कौन कहता है कि साड़ी पहनकर काम नहीं किया जाता?
अक्सर महिलाएं साड़ी ना पहनने के लिए बहाना देती हैं कि 'साड़ी पहनकर काम नहीं होता।' लेकिन उनका ये बहाना अब काम नहीं आने वाला। क्योंकि पुणे की इस महिला ने साड़ी पहनकर 13 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर रिकॉर्ड बनाया है।
ये रिकॉर्ड पुणे की शीतल राणे महाजन ने थाईलैंड के पटाया में बनाया है। शीतल ने महाराष्ट्रीयन नव्वारी साड़ी पहनकर 13 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर नया इतिहास रच डाला है। ये साड़ी 9 मीटर से ज्यादा लंबी थी। अब इतनी लंबी साड़ी पहनकर इतने ऊंचाई से कूदने का रिकॉर्ड शीतल के नाम पर है।
शीतल राणे महाजन महाराष्ट्र की रहने वाली है। इनको एडवेंचर स्पोर्ट्स की दुनिया में 2003 से पहचान मिलनी शुरू हुई है। एडवेंचर स्पोर्ट्स के करियर में ये 14 साल से हैं और इन्होंने अब तक नेशनल और इंटरनेशलन स्तर पर 705 स्काइडाइव लगाए हैं। इनके एडवेंचर्स कारनामे के लिए इन्हें पद्मश्री से भी सम्मानिति किया जा चुका है। शीतल के दो जुड़वां बेटे हैं।
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स्काइडाइविंग करने के दौरान हमेशा ऐसे कपड़े पहने जाते हैं जो शरीर से बिल्कुल चिपके रहें। इससे ऊंचाई से कूदने समय ये हवा से उलझते नहीं है। लेकिन हमेशा से शीतल को कुछ अलग करना था। इस अलग करने के जुनून में ही शीतल ने साड़ी पहनकर 13 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई और रिकॉर्ड बनाया।
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शीतल को स्काइडाइविंग करने की प्रेरणा कमांडर कमल सिंह ओबड से मिली। जब वे 2000 में अपने घर के पास वाले प्रेस की दुकान से कपड़े लेने गई थी तो उनकी नजर एक न्यूजपेपर के फोटो पर गई। न्यूज पेपर में कमल सिंह ओबड की फोटो छपी थी। कमल उस वक्त पुणे के NDA में पोस्टेड थे। कमल शीतल के सहेली के बड़े भाई थे जिसके कारण वो उनसे बात करते रहती थी। उन्होंने उसी समय कमल से फोन पर बात कर अखबार में फोटो छपने की वजह पूछी। इसपर कमल सिंह ने शीतल को खबर पढ़ने को कहा। शीतल ने अंग्रेजी नहीं आती कहकर फोन काट दिया।
कमल सिंह ओबड पहले भारतीय थे जिन्होंने नॉर्थ पोल और साउथ पोल पर स्काइडाइविंग की थी जिसके कारण उनकी फोटो न्यूजपेपर पर छपी थी। उसी दिन से शीतल ने स्काइडाइवर बनने की ठान ली। दो साल के प्रयास और जिद्द के बाद शीतल ने आर्टिक सर्कल पर अपने जिंदगी की पहली स्काइडाइव की।
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शीतल ने नवंबर, 2011 में स्काइडाइवर वैभव से शादी की थी। इनकी शादी की सारी रस्में आसमान में 750 फीट ऊंचाई पर हॉट एयर बलून में हुई थीं और उसके बाद ये देश का पहला स्काइडाइवर सिविलियन कपल बन गया।
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