Machail Mata Temple In Jammu And Kashmir: देश में जम्मू कश्मीर को धरती का स्वर्ग माना जाता है। जम्मू कश्मीर की खूबसूरती इस कदर प्रचलित है कि यहां सिर्फ देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटक भी घूमने के लिए पहुंचते हैं।
जम्मू कश्मीर में स्थित श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग या पहलगाम जैसी खूबसूरत जगहों के बारे में लगभग हर कोई जानता होगा, लेकिन धरती के स्वर्ग में स्थित मचैल माता मंदिर के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे।
मचैल मंदिर आजकल जम्मू कश्मीर से लेकर देश के कई राज्यों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको मचैल माता मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा लेकर आसपास में स्थित कुछ शानदार जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मचैल माता मंदिर का इतिहास
मचैल माता मंदिर का इतिहास जानने से पहले आपको यह बता दें कि मचैल माता मंदिर को मचैल चांदी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित है। यह मुख्य शहर से करीब कुछ दूरी पर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
मचैल माता मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि मंदिर का इतिहास जोरावर सिंह कहलूरिया और ठाकुर कुलवीर सिंह जैसे धार्मिक व्यक्तियों से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इसका निर्माण कब और किसने किया इसका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है।
मचैल माता मंदिर की पौराणिक कथा
समुद्र तल से करीब 9 हजार से भी अधिक फीट की ऊंचाई पर मौजूद मचैल माता मंदिर, मां दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर को जम्मू कश्मीर का चमत्कारी मंदिर माना जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां स्थित देवी अपने भक्तों की रक्षा करती है।
मचैल माता मंदिर को लेकर एक अन्य कहानी है कि जब जम्मू कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया तब एक भारतीय कर्नल ने मंदिर में मन्नत मांगी कि अगर वो जीत गए तो मंदिर में भव्य यज्ञ का आयोजन करवाएंगे। जीत के आप कर्नल ने धूमधाम के साथ पूजा पाठ की थी। तब से इस मंदिर को स्थानीय लोग एक चमत्कारी मंदिर मानते हैं।
मचैल माता मंदिर क्यों चर्चा में है?
मचैल माता मंदिर आजकल इसलिए चर्चा के केंद्र में बना हुआ है, क्योंकि कुछ समय बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद कर दिया गया है। स्थानीय परंपरा के अनुसार इस साल 15 जुलाई से लेकर 25 जुलाई तक मंदिर का कपाट बंद रहेगा। मान्यता है कि इस बीच मंदिर का दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है।
मचैल माता मंदिर के कपाट बंद होने और खुलने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। 25 जुलाई के दिन विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।
मचैल माता मंदिर पहुंचना आसान नहीं
अगर आप यह सोच रहे हैं कि मचैल माता का दर्शन करना आसान है, तो आपको बता दें कि आप गलत सोच रहे हैं। आपको बता दें कि मचैल माता मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है, क्योंकि आसपास गाडियां नहीं जाती हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ और झील-झरनों के बीच में गुजरना पड़ता है।
आपको यह भी बता दें कि हर साल अगस्त में भद्रवाह से मचैल तक छड़ी यात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारी संख्या में भक्त अपनों-अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं। यात्रा के दौरान मंदिर के आसपास में मेले का भी आयोजन होता है।
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मचैल माता मंदिर के आसपास घूमने की जगहें
अगर आप मचैल माता मंदिर का दर्शन करने जा रहे हैं, तो आसपास में स्थित कई शानदार और मनमोहक जगहों को एक्सप्लोर कर सकते हैं। जैसे- किश्तवाड़ नेशनल पार्क, त्रिगम और पद्दर जैसी जगहों को एक्सप्लोर कर सकते हैं। इसके अलावा, मचैल माता मंदिर ट्रेकिंग के दौरान आप लुभावने दृश्यों को कैमरे में कैद कर सकते हैं।
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