Sheena Rani Biography:भारत ने 'मिशन दिव्यास्त्र' के अंतर्गत मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी के साथ 'अग्नि-5 मिसाइल' का सोमवार को सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण के सफल होने के बाद भारत उस लिस्ट में शामिल हो गया है जिसमें मात्र कुछ ही देश शामिल थे। 'अग्रि-5' की टारगेट क्षमता 5,000 किलोमीटर है।
इस मिशन को देश की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है। आपको बता दें कि इस मिसाइल की मारक क्षमता इतनी तेज है कि यह चीन के उत्तरी हिस्से के साथ-साथ लगभग पूरे एशिया को अपने अंदर ला सकती है। इस पूरे प्रोजेक्ट को डीआरडीओ महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने लीड किया है।
इस मिशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन 'दिव्यास्त्र' नाम दिया है। वहीं शीन रानी की चर्चा 'दिव्य पुत्री' के नाम से हो रही है। इस आर्टिकल में आज हम आपको DRDO की शान शीना रानी के बारे में बताने जा रहे हैं।
'पावर हाउस ऑफ एनर्जी' नाम से जाती है जानी
57 साल की शीना रानी, हैदराबाद में DRDO की हाईटेक लैब में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रही है। मेहनत और लगन की वजह से इन्हें सहकर्मी 'पावर हाउस ऑफ एनर्जी' नाम से बुलाते हैं। शीना रानी 'अग्नि पुत्री' के नाम से मशहूर 'मिसाइल वुमेन टेसी थॉमस' को अपना आइडल मानती हैं। 'मिशन दिव्यास्त्र' का नेतृत्व शीन रानी ने किया। साल 1999 से शीना 'अग्नि मिसाइल' प्रणालियों पर काम कर रही हैं। डीआरडीओ में शीना रानी बीते 25 सालों से काम कर रही हैं।
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शीना रानी को इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में महारत हासिल
शीना रानी आज 'दिव्य पुत्री' के नाम से मशहूर है। शीना ने तिरुवनंतपुरम के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन के साथ कंप्यूटर साइंस में आगे की पढ़ाई की। (अग्नि मिसाइल-5 की खासियत)
इन क्षेत्रों में किया काम
शीना रानी ने डीआरडीओ में काम करने से पहले भारत के प्रमुख अंतरिक्ष रॉकेट केंद्र, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष में लगभग आठ साल काम किया। साल 1998 में शीना रानी ने 'लेटरल एंट्री' के रूप में डीआरडीओ में शामिल हुई थी।
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शीना रानी के साथ उनके पति भी इसमें शामिल
शीना रानी के साथ उनके पति पीएसआरएस शास्त्री भी रक्षा अनुसंधान विकास संगठन में काम कर रहे हैं। शीना के पति साल 2019 में इसरो द्वारा लॉन्च किए गए 'कौटिल्य' उपग्रह के प्रभारी थे। (ऋतु करिधाल की सक्सेज स्टोरी)
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