इंटरनेशनल डे फॉर फमॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स 18 अप्रैल को सेलिब्रेट किया जाता है। इसे विश्व धरोहर दिवस और इंग्लिश में वर्ल्ड हैरीटेज डे भी कहा जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य सांस्कृति धरोहरों को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस साल लॉकडाउन के चलते इसे नहीं मनाया जा रहा, लेकिन हम आपको इस दौरान उन खास किलों की जानकारी दे रहे हैं जो राजा के लिए नहीं बल्कि रानियों के कारण ज्यादा प्रसिद्ध हैं। ये किले अपनी आन-बान-शान समेटे सालों से खड़े हैं। तो चलिए आपको बातते हैं उन महलों के बारे में जो रानियों की वजह से लोगों के बीच जाने जाते हैं।
चितौड़गढ़ महल (रानी पद्मावती)
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ऐसा कहा जाता है कि चितौड़ की रानी पद्मावती अपनी खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर थी। आज हम आपको चितौड़गढ़ महल में बने पद्मिनी महल के बारे में बताने जा रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि पद्मिनी पैलेस अंदर से रेनोवेट किया गया है। रानी पद्मावती इसी महल में रहती थी, साथ ही उनके साथ रियासत की और भी कई खूबसूरत महिलाएं रहती थी। रानी पद्मिनी महल का उल्लेख 13वीं शताब्दी में राजा रतन सिंह के दौर से ही होता है। महल की सुंदरता को बढ़ाने के लिए इसे पानी में बनाया गया है और इस पानी में रानी अपना अक्स देखती थी।
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ताजमहल (मुमताज महल)
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ताजमहल जिसकी सुंदरता के चर्चें इंडिया में ही नहीं पूरे वर्ल्ड में किए जाते हैं। दुनिया का आठवां अजूबा आगरा का ताजमहल शाहजहां और मुमताज के प्यार की दास्तां बयां करता है। मुमताज की आखिरी इच्छा थी कि उनके मरने के बाद उन्हें भव्य स्मारक बना कर वहां दफनाया जाए। शाहजहां ने अपनी बेगम की इच्छा पूरी करने के लिए आगरा में ताजमहल का निर्माण शुरू कराया था। यमुना किनारे ताजमहल के लिए प्रस्तावित जगह के बगीचे में मुमताज को दफनाने के बाद ताजमहल का निर्माण शुरू किया गया। ताजमहल को भव्य रूप देने में करीब 20 सालों का समय लगा।
इस पूरे समय के दौरान मुमताज बगीचे में बनाई गई कब्र में ही दफन रही। जैसे ही मुख्य गुम्बद तैयार हुआ शाहजहां ने बगीचे में स्थित कब्र से मुमताज के अवशेषों को मुख्य गुम्बद में दफनाया। जहां आज मुमताज की कब्र असली कब्र के नाम से प्रसिद्ध है।
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आईना महल (मस्तानी)
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मस्तानी महल बनने की कहानी शुरू हुई वहां से जब बाजीराव की पहली पत्नी काशीबाई और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने मस्तानी को कभी भी स्वीकार नहीं किया। परिवार के विरोध को देखते हुए बाजीराव ने शनिवार वाडा महल के ठीक बगल में मस्तानी के लिए एक आलीशान 'आइना महल' बनवाया था। इस महल में हजारों आईने लगे हुए थे। महल के बगल में दिवे घाट पर मस्तानी के नहाने के लिए एक विशेष कुंड का निर्माण करवाया गया था। मस्तानी का यह आलीशान महल एक भीषण अग्निकांड में जलकर खाक हो गया था। कुछ इतिहासकार इसे एक साजिश भी करार देते हैं। महल की जमीन पर बने राजा केलकर म्यूजियम में आज भी उस महल की एक रेप्लिका मौजूद है। याहं आपको बता दें कि इस आइना महल को मस्तानी महल से भी जाना जाता है।
रानी महल (रानी लक्ष्मीबाई)
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इस महल को रानी महल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह इंडिया की मशहूर योद्धा रानी लक्ष्मीबाई का महल था। इसका निर्माण नेवालकर परिवार के रघुनाथ द्वितीय ने करवाया था। यह महल देशभक्ति बलों का केंद्र था जिसका नेतृत्व रानी, मराठा सरदार तात्या टोपे और नाना साहिब ने किया था जिन्होने 1857 में भारतीय स्वतंत्रता की पहली लड़ाई लड़ी। यहां आपको बता दें कि रानी महल कोई बहुत बड़ा महल नहीं है लेकिन रानी लक्ष्मीबाई के कारण इस महल के चर्चें इतिहास में मौजूद हैं। रानी महल दो मंजिला इमारत है जिसे चौकोर आंगन के सामने बनाया गया है। आंगन के एक ओर कुआं है और दूसरी और फव्वारा है। इस महल में छह कक्ष हैं जिसमें प्रसिद्ध दरबार कक्ष भी शामिल है। यहां कुछ छोटे कमरे भी हैं। दरबार कक्ष की दीवारों को खूबसूरत चित्रों से सजाया गया है। इस विशाल इमारत का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटिश तोपखाने द्वारा नष्ट कर दिया गया था। इस महल को अब एक ऐतिहासिक संग्रहालय में बदल दिया गया है।
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किला मुबारक (रजिया सुल्तान)
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इंडिया में कई ऐसे किले हैं जो अपने अंदर कई ऐतिहासिक कहानियां लिए आज भी शान से खड़े हैं। ऐसे ही किलों में शामिल है पटियाला के बठिंडा क्षेत्र का प्राचीन किला ‘किला मुबारक’, जहां इंडिया की सबसे पहली महिला शासकज रजिया सुल्तान को बंदी बनाकर कैद किया गया था। रजिया पुरुषों की तरह कपड़े पहनती थीं और खुले दरबार में बैठती थीं। उनके अंदर एक बेहतर शासिका के सारे गुण थे। एक समय ऐसा भी आया जब लग रहा था कि रजिया दिल्ली सल्तनत की सबसे ताकतवर मल्लिका बनेंगी लेकिन गुलाम याकूत के साथ रिश्तों के कारण ऐसा नहीं हो पाया था।
पंजाब के बठिंडा में स्थित किला मुबारक देश के ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्मारकों में से एक है। यहां आपको बता दें कि यह ईंट का बना सबसे पुराना और ऊंचा स्मारक है। राजा बीनपाल ने इस किले का निर्माण लगभग 1800 साल पहले करवाया था। इस किले का निर्माण लगभग 90-110 ई. में किया गया था।
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