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these women officers returned to duty after delivery

मिलिए उन महिला अधिकारियों से जो डिलीवरी के कुछ ही दिन बाद ड्यूटी पर लौट आई

इस लेख में हम आपको कुछ महिला अधिकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने फर्ज को पहले रखा और मातृत्व सुख को बाद में।
Editorial
Updated:- 2020-10-19, 16:34 IST

एक महिला के लिए सबसे अधिक खुशी की क्या बात हो सकती है? जी! मैं आपसे ही पूछ रहा हूं! आप ही इस सवाल का उत्तर दे दीजिये! 'मां' बनना! शायद आपकी नज़र में कुछ और हो सकता हो लेकिन, मेरी नज़र में एक महिला के लिए इस से बड़ी ख़ुशी कुछ और नहीं हो सकती हैं। हजारों तकलीफ और कठिनाई से गुजरने के बाद जो ख़ुशी मिलती है उसका परिकल्पना करना मुश्किल है। ऐसे में जब ये मालूम चलता है कि कोई महिला बच्चे के जन्म के कुछ ही दिनों बाद अपनी ड्यूटी निभाने चली आती हैं तो ये खबर जान के शायद आप भी हैरानी में पड़ ही जाते होंगे। आज इस लेख में हम आपको कुछ महिला अधिकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने फर्ज को पहले रख और मातृत्व सुख को बाद में-

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सौम्या पांडेय 

 

अपने बीते दिनों सोशल मीडिया पर गैर किया होगा तो आपको एक तस्वीर दिखाई दी होगी जिसमें एक महिला अधिकारी अपने बच्चे को गोद में लिए ड्यूटी निभा रही हैं। ये तस्वीर किसी और की नहीं बल्कि, एसडीएम सौम्या पांडेय की थी। कहा जाता है कि सौम्या पांडेय मां बनाने के महज़ 14 दिनों बाद ही अपना कामकाज संभल लिया था, और दूधमुंही बच्ची को गोद में लिए फाइलें निपटाने लगीं। सौम्या पांडेय प्रयागराज की निवासी है। कहा जाता है कि उनके पति भी एक अधिकारी है। (शिवांगी सिंह राफेल स्क्वाड्रन की पहली म‍हिला फाइटर पायलट बनीं)

 

अर्चना जयंत

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सौम्या पांडेय की तरह ही झांसी की कॉन्स्टेबल अर्चना जयंत की तस्वीर सोशल मीडिया पर कई बार देखी गई। अर्चना अपनी 6 महीने की बेटी के साथ ड्यूटी करते हुए देखी गई। इस तस्वीर को देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्ची की देखभाल और अपनी ड्यूटी भी ईमानदारी से निभा रही हैं। कहा जाता है इस तस्वीर के वायरल होने के बाद झांसी के डीजीपी ने भी इस फोटो को ट्विट करते हुए प्रशंसा किया था। (मिलिए ‘वायर वुमन’ से)

 

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रूपा प्रवीण राव

 

जब शुरूआती समय में भारत में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, तो उसी समय कर्नाटक के एक अस्पताल में नौ महीने की प्रेग्‍नेंसी के साथ मरीजों की सेवा में एक महिला लगी हुई थी। वो कोई और नहीं बल्कि, रूपा प्रवीण राव थी। रूपा प्रवीण गजानुरू गांव में रहती हैं और वो सरकारी अस्पताल में नर्स के तौर पर काम करती हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि रोज अपने घर से बस की यात्रा कर के कोरोना महामरी के जंग में भी अपना योगदान देने आती थी। (महिला एंबुलेंस ड्राइवर एम वीरलक्ष्मी)

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Image Credit:(@twitter,ani)

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