Veda Vyasa Cave Near Badrinath Temple: भारत में बद्रीनाथ मंदिर का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। यह मंदिर चारधाम यात्रा में से एक माना जाता है।
ठंड में बद्रीनाथ मंदिर करीब 6 महीने तक बंद रहता है, लेकिन जब भी मंदिर का कपाट खुलता है, तो लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस साल 4 मई को ही मंदिर का कपाट भक्तों के लिए खोल दिया गया था।
भक्त जब बद्रीनाथ मंदिर का दर्शन करने जाते हैं, तो सिर्फ मंदिर का दर्शन करके ही वापस लौट जाते हैं और पास में ही स्थित वेद व्यास गुफा को एक्सप्लोर करना भूल जाते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों वेद व्यास गुफा खास है और इसके आसपास में अन्य और कौन सी जगहें मौजूद हैं, जिन्हें एक्सप्लोर किया जा सकता है।
बद्रीनाथ मंदिर से वेद व्यास गुफा की दूरी करीब 5 किमी है। बद्रीनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आप टैक्सी या कैब भाड़े पर लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि बद्रीनाथ मंदिर से वेद व्यास गुफा भाड़े की गाड़ी चलती रहती है, जिसका किराया 50-100 रुपये के बीच में होता है।
बद्रीनाथ मंदिर से वेद व्यास गुफा की दूरी जानने के बाद यह जान लेते हैं कि वेद व्यास गुफा क्यों प्रसिद्ध है। दरअसल, वेद व्यास गुफा के बारे में कहा जाता है कि हजारों साल पहले महर्षि वेद व्यास इसी गुफा में निवास करते हैं। मान्यता के अनुसार इसी गुफा में महर्षि वेद व्यास रहकर वेदों और पुराणों का संकलन किया था। इसलिए इस गुफा को बेहद खास माना जाता है।
वेद व्यास गुफा की पौराणिक कथा काफी दिलचस्प है। मान्यता है कि इस गुफा की कथा महाभारत काल से है। किवदंती के अनुसार यह माना जाता है कि वेद व्यास गुफा में ही वेद व्यास ने भगवान गणेश की सहायता से महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। इसके अलावा, वेद व्यास गुफा की छत भी किसी रहस्यमयी कहानी से कम नहीं है।
वेद व्यास गुफा की छत की कहानी भी भक्त और पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है। मान्यता है कि जब महर्षि व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के कुछ पन्ने लिखवाए थे, तब उन पन्नों को शामिल नहीं किया और बाद मे अपनी शक्ति से महर्षि व्यास ने उसे पत्थर में बदल दिया था।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस पन्ने को महर्षि व्यास ने पत्थर में तब्दील किया था, उसी पत्थर से छत का निर्माण किया गया। कहा जाता है कि व्यास गुफा की छत ऐसी गलती है जैसे एक पन्ने के ऊपर दूसरा-तीसरा पन्ना रखा गया है। यह भी माना जाता है कि जिस पन्ने को महाभारत में शामिल नहीं किया, उसके बारे में सिर्फ भगवान गणेश और महर्षि व्यास ही जानते थे।
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वेद व्यास गुफा के आसपास ऐसी कई शानदार और हसीन जगहें मौजूद हैं, जिन्हें एक बार एक्सप्लोर करने के बाद आप खुशी से झूम उठेंगे। इसके लिए सबसे पहले आप माणा गांव जा सकते हैं। माणा गांव को भारत का अंतिम गांव माना जाता है, जो तिब्बत की सीमा के पास है।
माणा गांव के बाद आप वसुधारा वॉटरफॉल को एक्सप्लोर कर सकते हैं, जो वेद व्यास गुफा से कुछ ही दूरी पर मौजूद है। कहा जाता है कि इस झरने का नाम भगवान विष्णु के वासुदेव से पड़ा है। इसके अलावा, आप वेद व्यास गुफा के लुभावने दृश्यों को भी कैमरे में कैद कर सकते हैं।
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