Interesting Facts: आखिर क्यों रेल पटरी के बीच में रखा जाता है गैप

आपने अक्सर यह देखा होगा कि रेलवे ट्रैक पर जहां-जहां भी पटरियों को जोड़ा जाता है, वहां दो पटरियों के बीच में एक गैप दिखाई देता है। ऐसा किस कारण से होता है चलिए आपको बताते हैं।

 
reasons why there is gap in middle of the railway tracks

ट्रेन से हर रोज लाखों लोग ट्रैवल करते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिन्हें ट्रेन से जुड़ी कुछ खास बातें और फैक्ट्स पता नहीं होते हैं। आपने कई बार यह नोटिस किया होगा कि रेलवे ट्रैक पर जहां-जहां भी पटरियों को जोड़ा जाता है, वहां दो पटरियों के बीच में एक गैप दिखाई होता है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि रेल हादसे को रोकने के लिए ऐसा किया जाता है।

क्यों होता है रेल पटरी के बीच गैप?

railway track facts

आपको बता दें कि थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पटरियों को फिश प्लेट की मदद से जोड़ा जाता है। रेलवे ट्रैक पर जहां-जहां भी पटरियों को जोड़ा जाता है, वहां-वहां दो पटरियों के बीच में एक गैप दिखाई देता है और इससे किसी तरह का कोई रेल हादसा रोकने के लिए किया गया है।

पटरियों के बीच में इस तरह के गैप को छोड़ने के पीछे का मुख्य कारण है कि भीषण गर्मी के समय लोहे से बनी पटरियां भारी-भरकम ट्रेनों के भार से फैलने लगती हैं जबकि सर्दियों में ये सिकुड़ जाती हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि यह लोहे का सामान्य व्यवहार होता है। ऐसे में थोड़ा-थोड़ा गैप इनके बीच में छोड़ा जाता है। गर्मी में जब ये पटरियां ट्रेन के वजन से फैल जाती है तो इन्हें गैप की वजह से जगह मिल पाती है। अगर ये गैप न हो तो पटरियों पर काफी जोर पड़ेगा और उनमें क्रैक भी आ सकता है।

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रेल पटरी के बीच कितनी दूरी होती है?

किसी रेलवे लाइन की दो समानांतर पटरियों के अंदर के पक्षों के बीच की दूरी 3.50 मीटर होनी चाहिए। वहीं बड़ी लाइन में रेल पटरियोंके बीच की दूरी 1 मीटर ही होती है जबकि ब्रॉडगेज में पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर होती है।

इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि भारतीय रेलवे में दो पटरियों में लगी 'वी' पटरियों का काम चलने के लिए नहीं होता है, बल्कि मेन ट्रैक को मजबूती प्रदान करने के लिए इन पटरियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे गार्ड रेल भी कहा जाता है।इसे भी पढ़ेंः ट्रेन टिकट पर मिलता है 10 लाख का इंश्योरेंस बुकिंग के समय ना करें कंजूसी

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image credit- freepik

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