बढ़ती उम्र के साथ, महिलाएं इस बात को नोटिस करना शुरू कर देती हैं कि उनके सामान्य वजन को बनाए रखना अब मुश्किल है। यह विशेष रूप से महिलाओं के साथ मेनोपॉज के दौरान होता है। मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं के लिए रिप्रोडक्टिव स्टेज में पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज स्टेज तक उनके शरीर के परिवर्तन के रूप में वजन बढ़ना बेहद सामान्य है। वजन बढ़ने से कई हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे हाई ब्लड प्रेशर, तनाव, डायबिटीज, हार्ट डिजीज आदि हो सकती हैं। इसलिए वजन को नियंत्रित रखने और असामान्य रूप से इसे न बढ़ने देने के लिए कुछ आसान टिप्स को फॉलो किया जाना चाहिए।
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं का वजन क्यों बढ़ता है?
मेनोपॉज में होने वाले परिवर्तन और उम्र बढ़ने के कारक, एक महिला के जीवन की इस अवधि के दौरान वजन बढ़ाने में एक संयुक्त भूमिका निभाते हैं। वजन का बढ़ना ज्यादातर मामलों में पेट, थाइज और हिप्स के आसपास के हिस्सों में देखने को मिलता है। यह हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है जो शरीर में मेनोपॉज के दौरान होता है। एस्ट्रोजन का लेवल कम होने के कारण, मेटाबॉलिक रेट गिरता है, जिससे वजन बढ़ता है।
इसके अलावा, बढ़ती उम्र के साथ, शरीर में मसल्स मास गिरने लगता है, जबकि फैट अनुपात बढ़ता है। अगर कोई भी फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाए बिना पहले जैसी ही डाइट लेता है, तो शरीर का वजन बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर अब नेचुरल तरीके से फैट जलाने में मदद नहीं करता है। पर्याप्त नींद न लेना, एक्सरसाइज का अभाव और अनहेल्दी डाइट ये सभी कारण वजन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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मेनोपॉज के दौरान बढ़ते वजन को कैसे रोक सकते हैं?
- एक्सरसाइज ही कुंजी है - आपका शरीर जितना ज्यादा एक्टिव होगा, वजन उतना ही तेजी से कम होगा। इसलिए रोजाना कम से कम 10 मिनट के लिए एरोबिक एक्सरसाइज वजन को कंट्रोल में रखने का बेस्ट तरीका माना जाता है। एक्सरसाइज के साथ, आप मसल्स को पाते हैं, जो शरीर को फैट जलाने की ओर ले जाता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप शरीर में फैट जमा न करें, जिससे वजन बढ़ जाता है। एरोबिक एक्सरसाइज के अलावा, ऐसा वर्कआउट जो आपकी ताकत बढ़ाने में मदद करता है, उसे भी हफ्ते में कम से कम 3 बार जरूर किया जाना चाहिए।
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या वेट-रेजिस्टेंस एक्सरसाइज प्रोग्राम, मसल्स के निर्माण और मेटाबॉलिज्म में सुधार करने में मदद करता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग आपको बोन मास बनाए रखने में भी मदद करती है, क्योंकि आप अपनी उम्र के अनुसार मसल्स खो देते हैं, अपने वर्कआउट में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल करें, अगर आपने पहले नहीं किया है। हफ्ते में 2 या 3 बार का लक्ष्य बनाएं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के उदाहरणों में वेट मशीन, डम्बल, एक्सरसाइज बैंड, योग और गार्डनिंग शामिल हैं। इस परेशानी के बारे में भी जानें:मेनोपॉज के दौरान क्यों होता है सिरदर्द और कैसे मिल सकती है इस समस्या में राहत, जानिए
- लो इम्पैक्ट एरोबिक्स आपके हार्ट और लंग्स के लिए अच्छी एक्सरसाइज हैं। उदाहरण के लिए, वॉकिंग सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है, क्योंकि आप इसे कहीं भी, कभी भी कर सकते हैं। एरोबिक एक्सरसाइज के अन्य उदाहरणों में स्विमिंग, साइकिलिंग, एरोबिक्स, टेनिस और डांस शामिल हैं। कम से कम 30 मिनट के लिए मध्यम गति वाली एक्सरसाइज करें, रोजाना नहीं तो कम से कम हफ्ते में 5 बार जरूर करें।
- डाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है - इस उम्र में, पहले की अपेक्षा आपके शरीर को कम कैलोरी की आवश्यकता होती है। इसका मतलब पोषण पर समझौता करना नहीं है, लेकिन आप क्या खाते हैं इसका अधिक ध्यान रखना है। इस बात का ध्यान रखें कि आपका शरीर किसी भी आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित न हो, लेकिन ऐसी चीजों को लेने से बचें, जिन्हें पचाना मुश्किल होता है।

अच्छे पोषण के लिए कुछ जरूरी टिप्स-
- साबुत अनाज, फल, सब्जियां और लीन प्रोटीन चुनें।
- प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें।
- एक फूड डायरी बनाएं, या अपने सेल फोन पर ऐसे ऐप्स या कंप्यूटर पर प्रोग्राम का पता लगाएं, ताकि आप यह देख सकें कि आप कितनी कैलोरी ले रहे हैं।
- शाम को देर से भोजन न करें।
- जब आप बाहर खाना खाते हैं, तो आधा सर्विंग होम लें।
- कम मात्रा में लेकिन अधिक बार खाएं।
- अल्कोहल का सेवन कम करें - यह एक अनावश्यक एहतियाती उपाय की तरह लग सकता है, लेकिन इस उम्र में अल्कोहल फायदे से ज्यादा नुकसान करता है। यह न केवल आपकी डाइट में बहुत ज्यादा कैलोरी जोड़ता है, बल्कि शरीर में खासकर पेट और पेट के आस-पास के हिस्से में फैट भी बढ़ाता है।
- ऐसे लोगों से मिले-जुले, जो अच्छी डाइट लेते हैं और फिजिकल एक्टिविटी उनके रुटीन का हिस्सा है। इस उम्र में, सोशल लाइफ बेमानी लग सकती है, लेकिन यह आपको एक से अधिक तरीकों से मदद करती है। अपने आप को उन लोगों के साथ जोड़ना, जो अपनी डाइट का ध्यान रखते हैं और फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, आपको इंस्पायर रहने और इसे फॉलो करने में मदद करता है।
- कुछ सबूत बताते हैं कि एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी शरीर की मेटाबॉलिक दर को बढ़ाती है और वजन कम करने में मदद करती है।
- सिर्फ इस बात का ध्यान रखें कि जीवन के इस पड़ाव पर अपने वजन को कम रखने के लिए डाइट और लाइफस्टाइल में स्थायी बदलाव करना जरूरी है। वजन बढ़ने से बचना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। ऊपर बताए गए आसान टिप्स को अपनाकर आप मेनोपॉज के दौरान होने वाली इस चिंता को कम कर पाएंगे।
डॉक्टर उमा सिंह (MBBS, MS) को एक्सपर्ट सलाह के लिए विशेष धन्यवाद।
Reference:
https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/womens-health/in-depth/menopause-weight-gain/art-20046058
https://www.webmd.com/menopause/guide/menopause-weight-gain-and-exercise-tips#2
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