मांसपेशियों का दर्द अगर आपको होता है तो आप समझ सकते हैं कि ये कितनी बड़ी समस्या है। अगर ये दर्द क्रॉनिक है यानि लंबे समय से बना हुआ है और जरूरत से ज्यादा परेशान कर रहा है तो यकीनन आपको दिक्कत होगी। इसे Myofascial Pain Syndrome भी कहा जाता है। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है और कई लोगों कुछ खास प्रेशर प्वाइंट्स में इसके कारण सेंसिटिविटी भी महसूस होती है।
अगर किसी को लगातार कहीं दर्द हो रहा है तो उससे काम आसानी से नहीं हो पाता और वो इंसान खुद को बहुत परेशान भी महसूस करता है। ऐसा अधिकतर होता है और इस समस्या के लिए आपको लगातार इलाज करवाते रहना पड़ता है। मौसम में बदलाव भी ऐसे दर्द को बढ़ा सकता है और इसलिए कुछ साधारण टिप्स ऐसे पता होने चाहिए जो इस तरह के दर्द से राहत दिला सकें।
क्रॉनिक मसल पेन के बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने मंडल रेल हॉस्पिटल भोपाल में कार्यरत फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर समर्थ सूर्यवंशी से बात की। उन्होंने हमें इससे जुड़े कई नियम बताए जो दर्द में राहत देने में मदद कर सकते हैं।
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मसल पेन अधिकतर 30-60 साल के लोगों में देखा गया है, लेकिन आजकल ओवर स्ट्रेचिंग या खराब लाइफस्टाइल के कारण ये टीनएजर्स और बच्चों में भी होता है। खराब पॉश्चर भी क्रॉनिक मसल पेन का एक बहुत अहम कारण है।
डॉक्टर समर्थ का कहना है कि मसल्स में टाइटनेस होना या स्पाज्म होना ही क्रॉनिक मसल पेन की निशानी नहीं है, लेकिन अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में लगातार दर्द काफी समय से बना हुआ है और उस जगह पर कई ट्रिगर प्वाइंट्स हैं तो ये क्रॉनिक हो सकता है। ये सारे ट्रिगर प्वाइंट्स बहुत सेंसिटिव होते हैं और जब भी कोई व्यक्ति इसे छूता है या फिर किसी वजह से यहां प्रेशर पड़ जाता है। ये दर्द दो तरह का होता है-
एक्टिव पेन- ये आपको पूरी मसल यूज नहीं करने देगा जैसे आपको कंधा उठाना है तो आप उठा नहीं पाएंगे।
लेटेंट पेन- लेटेंट का मतलब है कि बीमारी और भी पुरानी हो गई है जो अन्य एक्टिविटी में तो दर्द नहीं पैदा करते, लेकिन हाथ लगाने या फिर किसी भी वजह से प्रेशर पड़ने पर ये बहुत तेज दर्द देता है।
क्रॉनिक मसल पेन अगर सही समय पर डायग्नोज हो जाए तो ये ट्रीट किया जा सकता है और बड़ी समस्या से बचा जा सकता है। फिजियोथेरेपिस्ट आपके इस दर्द का बहुत आसानी से डायग्नोज कर सकते हैं और वो अलग-अलग टच तकनीक से इसका पता लगा सकते हैं। इसलिए अगर आपको ऐसा कोई पेन हो रहा है तो आपको जरूर एक बार फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लेनी चाहिए। इसमें ब्लड टेस्ट भी करवाया जाता है जो विटामिन-डी की कमी और हाइपर थायराइड की समस्या को टेस्ट करता है।
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इस तरह के दर्द को ठीक करने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह ली जाती है। इसके लिए कई तरह की थेरेपीज का इस्तेमाल होता है। क्रॉनिक पेन का इलाज इस हिसाब से तय होता है कि आपका दर्द आपकी दैनिक लाइफ में कितना असर डाल रहा है।
इसके लिए ट्रेडिशनल फिजियोथेरेपी जरूर ट्राई करनी चाहिए।
आप अपने क्रॉनिक मसल पेन को कम करने के लिए कुछ खास टिप्स भी अपना सकते हैं जैसे-
ओवरयूज न करें- जिस भी मसल में दर्द है उसे ओवरयूज करने की कोशिश बिल्कुल न करें। गर्दन झुकाकर फोन, लैपटॉप आदि कुछ भी देखना सही नहीं होगा।
पॉश्चर करेक्शन जरूर करें- अगर आपने अपने पॉश्चर को सही करना शुरू कर दिया तो मसल ओवरयूज से अपने आप बचा जा सकता है। कंधे और गर्दन न झुकाएं, पीठ में ज्यादा बल न दें और सीधे बैठने की कोशिश करें।
हाई सीटेड चेयर यूज करें- चेयर ऊपर हो और कम्प्यूटर नीचे हो ऐसा बिल्कुल न करें। मॉनिटर को हमेशा आई लेवल पर रखें इससे आपके मसल्स पर ओवर स्ट्रेन नहीं पड़ेगा।
कीबोर्ड का इस्तेमाल- कीबोर्ड दिन भर इस्तेमाल करते हैं तो एल्बो यानि कोहनी और हाथ को एक ही लेवल में रखें क्योंकि ऐसा करने से हाथों के आस-पास ट्रिगर प्वाइंट्स नहीं बनेंगे।
पैरों को जमीन पर ही रखें- अपने पैरों के दोनों पंजों को जमीन पर ही रखें। उन्हें ऊपर नीचे करने या फिर गलत पॉश्चर में रखने से हैमस्ट्रिंग्स का मसल पेन होता है।
एक्सरसाइज रेगुलर करें- मसल्स की स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथनिंग करना बहुत जरूरी है और आपको डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट का बताया रेगुलर एक्सरसाइज प्रोग्राम अपनाना चाहिए।
हेल्दी डाइट- अगर आपकी डाइट बैलेंस है तो इससे क्रॉनिक मसल पेन को रोका जा सकता है।
स्ट्रेस कम लें- अगर आप स्ट्रेस बढ़ाएंगे तो आपका पेन ट्रिगर होगा।
आपको सभी एक्टिविटी की सही तकनीक सीखनी होंगी जिससे क्रॉनिक मसल पेन को रोका जा सकता है और दर्द में आपको आराम मिल सकता है। ध्यान रहे कि आपको किसी सर्टिफाइड डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। आपकी सेहत बहुत जरूरी है और उसका ख्याल हमेशा रखें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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