कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा चिकना पदार्थ होता है, जो शरीर के हर सेल में पाया जाता है। शरीर को ठीक से काम करने के लिए थोड़ी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। यह सेल्स, हार्मोन और विटामिन-डी बनाने में मदद करता है।
अगर आपके ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाए, तो यह खतरनाक हो सकता है। ज्यादा कोलेस्ट्रॉल आपकी धमनियों की अंदरूनी दीवारों पर चिपकना शुरू कर देता है। इससे धमनियां संकरी हो जाती हैं या पूरी तरह ब्लॉक भी हो सकती हैं। यह कंडीशन आपको दिल की बीमारियों जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज और अन्य दिल रोगों के खतरे में डाल सकती है।
आज हम आपको बताएंगे कि अगर आपके पति का कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होता है। इसके बारे में हमें एलाईव हेल्थ की पोषण विशेषज्ञ और आहार सलाहकार, नौशीन शेख विस्तार से बता रही हैं। समय रहते जानकारी और सावधानी आपके अपनों को हेल्दी रखने में मदद कर सकती है। लेकिन, सबसे पहले हम जान लेते हैं कि कोलेस्ट्रॅाल के लेवल को कैसे मापते हैं?
कोलेस्ट्रॉल के लेवल को चेक करने के लिए एक ब्लड टेस्ट होता है, जिसे लिपिड पैनल या लिपोप्रोटीन टेस्ट कहते हैं। इस टेस्ट से पहले, आपको 9 से 12 घंटे तक भूखा रहना पड़ता है यानी पानी के अलावा कुछ भी खाना या पीना नहीं। यह टेस्ट आपको इन चीजों के बारे में जानकारी देता है-
यह आपके ब्लड में मौजूद कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा है। इसमें "बैड" कोलेस्ट्रॉल (LDL) और "गुड" कोलेस्ट्रॉल (HDL) दोनों शामिल होते हैं।
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इसे अक्सर "बैड" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यही कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होता है और उन्हें ब्लॉक करने का मुख्य कारण बनता है।
एचडीएल को अक्सर "गुड" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह आपकी धमनियों से कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है।
यह संख्या आपके कुल कोलेस्ट्रॉल में से आपके एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को घटाकर निकाली जाती है। इसमें एलडीएल और अन्य हानिकारक प्रकार के कोलेस्ट्रॉल जैसे वीएलडीएल (बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) शामिल होते हैं।
यह आपके ब्लड में एक और तरह की फैट है, जो दिल के रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।
हालांकि, ये लक्षण सीधे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण नहीं होते हैं, बल्कि कोलेस्ट्रॉल के कारण होने वाली अन्य समस्याओं, जैसे धमनियों में रुकावट के कारण दिखते हैं।
ब्लड फ्लो में कमी के कारण शरीर के सेल्स तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं। इससे लगातार थकान, कमजोरी और एनर्जी की कमी महसूस हो सकती है।
यदि दिल को पर्याप्त ब्लड नहीं मिल पा रहा है, तो थोड़ी सी भी फिजिकल एक्टिविटी करने पर सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
जब दिल को पर्याप्त ब्लड नहीं मिल पाता है, तब सीने में दर्द या प्रेशर महसूस हो सकता है, खासकर फिजिकल एक्टिविटी के दौरान। यह हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण धमनियों के संकरे होने का संकेत हो सकता है।
धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से हाथ-पैरों तक ब्लड का फ्लो कम हो जाता है, जिससे सुन्नपन, झुनझुनी या ठंडक महसूस हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल के कारण धमनियों टाइट और संकरी हो जाती है। इससे दिल को ब्लड पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
ये त्वचा के नीचे फैट का जमाव हैं, जो अक्सर पीले रंग की गांठों या उभारों के रूप में दिखाई देते हैं, खासकर कोहनी, घुटनों, हिप्स या आंखों के आसपास। ये शरीर में बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल होने का संकेत हो सकते हैं।
यदि कोलेस्ट्रॉल का लेवल 270 है, तो व्यक्ति को दिल से जुड़े रोग होने का खतरा ज्यादा होता है। दिल के रोगों से बचने के लिए नॉर्मल लेवल बनाए रखना जरूरी है।
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हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। इनमें हार्ट-हेल्दी डाइट, वेट मैनेजमेंट और रेगुलर एक्सरसाइज शामिल है। साथ ही, फाइबर युक्त फूड्स और प्रोटीन से भरपूर बैलेंस डाइट पर ध्यान दें।
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