गर्मियों के मौसम में कई संब्जियां बहुतायत में उपलब्ध होती हैं। ये सब्जियां न सिर्फ स्वाद से भरपूर होती हैं बल्कि सेहत के लिए भी कई तरह से लाभदायक होती हैं। खासतौर पर कुकुरबिटेसी फैमिली की सब्जियां जैसे लौकी, तुरई, कद्दू और टिंडा गर्मियों में खासतौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है। इसी श्रेणी में एक सब्जी है टिंडा जिसका इस्तेमाल बहुतायत में गर्मी के मौसम में किया जाता है।
यह सब्जी स्वाद से भरपूर होने के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद है। आइये नई दिल्ली की जानी मानी डॉक्टर आकांक्षा अग्रवाल (BHMS) से जानें इसके सेहत से जुड़े कुछ ऐसे फायदों के बारे में जिन्हें सुनकर आप भी इसे अपनी गर्मियों की डाइट का हिस्सा जरूर बनाएंगे।
लौकी परिवार के अधिकांश वनस्पतियों की तरह टिंडा भी स्वाद से भरपूर होने के साथ कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन और फाइबर, विटामिन और खनिजों जैसे महत्वपूर्ण यौगिक मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से टिंडे को गर्मियों की डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
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टिंडा में कैलोरी की मात्रा बहुत काम होती है। इसलिए इसका इस्तेमाल सब्जी के रूप में करने से भरपूर आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और कम कैलोरी की वजह से वजन घटाने में भी मदद मिलती है। टिंडा उन लोगों द्वारा नियमित रूप से लिया जा सकता है जो वजन कम करने के लिए सख्ती से आहार व्यवस्था का पालन कर रहे हैं, खासकर मधुमेह वाले लोगों के लिए ये बेहद फायदेमंद सब्जी के रूप में काम करता है। टिंडा फाइबर तत्वों से भी भरपूर होता है जिसे पेट में आसानी से संसाधित किया जा सकता है, इसे आहार के रूप में लेने से पेट काफी देर तक भरा हुआ महसूस होता है और भूख नहीं लगती है। जिससे वजन नियंत्रित रहता है।
दिल की सेहत को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से आहार में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का सेवन न के बराबर करना चाहिए। टिंडा का सेवन ह्रदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और ह्रदय सम्बन्धी कई समस्याओं से निजात दिलाता है। यह हृदय की मांसपेशियों के इष्टतम कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए, हृदय से रक्त के परिसंचरण में सुधार करता है।
टिंडा शरीर में उत्सर्जन प्रणाली के माध्यम से शरीर के कचरे के सामान्य उन्मूलन को उत्तेजित करता है। यह गुर्दे के भीतर तरल पदार्थों के स्राव को बढ़ाता है, तुरंत संचित विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने के साथ ही शरीर में आंतरिक अंगों के उचित जलयोजन की गारंटी भी देता है। टिंडा का रस गुर्दे और मूत्राशय के नियमित कार्यों का समर्थन करता है। इसका इस्तेमाल किडनी से विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए किया जाता है।
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टिंडा में एक महत्वपूर्ण फाइबर सामग्री होती है, जो भारी भोजन के अंतर्ग्रहण पर पेट की कब्ज, सूजन और ऐंठन को रोकने में मदद करती है। इसके अलावा, इसकी रेचक प्रकृति आंत्र आंदोलनों को नियंत्रित करती है, जिससे आंत में किसी भी असुविधा का अनुभव नहीं होता है।
टिंडा में विटामिन ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है। विटामिन ए आंखों की दृष्टि बनाए रखने के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। इसलिए टिंडा को अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बनाकर आंखों की रोशनी को बढ़ावा दिया जा सकता है।
टिंडा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं, जो त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने के साथ त्वचा सम्बन्धी कई विकारों जैसे एक्ने और ब्लैकहेड्स की समस्या से भी छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
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