Mother's Day 2024: दुनिया में मां और बच्चे के बीच का प्यार सबसे प्योर और पवित्र होता है। इसलिए कहा जाता है कि मां की जगह कोई ले ही नहीं सकता है। बॉलीवुड में मां और बच्चे के रिश्ते पर एक से बढ़कर एक फिल्में भी बनी हैं। हालांकि पुराने जमाने में जितनी भी फिल्में बनी हैं उनमें मां को काफी अबला और कमजोर बताया दिखाया गया है। मां अपने बच्चे पर जान तो छिड़क सकती है लेकिन सिर्फ अफसोस जता कर,किचन में देर रात तक खाना बनाकर, कपड़े धो कर,यानी सारे घरेलू काम तक ही मां का प्यार और त्याग सीमित है। लेकिन हाल के सालों में बॉलीवुड ने कई ऐसी फिल्में भी बनाई है जिसमें बताया गया है कि मां अबला नहीं धाकड़ होती है, बात अगर उसके बच्चे पर आ जाए तो वो सिस्टम से लेकर परिवार तक से लड़ सकती है। आइए नजर डालते हैं उन फिल्मों पर
मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे
मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे में एक ऐसी मां की कहानी दिखाई गई है जो अपने बच्चे को परेशानी में देख कर सिर्फ बच्चे के पिता पर ही निर्भर नहीं रहती है बल्कि अपनी लड़ाई खुद लड़ती है। फिल्म में रानी मुखर्जी मुख्य किरदार में नजर आई हैं। जब उनके बच्चे को फॉस्टर केयर में बेवजह डाल दिया जाता है तब वह एक शेरनी की तरह लड़ती हैं। फिल्म में उनका किरदार देबिका चैटर्जी का होता है जो अपने बच्चे को अपने तरीके से पालती हैं,उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाती हैं, वो सभी काम करती हैं जो हर भारतीय मां करती है लेकिन नार्वे के कानून के मुताबिक ये सही नहीं होता है,ऐसा देखकर वहां की सरकार बच्चे को अपनी कस्टडी में ले लेती है और माता-पिता को बच्चों से मिलने की तब तक मनाही होती है जब तक बच्चा 18 साल का न हो जाए। इस दौरान देबिका कई तरह की चुनौतियों से लड़ती है,और लंबे संघर्ष के बाद सरकार उन्हें अपने बच्चों को पालने की अनुमति दे देती है।
जज्बा
जज्बा फिल्म में भी एक मां के किरदार को काफी धाकड़ दिया गया है। ऐश्वर्या राय और इरफान खान इस फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आए हैं। इस फिल्म में ऐश्वर्या राय एक नामचीन वकील का किरदार निभाती है, जिसकी बेटी का अपहरण कर लिया जाता है। अपहरणकर्ता चेतावनी देता है कि वह अपनी बेटी को दोबारा तभी देख सकती हैं जब वह एक बलात्कारी और हत्यारा का केस जितेंगी। एक मां होने के नाते वो वक्त वक्त पर टूटती भी हैं लेकिन काफी मजबूती से परिस्थितियों का सामना करती हैं और आखिरकार अपनी बेटी को बचाने में कामयाब होती हैं। इसमें एक कामकाजी मां को दिखाया गया है जो ऑफिस के साथ ही अपना घर भी संभालती है और अपनी बेटी की रक्षा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
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मातृ
पुराने जमाने के फिल्मों में अगर बेटी की इज्जत पर आंच आ जाया करती थी तो माएं रो धो कर मामले को रफा दफा कर देती थीं,लेकिन मातृ फिल्म में मां को अपनी बेटी के लिए लड़ते हुए,आवाज उठाते हुए दिखाया गया है। इस फिल्म में मुख्य किरदार में रवीना टंडन ने एक मां की शक्ति का परिचय दिया है,फिल्म के जरिए दिखाया गया है कि आज की मां अबला नहीं है। रवीना टंडन ने एक ऐसी मां का किरदार निभाया है जिसकी बेटी का रेप हो जाता है और बाद में उसकी मौत हो जाती है,इतने गहरे सदमे के बाद भी मां टूटती नहीं है बल्कि मजबूती से सिस्टम से लड़ती है और खुद ही अपनी बेटी के गुनहगारों को सजा देती है।
यह भी पढ़ें- कोकिलाबेन से लेकर अनुपमा तक, चलिए आपको मिलवाते हैं टीवी सीरियल्स की स्टीरियोटाइप 'मां' सेआपको इनमें से कौन सा कैरेक्टर याद है, हमें कमेंट्स में जरूर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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