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तेजी से फैल रहे इस मीठे जहर से बचना है जरूरी, महिलाएं अपनाएं हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल

अगर महिलाएं टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल करना चाहती हैं तो आज से ही हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल अपनाना शुरू कर दें।
Editorial
Updated:- 2019-03-06, 15:24 IST

डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 दो तरह की होती है। टाइप-1 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या फिर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, और इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ टाइप-2 डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में आपको प्यास ज्‍यादा लगती है, बार-बार यूरिन आता है और लगातार भूख लगना जैसे समस्‍याएं हो सकती हैं। जी हां टाइप-2 डायबिटीज जिससे आज लगभग हर दूसरा व्‍यक्ति परेशान हैं और इससे बचने के उपायों की खोज करता है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं क्‍योंकि एक रिसर्च में पाया गया है कि विटामिन-सी की खुराक लेने से डायबिटीज रोगियों को दिनभर में बढ़ा हुआ ब्‍लड शुगर लेवल कम करने में हेल्‍प मिल सकती है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि विटामिन-सी टाइप-2 डायबिटीज वालों में ब्‍लड प्रेशर को कम करता है, जिससे हार्ट की हालत अच्छी रहती है।

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सच तो यह है कि फिजिकल एक्टिविटी, अच्छा पोषण और डायबिटीज की दवाएं मानक देखभाल तथा टाइप-2 डायबिटीज मैनेज के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, कुछ लोगों को दवा के साथ भी अपने ब्‍लड शुगल लेवल को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है। यह ध्यान देने वाली बात है कि भारत में डायबिटीज से पीड़ित 25 वर्ष से कम आयु के हर 4 लोगों में से एक (25.3 प्रतिशत) को वयस्क टाइप 2 डायबिटीज है। यह स्थिति आदर्श रूप में डायबिटीज, मोटापा, अनहेल्‍दी डाइट और निष्क्रियता के पारिवारिक इतिहास वाले केवल बड़े वयस्कों को होनी चाहिए।

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टाइप-2 डायबिटीज

टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्ति में, शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता है और इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है। पेंक्रियास पहले इसके लिए अतिरिक्त इंसुलिन बनाता है। हालांकि, समय के साथ, यह ब्‍लड शुगर को नॉर्मल लेवल पर रखने के लिए पर्याप्त नहीं बना पाता है। हालांकि इस स्थिति के लिए सटीक ट्रिगर ज्ञात नहीं है, टाइप 2 डायबिटीज कारकों के संयोजन का एक परिणाम हो सकता है। कुछ ट्रिगर आनुवंशिक रूप से इस स्थिति के लिए पूर्वनिर्धारित हो सकते हैं।

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टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम कारक

पद्मश्री डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष का कहना हैं कि ''मोटापे के पारिवारिक इतिहास वाले लोग इंसुलिन प्रतिरोध और डायबिटीज के विकास के जोखिम में हैं। जो लोग मोटे हैं, उनके शरीर में ब्‍लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में इंसुलिन का उपयोग करने की क्षमता पर प्रेशर बढ़ जाता है। इससे टाइप-2 डायबिटीज हो सकती है। किसी व्यक्ति की बॉडी में जितना अधिक फैट युक्त टिश्‍यु होते हैं, उसकी सेल्‍स उतनी ही अधिक प्रतिरोधी होती हैं। लाइफस्‍टाइल की भी इसमें प्रमुख भूमिका होती है।''

exercise for type two diabetes

टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं। उनमें से कुछ में प्यास और भूख में वृद्धि, बार-बार यूरीन की इच्छा होना, वजन कम होते जाना, थकान, धुंधली दृष्टि, इंफेक्‍शन और घावों का धीमी गति से भर पान तथा कुछ क्षेत्रों में त्वचा का काला पड़ना शामिल हैं।

 



हेल्‍दी डाइट आमतौर पर अनहेल्‍दी डाइट की तुलना में अधिक महंगा होती है। कम पोषक तत्वों वाले सस्ते भोजन की व्यापक उपलब्धता से टाइप 2 डायबिटीज की वैश्विक महामारी में इजाफा होता है। सब्जियों, ताजे फलों, साबुत अनाजों और असंतृप्त फैट जैसे टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने वाले फूड्स की व्यापक रूप से उपलब्धता और दाम कम किये जाने की आवश्यकता है।

foods for type two diabetes

टाइप 2 डायबिटीज से बचने के टिप्‍स

  • अधिक से अधिक एक्‍सरसाइज करें। एक्‍सरसाइज से विभिन्न लाभ होते हैं, जिनमें वजन बढ़ना, ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना और अन्य स्थितियां शामिल हैं। हर दिन कम से कम 30 मिनट की एक्‍सरसाइज बहुत फायदेमंद है।
  • हेल्‍दी डाइट लें। साबुत अनाज, फल और सब्जियों से भरपूर डाइट बॉडी के लिए बहुत अच्छा होता है। फाइबर युक्‍त फूड्स यह सुनिश्चित करेगा कि आप लंबी अवधि के लिए पेट भरा महसूस करें और किसी भी तरह की तलब को रोकें। जितना हो सके, प्रोसेस्ड और रिफाइंड फूड से बचें।
  • शराब के सेवन को सीमित करें और स्‍मोकिंग छोड़ दें। बहुत अधिक शराब वजन बढ़ाने की ओर ले जाती है और आपके ब्‍लड प्रेशर और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को बढ़ा सकती है। पुरुषों को दो ड्रिंक प्रतिदिन और महिलाओं को एक ड्रिंक प्रतिदिन तक सीमित रखना चाहिए। स्‍मोकिंग करने वालों को स्‍मोकिंग न करने वालों की तुलना में डायबिटीज का दोगुना रिस्क रहता है। इसलिए, इस आदत को छोड़ना एक अच्छा विचार है।

अपने जोखिम कारकों को समझें। ऐसा करना आपको जल्द से जल्द निवारक उपाय करने और जटिलताओं से बचने में मदद कर सकता है।

 

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