कोकिलाबेन से लेकर अनुपमा तक, चलिए आपको मिलवाते हैं टीवी सीरियल्स की स्टीरियोटाइप 'मां' से

राजा बेटे की खाने की थाली सजाना हो या बेटे की गलती पर भी बहू को ही जिम्मेदार ठहाराना...टेलीविजन सीरियल्स में 'मां' के कुछ कैरेक्टर काफी स्टीरियोटाइप सोच के साथ गढ़े गए थे।

 

 

stereotyped mothers of indian tv serials

'मां', एक शब्द में समाई हुई पूरी दुनिया है। बेशक, मैं हूं या आप, हम सभी अपनी मां के बहुत करीब हैं और उनसे बेशुमार प्यार भी करते हैं। मां, हमारे लिए बहुत कुछ करती हैं। लेकिन, गड़बड़ तब होती है, जब मां से हम कुछ अनोखी ही उम्मीदें रखने लगते हैं। मसलन, मां हमारी गलती छिपाएगी, अपने लिए तो मां जी ही नहीं सकती या, मां के अपने कोई सपने हो ही नहीं सकते हैं। मां शब्द के साथ जुड़े इन स्टीरियोटाइप्स को तोड़ना वक्त के साथ काफी जरूरी हो गया है और अच्छी बात यह है कि काफी महिलाएं, आज इन रूढ़िवादी सोच के बंधनों से खुद को आजाद कर रही हैं और मां शब्द की नई परिभाषा लिख रही हैं। हमारा टेलीविजन और फिल्मी दुनिया भी, आज के समय में 'मां' और लाचार और 'सास' को वैम्प दिखाने वाले कल्चर से बाहर निकल रही है। लेकिन, टेलीविजन सीरियल्स में 'मां' के कई ऐसे कैरेक्टर रहे हैं, जो बहुत ही स्टीरियोटाइप सोच के साथ गढ़े गए हैं और जिन्हें समझ पाना मेरे लिए तो थोड़ा मुश्किल है। चलिए, आपको मिलवाते हैं टीवी सीरियल्स की स्टीरियोटाइप 'मां' से।

कोकिलाबेन मोदी

kokila modi in sathiya

सीरियल 'साथ निभाना साथिया' की कोकिलाबेन का किरदार भी स्टीरियोटाइप मां की लिस्ट में नम्बर 1 पर आता है। मतलब, एक ऐसी मां, जो अपने राजा बेटे की हर गलती पर बड़ी सफाई से परदा डाल लेती है, जिसे अपने बेटे के लिए ऐसी बहू चाहिए, जो चुपचाप सब कुछ सह सके और बेटे के करीब भी बस उतना आए...जितना सासू मां चाहें! इस सीरियल में कोकिलाबेन के किरदार ने हद तो तब पार कर डाली, जब उन्होंने अपने बेटे और बहू के उल्टे फेरे करवा दिए, क्योंकि राजा बेटा को बहूरानी पसंद नहीं आ रही थी।

अनुपमा

anupama as stereotype mother

वैसे, मुझे लगा नहीं था कि इस किरदार को मुझे स्टीरियोटाइप मां की लिस्ट में शुमार करना पड़ेगा। लेकिन, अब इस सीरियल की स्टोरीलाइन जिस तरह की हो गई है, तो मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था। अनुपमा का किरदार, कुछ ऐसा दिखाया गया है, जिसकी पूरी दुनिया एक वक्त तक उसके बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती थी...बच्चों की लिए खाना बनाना, उनकी उल्टी-सीधी बातें सुनना और बार-बार...हर बार...उन्हें माफ कर देना। सीरियल की कहानी को यूं तो महिला सशक्तिकरण की कहानी के रूप में दिखाया गया था। लेकिन, ऐसा कुछ भी अब अनुपमा के किरदार में नजर आता नहीं है।

गायत्री

gayatri in yrkkh

सीरियल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में नैतिक की मां और अक्षरा की सास का किरदार निभाने वाली गायत्री का कैरेक्टर भी काफी स्टीरियोटाइप था। सीरियल में एक सीन था, जहां अक्षरा, नैतिक के लिए खाने की प्लेट लगा रही होती है और गायत्री आकर उससे कहती है, "नैतिक की प्लेट को किस तरह से लगाना है...वो सिर्फ मुझे पता है...अगर प्लेट सही से नहीं लगी, तो वो खाना ही नहीं खाता है।" मतलब इस बात को डाइजेस्ट करना आपको थोड़ा मु्श्किल नहीं लग रहा है। इसके अलावा, भी इस किरदार में काफी कुछ ऐसा था, जो आज की मॉर्डन मां से मेल नहीं खाता है।

सविता

savita in pavitra rishta

सीरियल 'पवित्र रिश्ता' में अर्चना की सास और मानव की मां यानी सविता का कैरेक्टर भी कुछ ऐसा ही था। हर छोटी बात पर बेटे और बहू के बीच में इंटरफेयर करना हो या बेटे की जिंदगी पर पूरी तरह कंट्रोल रखने की कोशिश करना हो, यह किरदार कुछ इसी तरह से लिखा गया था। यूं तो इस सीरियल को ऑफ एयर हुए कई साल बीत चुके हैं। लेकिन, यकीन मानिए, जिसने भी इस सीरियल को देखा है, उसे आज भी यह कैरेक्टर बेशक याद है।

कल्याणी देवी

kalyani devi in balika vadhu

सीरियल 'बालिका वधू' की कड़क दादी सा भला किसे याद नहीं होंगी। सीरियल में, दादी सा का किरदार, सिर्फ आनंदी की मुश्किलें ही नहीं बढ़ाता था बल्कि, रियलिटी से कुछ ज्यादा ही अलग था। बेटे को बहू को दबाकर रखने की सीख देना हो या घर में बहू-बेटियों को पूरी तरह से अपने काबू में रखने की कोशिश करना हो, यह कैरेक्टर कुछ ज्यादा ही स्टीरियोटाइप था।

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काकू

'इंडिया वाली मां' सीरियल का यह कैरेक्टर ज्यादा पॉपुलर नहीं हुआ था। लेकिन, इस सीरियल ने 'बेचारी मां' वाले कॉन्सेप्ट में टीवी पर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मां के लिए त्याग की मूर्ति होना, अपने बच्चे के लिए अपना आत्मसम्मान तक भूल जाना, बिल्कुल ठीक नहीं है और इसे समझने व बदलने की जरूरत है। लेकिन, इस सीरियल में कुछ ऐसा ही दिखाया गया था।

मीरा

सीरियल 'प्रतिज्ञा' को यूं तो कुरीतियों से लड़ने वाले सीरियल के तौर पर दिखाया गया था। लेकिन, सीरियल की शुरुआत में ही, प्रतिज्ञा की शादी, उस लड़के से होती दिखाई जाती है, जो उसे छेड़ता है। अब, इसमें कैसे कुरीति दूर हुई, समझ पाना थोड़ा मुश्किल है। खैर, सीरियल में प्रतिज्ञा की सास और कृष्णा की मां का कैरेक्टर भी कुछ ऐसा ही था। एक ऐसी मां, जिसे बहुओं पर हुकुम चलाना आता है। लेकिन, अपने पति और बेटों से दबकर, उनकी बातें सुनकर, यहां तक कि उनसे मार खाकर भी वह बिल्कुल कम्फर्टेबल है। इस सीरियल को कई कारणों से आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था।

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