मेनोपॉज का एक अहम लक्षण है हॉट फ्लैशेस। इसमें सिर और सीने से जरूरत से ज्यादा हीट निकलती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे शरीर का एस्ट्रोजन लेवल घट जाता है। इस दौरान अक्सर नाइट स्वेट्स होते हैं।
मेनोपॉज के पहले यानि प्रीमेनोपॉज साइकल में हॉट फ्लैशेस काफी आम होते हैं। अमूमन एक महिला को मेनोपॉज 44 से 55 साल की उम्र के बीच होता है। कई महिलाओं को हॉट फ्लैशेस के समय पसीना आने की समस्या नहीं होती है जबकि कुछ महिलाओं को इतना पसीना आता है कि उन्हें बार-बार कपड़े बदलने पड़ जाते हैं।
नाइट स्वेट्स को हमेशा हॉट फ्लैशेस से जोड़कर देखा जाता है। जब भी हॉट फ्लैशेस होते हैं तो वो 1 से लेकर 5 मिनट बने रह सकते हैं। मेनोपॉज के दौरान एक महिला को दिन में 4-5 बार हॉट फ्लैशेस से गुजरना पड़ सकता है।
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मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन लेवल काफी घट जाता है। हो सकता है दिमाग बॉडी टेम्प्रेचर को कंट्रोल करने के लिए एस्ट्रोजन लेवल को घटा दे। ऐसे में अगर शरीर के बाहर के माहौल में थोड़ा भी बदलाव आएगा तो उससे पसीना आएगा। ऐसा अक्सर रात के समय होता है।
1. स्किन का सेंसिटिव हो जाना
2. ब्रेन में केमिकल इम्बैलेंस होना
3. कोशिकाओं में ब्लड का फ्लो बढ़ जाना
स्मोकिंग, चुस्त या प्रतिबंधित कपड़े पहनना
बेड पर मोटे ब्लैंकेट या चादर का इस्तेमाल करना
शराब या कैफीन का सेवन
तीखा खाना
गर्म कमरों में रहना
जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना
जो महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर केयरफुल रहती हैं वो नाइट्स स्वेट्स की समस्या को आसानी से कंट्रोल कर सकती हैं।
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अगर कोई महिला हॉट फ्लैशेस की फ्रीक्वेंसी को कम करना चाहे तो एक्सरसाइज उसका बहुत अच्छा तरीका हो सकती है। ऐसे समय में शरीर का टेम्प्रेचर आस-पास के टेम्प्रेचर के हिसाब से खुद ब खुद कंट्रोल हो जाता है।
अपनी रोज़ाना की डाइट में अगर सोया शामिल किया जाए तो भी हॉट फ्लैशेस की समस्या कम हो सकती है। टोफू, सोयाबीन आदि का सेवन अपने रोज़ाना के खाने में करें। इससे काफी फायदा होगा।
इसी के साथ, अलसी के बीज खाना (Flax seeds) या फ्लैक्स सीड्स से बने सप्लिमेंट कैप्सूल या तेल लेना भी फायदेमंद हो सकता है। फ्लैक्स सीड्स के तेल को लिनसीड ऑयल भी कहा जाता है। ये हॉट फ्लैशेज कम करने में मदद करता है।
इसके अलावा भी कई तरीके हैं जिनकी मदद से नाइट स्वेट्स को मैनेज किया जा सकता है। ये हैं-
1. कमरे का एयर टेम्प्रेचर कंट्रोल रखिए
2. खुद को रिलैक्स रखना बहुत जरूरी है
3. अपने साथ हमेशा एक ठंडा और ताजगी भरा ड्रिंक रखना जरूरी है
कई महिलाएं ये मानती हैं कि उनके लिए अपने हॉट फ्लैशेज को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और कभी-कभी इनके कारण वो असहज महसूस करती हैं। ऐसे मौके पर नाइट स्वेट्स को कंट्रोल करने के लिए दवाइयां लेना भी एक तरीका हो सकता है।
महिलाओं के लिए हार्मोन थेरेपी एक अच्छा तरीका हो सकती है। हॉट फ्लैशेस को सही तरह से डील करने और असरदार नतीजों के लिए सही तरीका क्या हो सकता है ये जानने के लिए महिलाओं को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
हॉट फ्लैशेज को कम करने के लिए कई लोग एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयों का इस्तेमाल भी करते हैं।
नाइट स्वेट्स को आसानी से संभाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए महिला को मेनोपॉज की प्रक्रिया को धीरज के साथ झेलना चाहिए।
डॉक्टर उमा सिंह (MBBS, MS) को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए धन्यवाद।
References
https://www.medicinenet.com/night_sweats/article.htm
https://www.sleepfoundation.org/articles/four-common-causes-night-sweats
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