हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग एक कार्डियो-रेस्पिरेटरी ट्रेनिंग है, जिसमें शॉर्ट ड्यूरेशन, 30 सेकेंड से 2 मिनट की हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज शामिल होती है। इस एक्टिविटी को बार-बार करना पड़ता है, जिससे ये मसल्स को मेटाबॉलिक वेस्ट निकालने और ज्यादा एनर्जी बनाने देती है। लेकिन इसे लेकर कई लोगों के मन में कुछ भ्रम हैं, इसलिए हम आपको इन भ्रम और इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जब हमारे पास एक्सरसाइज करने का समय नहीं है, तब ऐसे समय में HIIT कैलोरीज बर्न करने का सबसे असरदार तरीका है। यह ऐसा है, जिसे हर कोई करना चाहता है। हालांकि इसे दिन में कम से कम 30 मिनट करने के लिए कहा जाता है। इसे हर दिन करने के लिए नहीं कहा जा सकता। हाई-इंटेंसिटी ट्रेनिंग आपके शरीर पर बहुत ज्यादा दबाब डालती है। यह ओवरट्रेनिंग में कंवर्ट हो सकती है। आपको चोटिल कर सकती है। रिकवरी प्रोसेस में जो आराम मसल्स को मिलना चाहिए, वो मिल नहीं पाता। इसलिए अपने वर्कआउट्स को हर दूसरे दिन में कीजिए। अगर आप एक दिन लेग की एक्सरसाइज कर रही हैं, तो अगले दिन अपर बॉडी की एक्सरसाइज कीजिए और बीच में थोड़ा आराम कीजिए।
कुछ लोगों को लगता है कि इस तरह की ट्रेनिंग आपके ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाती है। लेकिन इससे उलट, यह ट्रेनिंग अन्य एक्सरसाइज के समान ही ब्लड प्रेशर को आराम देने में मदद करती है। इससे आपके ब्लड प्रेशर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। HIIT वर्कआउट ब्लड शुगर को नियंत्रित करके आपके एनर्जी लेवल को बनाए रखते हुए इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार करता है।
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HIIT दुबली मांसपेशियों में मास बढ़ाता है। जब आप फैट बर्न करते हैं, तब आपकी मांसपेशियां ज्यादा डिफाइन्ड लगती हैं। सिर्फ इसलिए कि आप एक हाई-इंटेंस ट्रेनिंग कर रही हैं, जरूरी है अपनी फॉर्म से समझौता न करें। अगर आप पूरी गति से ट्रेनिंग नहीं करेंगी, तो आपके शरीर को जरूर महसूस होगा कि आपने वर्कआउट किया मगर आपकी मांसपेशियों को वो कंट्रैक्शन नहीं मिल पाएगा और आप अपने गोल तक नहीं पहुंच पाएंगी। साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि आप वॉर्म अप जरूर करें। बिना वॉर्म अप के पूरे चांस हैं कि आपको चोट लग सकती है।
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बहुत ज्यादा करने से आप बीमार हो सकते हैं। यह तो एक तथ्य है कि नियमित एक्सरसाइज आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। मगर वहीं दूसरी तरफ अगर आपका शरीर 85-95% से भी अधिक वर्कआउट कर रहा है, तो वह स्ट्रेस होर्मोन्स के साथ ही अच्छे होर्मोन्स जैसे एड्रेंलाइन, एंडोर्फिन और कॉर्टिसोल भी निकालता है। स्ट्रेस आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है और आपका शरीर वायरस अटैक्स के लिए अंसवेदनशील हो जाता है।
HIIT वर्कआउट एनर्जी के लिए स्टोर की हुई मांसपेशी ग्लाइकोजन का उपयोग करता है न कि फैट स्टोर का। जब आप फैट बर्न कर रही होती हैं, तो आप अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने पर भी काम कर रही होती हैं। आप स्लिमर दिख सकती हैं लेकिन जैसे-जैसे मांसपेशियां डेंस होती हैं, उनके कारण आप अंत में हेवी दिख सकती हैं। HIIT ह्यूमन ग्रोथ होर्मोन और टेस्टोस्टेरोन को निकालने के लिए ट्रिगर करता है, जो दोनों फैट को मेटाबॉलाइज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सुबह उठने के तुरंत बाद खाली पेट इस ट्रेनिंग को करने की सलाह बिल्कुल नहीं दी जाती। अपने शरीर को उठने के बाद कम से कम 30 मिनट दीजिए। वर्कआउट से पहले हल्का ब्रेकफास्ट कीजिए, क्योंकि किसी हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट को करने के लिए आपके शरीर को फ्यूल की जरूरत होती है।
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