स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत की सबसे भरोसेमंद बैंकों में से एक है। करीब 222 सालों से यह बैंक देशवासियों को अपनी सेवाएं देता आ रहा है। लेकिन इसके बावजूद बैंक को उसकी महिला चेयरपर्सन मिलने में 2 सदी लंबा वक्त लग गया।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको इस बैंक पहली महिला चेयर पर्सन अरुंधति भट्टाचार्य की इंस्पायरिंग जर्नी के बारे में बताएंगे। आखिर कोलकाता से आई अरुंधति ने कैसे SBI की महिला चेयरपर्सन बनने तक का सफर तय किया।
अरुंधति भट्टाचार्य का जन्म कोलकाता के बंगाली परिवार में हुआ। उनके पिता प्रद्युत कुमार मुखर्जी भिलाई स्टील प्लांट में इंजीनियर थे, वहीं उनकी मां कल्याणी मुखर्जी होमियोपैथी कंसलटेंट थीं। यही वजह थी कि अरुंधति की शुरुआती शिक्षा भिलाई में ही पूरी हुई। इसके बाद कोलकाता के Lady Brabourne College से इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई की।
अरुंधति हमेशा से बैंक में काम नहीं करना चाहती थीं। उनका सपना पत्रकार बनने का था। लेकिन उस समय पत्रकारिता की फील्ड में महिलाओं के लिए इतने मौके नहीं थे। यही वजह थी साल 1977 में दोस्तों के कहने पर अरुंधति ने बैंक की परीक्षा दी और साथ PO के रूप में उन्होंने बैंकिंग करियर की शुरुआत की।
अरुंधति को उनकी पहली पोस्टिंग कोलकाता शहर में ही मिल गई, जिसके बाद 1983 तक वो वहीं पर कार्यरत रहीं। 1983 से लेकर 1992 के बीच अरुंधति को कई प्रमोशन मिले, जिससे उन्हें और भी ऊंचाईयों के छूने का मौका मिला। जिसके बाद बाद वो ब्रांच मैनेजर बन गईं।
साल 1996 में अरुंधति को SBI की वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया। जिसके बाद उन्होंने 4 सालों तक SBI की न्यूयॉर्क ब्रांच में अपनी सेवाएं दी।
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उस वक्त अरुंधति की बेटी बहुत छोटी थी, जिस वजह से वो अपनी आंटी को अपने साथ न्यूयॉर्क लेकर गई थीं, जिससे बेटी का ख्याल रखा जा सके। लेकिन कुछ समय बाद अरुंधति की आंटी का वीजा(भारतीय वीजा की पावर जानें) रिजेक्ट हो गया, जिस वजह से उन्हें अपनी बेटी को भारत छोड़कर वापस आना पड़ा। यह वक्त उनके लिए काफी मुश्किल भरा था।
साल 2001 में अरुंधति वापस भारत आ गईं। यहां आकर उन्होंने अलग-अलग विभाग में अपनी सेवाएं दीं। साल 2007 में अरुंधति को मुंबई ब्रांच की जनरल मैनेजर का कार्यभार मिला।
लंबे समय तक काम करने के बाद साल 2013 में अरुंधति को SBI की चेयरपर्सन बनाया गया। इसी के साथ लंबे इंतजार के बाद देश के सबसे प्रतिष्ठित बैंक को उसकी महिला पहली महिला चेयरपर्सन मिली।
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साल 2013 से 2017 के दौरान अंरुधति ने बहुत के लिए बेहद शानदार काम किया। जहां SBI को उन्होंने डिजिटली बेहद मजबूत बनाया, उन्होंने कई ऐसे ऐप्स लॉन्च किए जिससे लोगों के लिए बैंकिंग का काम और भी आसान हो गया।
अंरुधति भट्टाचार्य के कार्यकाल में SBI ने महिलाओं के लिए भी बेहतरीन स्कीमें निकाली, जिससे महिलाओं को बेहतर अवसर मिले। साल 2018 में अंरुधति SBI से रिटायरमेंट ले लिया और इसके साथ ही वो रिलायंस इंडस्ट्रीज की एडिशनल डायरेक्टर बन गईं। अभी की बात करें तो अरुंधति इस वक्त Salesforce India की चेयरपर्सन और CEO हैं।
तो ये थी अरुंधति भट्टाचार्य की इंस्पायरिंग कहानी, जो हर महिला बैंकर को इंस्पायर करेगी। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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