'फिटनेस ही लाइफ है', इस बात आज हर कोई जानता और मानता है। इसी फिलोसॉफी को ध्यान में रखते हुए लिडिंग फिटनेस ब्रांड रिबॉक ने लगातार ladies को मेंटली, फिजिकल और सोशली फिट रहने के लिए प्रोत्साहित किया है। और पिछले साल की शुरुआत में, ब्रांड एंबेसडर कंगना राणौत के साथ #FitToFight कैंपेन को लॉन्च करके ladies को न केवल फिजिकली बल्कि मेंटली और सोशली भी खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित किया।
इस साल भी फिटनेस ब्रांड #FitToFight 2017 ladies के दो सबसे बड़े culprit यानि छेड़खानी और inequality से लड़ने के लिए वापस आया है। फिटनेस रिबॉक में बसा है और फिटनेस के प्रति विश्वभर में फेमस है। इस ब्रांड का उद्देश्य फिटनेस को लाइफ का important पार्ट बनाना है ना कि डेली रूटीन।
सदियों से दुनिया भर में लेडीज को रूढिवादी धारणा के अंतर्गत बांधा जाता है- और यह समाज उनसे एक निश्चित तरीके के व्यवहार की उम्मीद करता है। सबसे बड़ा रूढि़वाद विचार यह है कि लड़कियों को लड़ाई नहीं करनी चाहिए। जब कोई पुरुष लड़ाई को चुनता है तो गलत होने के बावजूद उसे एक नेता और फाइटर माना जाता है और समाज उसे एक आसन पर बैठता है। लेकिन जब एक महिला ऐसा ही कुछ चुनती है तो उसे बिगड़ी और घमंडी माना जाता है।
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इस कैंपेन के साथ, रिबॉक ने स्टैंड लिया कि महिलाओं को लड़ना नहीं चाहिए, यह दुनिया का विश्वास गलत है। एक महिला का जन्म एक योद्धा की तरह होता है और वह हर परिस्थितियों में सबसे आगे होती है।
‘Girls Don’t Fight’ में आम भारतीयों को रखा गया है और बताया है कि कैसे फिटनेस उन पर आने वाली समस्याओं से निपटने में मदद करती है? उनका फोकस रूढि़वादी विचार को तोड़ना और चुनौतियों का सामना करना है और ऐसा करने में, रिबॉक का लक्ष्य है कि हर महिला इस रूढि़वादी विचार को तोड़कर विश्व को बताएं कि महिलाएं वास्तव में लड़ सकती है। ‘Girls Don’t Fight’, से रिबॉक वूमेन को मेंटली, फिजिकल और सोशली फिट रहने के लिए प्रेरित कर रहा है, ताकि वह क्या सही है? और अन्याय और भेदभाव के खिलाफ खड़ी हो सकें। इसके लिए वह फिजिकल फिटनेस पर ध्यान देता है ताकी मन को ताकत मिल सकें।
इस कैंपेन के बारे में बात करते हुए, ब्रांड एम्बेसडर कंगना रनौत, रिबॉक इंडिया में कहा, ''मैं इस इंडस्ट्री में 11 साल से हूं और लगातार गलत धारणाओं से जूझ रही हूं और एक दिन ऐसा आया कि मैंने इन रूढि़वादी विचारों को तोड़ा। इसलिए, मैं रिबॉक के FitToFight कैंपेन और खासतौर पर इस साल के थीम ‘Girls Don’t Fight’ को बहुत अच्छी तरह से पहचानती हूं। रिबॉक ने दो प्रॉब्लम्स को उठाया है, और कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया जिनका दुर्भाग्यवश हम लड़कियां जीवन के कुछ बिंदु पर सामना करती हैं। मेरा विश्वास है कि कठिनाइयों और आशा, लड़ाई और ताकत, दु:ख और विश्वास हर महिला की एक कहानी है- और मुझे आशा है कि #FitToFight के माध्यम से इन कहानियों को दूसरों के लिए प्रेरित करने के लिए एक मंच मिल जाएगा।''
कैंपेन के माध्यम से, रिबॉक ने पुराने स्टीरियोटाइप्स के खिलाफ एक स्टैंड लिया है और 'वूमेन फर्स्ट' ब्रांड के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
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