म का एक गाना एक दो तीन मशहूर हुआ। यह गाना उस दौर का सुपरहिट सॉन्ग था, जिसकी मदद से मेकर्स ने खूब कमाई की थी। एक दो तीन गाना उस दौर में ही नहीं आज के दशक की भी सुपरहिट सॉन्ग है, तभी तो सालों बाद बाघी 2 में इस गाने को आइटम सॉन्ग के रूप में फिल्माया गया। बता दें कि एक दो तीन गाने के पीछे कई दिलचस्प बातें छुपी है, यदि आप भी फिल्मों और गाने के पीछे की स्टोरी जानने में रुचि रखते हैं, तो आज हम आपको एक दो तीन गाना कैसे बना इसके बारे में बताएंगे।
एक दो तीन गाने के बारे में
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की म्यूजिक डायरेक्शन में बनी और लेखक जावेद अख्तर द्वारा लिखी गई गीत एक दो तीन 1988 की सबसे हीट गीत में से एक थी। इस गाने को लिखने से पहले लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने म्यूजिक बनाया और जावेद अख्तर के सामने एक दो तीन गुनगुनाया। जावेद साहाब गाना लिखने के लिए लगातार एक दो तीन गुनगुनाते रहे। गिनती गुनगुनाते हुए उन्होंने पूरा एक से लेकर तेरह तक गुनगुनाया। जैसे तैसे कर गाने का मुखड़ा तैयार हुआ। गाने के मुखड़े के बाद जावेद अख्तर ने एक एक तारीख को महीने का दिन बताते हुए गीत का अंतरा लिखा। गाना गुनगुनाते हुए पूरे गीत का बोल तैयार हुआ जिसे नब्बे के दशक की मशहूर गायिका अल्का याग्निक के द्वारा गाया गया।
पहली बार दिया गया बेस्ट कोरियोग्राफ ऑफ द ईयर का अवार्ड
साल 1988 में एक दो तीन गाना इतना ज्यादा हिट हुआ था कि इस गाने को लिखने वाले से लेकर गाने वाले सभी को फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बता दें कि अल्का याग्निक को फिल्म फेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवार्ड दिया गया। वहीं, इस गाने को कोरियोग्राफ करने वाली कोरियोग्राफर सरोज खान को पहली बार फिल्म फेयर बेस्ट कोरियोग्राफी ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया। बता दें कि इससे पहले बॉलीवुड में किसी को भी फिल्म फेयर की ओर से बेस्ट कोरियोग्राफ ऑफ द ईयर का अवार्ड से सम्मानित नहीं किया गया था (माधुरी दीक्षित)।
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एक दो तीन का मेल वर्जन भी रहा सुपरहिट
अल्का याग्निक द्वारा गाए एक दो तीन के सुपर हिट होने के बाद फिल्म के मेकर्स ने इस गाने का मेल वर्जन भी निकाला। मेल वर्जन निकलने के पीछे मेकर्स की स्ट्रेटजी थी कि दर्शकों को बार-बार सिनेमा घरों में वापस लाना। चुकीं, 1988 के दशक में केबल टीवी की शुरुआत हुई थी और उसमें भी सिर्फ 1 ही चैनल दूरदर्शन ही बस आता था। एक दो तीन गाना सुनने के बाद हर किसी के जुबान पर यह गाना चढ़ा हुआ था। हर कोई यह गाना बार-बार देखना चाह रहा था। ऐसे में मेकर्स ने दर्शकों को बार-बार सिनेमा घरों में बुलाने के लिए इस गाने का मेल वर्जन अमित कुमार से गवाया। बता दें कि इस गाने की शूटिंग फिल्म में शाहरुख खान के मन्नत में हुई है, जिसे तेजाब फिल्म में अनुपम खेर का घर दिखाया गया है।
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