आंखों के फड़कने को हमेशा से ही शुभ और अशुभ से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि ये किसी आने वाली परेशानी या फिर आने वाली खुशखबरी का संकेत होती है, लेकिन क्या आपने समझने की कोशिश की है कि इसका कारण क्या होता है या फिर क्यों शरीर में अलग-अलग तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं? हम कई बार अपने शरीर की कई गतिविधियों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये पूछने की कोशिश ही नहीं करते कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?
अगर आपको लगता है कि आंखों के फड़कने को लेकर सिर्फ शुभ-अशुभ का चक्कर ही है तो आप गलत हैं। ये शरीर की एक नेचुरल प्रक्रिया है जिसके कई कारण हो सकते हैं। तो फिर क्यों ना आज हम आंखों के फड़कने को लेकर जुड़े बॉडी फैक्ट्स की बात करें और ये जानें कि आखिर इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
आमतौर पर आंखों का फड़कना नॉर्मल होता है और ये अपने आप ही कुछ सेकंड या मिनट बाद चला जाता है। इसे अधिकतर हम किसी बड़ी बीमारी का संकेत नहीं मानते हैं। हां, अगर ये बहुत ज्यादा फड़क रही है और लगातार काफी समय हो रहा है तो ये जरूर किसी बीमारी का संकेत हो सकता है।
क्या होता है आंखों का फड़कना?
इसे साइंटिफिक भाषा में eyelid myokymia कहते हैं। ये तब होता है जब आंखों की एक मसल (orbicularis oculi) जो आंखों के खुलने और बंद होने के लिए रिस्पॉन्सिबल होती है वो किसी कारण से अपने रूटीन से अलग व्यवहार करने लगती है। कई बार ये जो मूवमेंट्स करती है वो कंट्रोल नहीं किए जा सकते हैं। जिस तरह से हमारे शरीर की कई अन्य मसल्स में ऐंठन, मरोड़ और दर्द होता है ठीक वैसी ही ऐंठन और मरोड़ आंखों की मसल्स भी महसूस करती हैं।
ये ऊपरी आईलिड और निचली आईलिड दोनों पर ही असर कर सकते हैं। ये बस एक मसल का ऊपर-नीचे होना बताती है।
क्या होते हैं इसके कारण?
- स्ट्रेस
- कैफीन का सेवन
- थकान
- आंखों में किसी तरह का इन्फेक्शन
- न्यूरोलॉजी की समस्या
ये दो तरह की हो सकती है एक तो Essential blepharospasm जो पलक झपकने जैसा ही प्रतीत होता है, लेकिन ये काफी तेज होता है। दूसरा Hemifacial spasm जिसमें चेहरे की एक साइड की मसल्स एक दूसरे से चकराती हैं और आंखों पर असर करती है।
किन तरीकों से रोका जा सकता है आंखों का फड़कना?
अब अगर आंखों का फड़कना रोकने की बात की जाए तो इसके कई तरीके हो सकते हैं। वैसे तो ये बहुत ज्यादा देर के लिए नहीं होती है, लेकिन अगर आप इससे परेशान हो रहे हैं तो ये तरीके काम आएंगे-
गर्म सिकाई करें-
आप आंखों पर गर्म कपड़े से सिकाई कर सकते हैं। ये बहुत ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए। बचपन में मां-दादी जैसे अपने साड़ी के पल्लू को फूंक कर आंखों पर गर्म सिकाई करती थीं बिल्कुल वैसा ही।
स्ट्रेस कम करें-
इस कंडीशन का असर स्ट्रेस से होता है और काफी हद तक ज्यादा स्ट्रेस की कंडीशन में लोग ये समझ लेते हैं कि ये अशुभ बात का संकेत है। लेकिन यकीन मानिए आपका स्ट्रेस कम करते ही आपकी आंखों का फड़कना बंद हो जाएगा।
कैफीन से दूर रहें-
कैफीन एक ऐसा पदार्थ है जो आपके शरीर में कई सारे बुरे असर पैदा कर सकता है। चाय, कॉफी, सोडा, चॉकलेट, सभी में कैफीन होता है और ये आंखों का फड़कना बढ़ा सकता है। आप कैफीन धीरे-धीरे कम कर सकते हैं या पूरी तरह से इसे लेना बंद कर सकते हैं। ये आपकी आंखों के फड़कने की समस्या को कम कर देगा।
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सही नींद लेना-
आंखों की मसल्स अगर रिलैक्स नहीं होंगी तो आंखों का फड़कना लगातार जारी रहेगा। ये आपकी आंखों के स्ट्रेस को बढ़ा सकता है और ये आंखों की कई समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि आप अपनी आंखों के फड़कने की स्थिति को कम कर लें और अपनी स्लीप साइकल को एक रेगुलर शेड्यूल बना लें।
आंखों की अन्य समस्याओं के कारण-
आंखों से जुड़ी समस्याएं भी इसकी जिम्मेदार हो सकती हैं। ये किसी तरह के इन्फेक्शन के कारण भी हो सकता है। अगर आंखों बहुत ड्राई हैं, इरिटेटेड हैं, आंखों में पानी आ रहा है, लाल हो रही हैं आदि तो भी ये समस्या हो सकती है।
अधिकतर ड्राई आंखों के कारण ऐसा होता है और ऐसे में आईलिड ट्विचिंग के लिए लोग आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये सारे तरीके असर करेंगे अगर आपकी आंखों का स्पैस्म कम है, लेकिन अगर ये बहुत ज्यादा हो रहा है और ऐसा होता है कि आपकी आंखों पर बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ने लगा है और ये लगातार बना हुआ है तो आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
हालांकि, ऐसा कम होता है कि आंखों का फड़कना किसी बड़ी मेडिकल कंडीशन की ओर ले जाए, लेकिन ये लक्षण अगर कई दिनों तक बना रहे तो इसे नजरअंदाज करना भी सही नहीं है।
इसके अलावा, अपनी आंखों का रेगुलर चेकअप करवाते रहना भी काफी जरूरी होता है। कम से कम 6-10 महीनों के बीच एक बार आई टेस्ट करवा लेना सही साबित होगा।
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