जोधपुर शहर जिसे राजस्थान की सूर्यनगरी भी कहा जाता है, इस शहर में ऐसा बहुत कुछ हैं जिसे आप एक बार देखने के बाद बार-बार देखना चाहते हैं लेकिन अगर इस शहर के गौरव की बात करें तो उस किले की सुंदरता के चर्चे देश में ही नहीं विदेश में भी गुंजते हैं। जोधपुर शहर की शान कहा गया है यहां के मेहरानगढ़ किले को।
Photo: Wikipedia
जोधपुर के स्थानिय लोगों को अपने किले पर बहुत गर्व है क्योंकि इस किले को देखने के लिए हर साल इंडिया के अलावा विदेश से भी लोग आते हैं। जोधपुर शहर के हर कोने से नजर आने वाला यह शानदार किला लगभग 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। अब आप खुद ही इस बात का अंदाजा लगा सकती हैं कि यहां की ऊंचाई से पूरा जोधपुर शहर का नजारा कैसा दिखाई देता होगा।
Read more: शीशे में Padmavati की छवि देख अलाउद्दीन खिलजी बना था उनका दीवाना
Photo: Wikipedia
शानदार यह किला लगभग 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले के बारे में ऐसा कहा जाता है कि 1965 में भारत-पाक के युद्ध में सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था लेकिन ऐसी माना जाता है कि माता की कृपा से यहां किसी का बाल भी बांका नहीं हो पाया। इस किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखाई देती है।
Photo: Wikipedia
मेहरानगढ़ किला भारत के सबसे बड़े किलो में से एक है। यहां आपको बता दें कि यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर से भी ऊंचा है। किले के परिसर में चामुंडा देवी का मंदिर भी है और इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह माता यहां से अपने शहर की निगरानी रखती हैं।
इस किले के दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर तक फैली है। इनकी ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट और चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है। इस किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजें और जालीदार खिड़कियां हैं। जोधपुर शासक राव जोधा ने 1459 को इस किले की नींव डाली थी, जिसका मतलब यह हुआ कि इस किले का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है।
जय पोल जिसे विजय का द्वार भी कहा जाता है इसका निर्माण 1806 में महाराजा मान सिंह द्वारा करवाया गया था।
लोहा पोल जो किले परिसर के मुख्य द्वार का अंतिम भाग है। इसके पश्चात बायीं ओर रानियों के सती प्रथा के हाथो के निशान पाए जाते हैं जिन्होंने 1843 में अपने पति महाराजा मान सिंह की चिता में खुद को भी जला लिया था।
Read more: Ram-Leela में संजय लीला भंसाली कैसे क्रिएट किया था उदयपुर में गुजरात
डेढ़ कांग्र पोल जिस पर आज भी आक्रमण के दौरान फैके गए तोप के गोलों के निशान मौजूद हैं।
फतेह पोल जिसका निर्माण 1707 में मुगलो की पराजय के उपलक्ष्य में करवाया गया था।
किले की भीतर कई शानदार और सजावटी महल हैं। इनमे मोतीमहल, फूल महल, शीशा महल, सिलेह खाना और दौलत खाना शामिल हैं।
Photo: Wikipedia
अगर आप प्लाइट से ट्रेवल करना पसंद करती हैं तो आप जयपुर तक फ्लाइट ले सकती हैं उसके बाद आप जोधपुर तक अपने लिए कार बुकिंग भी करा सकती हैं। आप यहां बस से भी पहुंच सकती हैं नई दिल्ली और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती हैं। वहीं ट्रेन से जाने के लिए जोधपुर स्टेशन तक के लिए ट्रेन और वहां से किले तक पहुंचने के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।