जब भी कोई महिला किसी से लड़ते झगड़ते दिख जाती है तो चिढ़ाते हुए लोग उसे Maharani Laxmi Bai कहने लगते हैं। यह सच भी है कि Rani Laxmi Bai एक महान fighter थीं। देश की आजादी और अपने स्वाभिमान के लिए वे अंग्रेजों तक से लड़ गई थीं। मगर उनमें केवल अपने हक के लिए लड़ने की ताकत ही नहीं थी बल्कि और भी कई हुनर और गुण थें,जो उन्हेंल उस समय से कहीं आगे ले जाते थे। आप भी रानी लक्ष्मी बाई की कुछ खूबियों को अपनी lifestyle में शामिल कर सकती हैं। ये खूबियां न केवल आपको smart बनने में मदद करेंगी बल्कि आपको strong भी बनाएंगी।
हिन्दू -मुस्लिम में न करें भेदभाव
भारत में धर्म के नाम पर लड़ाई झगड़ा बेहद आम है। खासतौर पर हिन्दू मुस्लिम के बीच तो बात बात पर झगड़े हो जाते हैं। लोग धर्म के आधार पर ही दोस्त बनाते हैं। आप भी शायद ऐसा करती होंगी। मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रानी लक्ष्मी बाई किसी धर्म पर विश्वास नहीं करती थीं। मानवता ही उनके लिए सबसे बड़ा धर्म था। इस बात का उन्हें फायदा भी मिला। अंग्रेजों से लड़ते वक्त रानी लक्ष्मीा बाई के पास आखरी समय में सेना में केवल पठान लोग ही थे। Gwalior की नौ गज रोड पर आज भी उन पठानों की मजारें मौजूद हैं, जिन्होंने आखरी समय में Rani Laxmi Bai का साथ दिया था।
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न करें blind faith
महिलाओं में एक कमी होती है कि वह जल्द दूसरों पर विश्वांस कर लेती हैं और फिर धोका खाती हैं। मगर Rani Laxmi Bai अपने अलावा किसी पर भरोसा नहीं करती थीं। यहां तक की अपनी सेना में वरिष्ठ पदों पर विराजमान अफसरों पर भी उन्हें भरोसा नहीं था। किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए वे खुद उस पर तब तक निगरानी रखती थीं जब तक वह काम पूरा न हो जाए। एक बार ऐसे ही उनकी प्रजा का कुछ उपद्रवियों ने परेशान करने की कोशिश की, तो रानी लक्षमी बाई खुद 15 दिन तक प्रजा के बीच रहीं और उन उपद्रवियों से लड़कर उन्हें वहां से भगा कर ही अमने महल में वापस लौटीं।रानी लक्ष्मी बाई का ‘समर पैलेस’ था यह किला
किसी को नुकसान पहुंचाने से बचें
कॉम्पेटीशन के जमाने में आगे बढ़ने के लिए लोग दूसरों का बुरा करने से भी नहीं चूकते। मगर किसी का गलत कर के आगे बढ़ने में न तो सुख मिलता है न ही शांती मिलती है। यह बात रानी लक्ष्मी बाई को अच्छी तरह पता थी। वह अपनी जीत के लिए किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहती थी। जब वे ग्वालियर पहुंची तो उन्होंने ने अपनी सेना को कहा हमे ग्वालियर जीतना तो है मगर यहां कि प्रजा को हमसे कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए। इसलिए इन्हें बिना नुकसान पहुंचाए अगर हम जीत सकते हैं तब ही आगे बढ़ें।
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दूर की सोचें
कोई भी काम करने या किसी बात पर निर्णय लेने से पहले जरूरी है कि उसके बारे में गहराई से सेाचा जाए। मगर आजकल गहराई से सोचने को समय की बरबादी समझा जाता है। इससे भी अव्वल आजकल के लोगों में अहंकार की भावना इतनी होती है कि वे इससे आगे सोच ही नहीं पाते। रानी लक्ष्मी बाई मगर ऐसी नहीं थीं। उनकी सोच में दूरदर्शिता झलकती थी। अपनी सेना में लोगों की भर्ती भी इस आधार पर करती थीं कि भविष्य में जब उन्हें। किसी दूसरे धर्म के लोगों या शहर में काम पड़े तो, उनका काम आसानी से हो सके। इसलिए अहंकार को पीछे रख कर कुछ काम भविष्य को सोच कर भी करने चाहिए।
पति का दें साथ
आपने यह कहावत सुनी ही होगी, हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है। रानी लक्ष्मी बाई के केस में यह बात सच भी साबित होती है। वे अपनी पति के हर फैसले में उनका साथ देती थीं और उन्हें समय समय पर गाइड भी करती थीं। पति के बीमार पड़ने पर रानी लक्ष्मी बाई ने राज्ये और प्रजा की सारी जिम्मे दारी भी अपने कंधों पर उठा ली थी। रानी लक्ष्मी बाई की ही तरह हर महिला को अपने पार्टन का पूरा सपोर्ट करना चाहिए।इन चर्चित रानियों की वजह से फेमस हुए ये किले और महल
खुद को कभी किसी से कम न समझें
रानी लक्ष्मी बाई के बचपन में ही उनकी मदर की डेथ हो गई थी। मगर मां के न होने पर भी उन्हों ने खुद को कभी किसी से कम नहीं समझा। उन्हें हॉर्स राइडिंग , तलवारबाजी ओर गन चलाना तक आता था। वैसे उन्हें यह सब काम करने से कई बार रोका गया और महिलाओं की तरह रहने को कहा गया। मगर उनकी जिद थी कि वे सारे काम जो पुरुषों के लिए बने हैं वह भी उन्हेंन करेंगी। रानी लक्ष्मी बाई की ही तरह हर महिला को खुद को किसी कम नहीं समझना चाहिए और हर काम को सीखना चाहिए ताकि पुरुषों से जब उनकी तुलना की जाए तो वे उनसे पीछे न रहें।
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