प्राचीन काल से ही कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है के भगवान शिव अपने पूरे परिवार समेत कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। इस पर्वत को रहस्यमई गुप्त और पवित्र स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि इसकी परिक्रमा करना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी है। लेकिन ऐसा क्या है कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउन्ट एवेरेस्ट लगभग 2200 मीटर कम ऊंचाई होने पर भी बड़े -बड़े पर्वतारोही आज तक इस पर्वत की चढ़ाई नहीं कर पाए हैं। आइए जानें इससे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में।
भगवान शिव का है निवास
कहा जाता है कि आज भी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव का निवास है। यही वजह है कि कोई भी पर्वतारोही कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाता है। कई बार लोगों ने यहाँ चढ़ने का प्रयास किया लेकिन कभी कोई रास्ता भटक गया तो कोई बर्फीले तूफानों में फस गया और कैलाश पर्वत तक पहुँच नहीं पाया। पौराणिक कथाओं के अनुसार कैलाश पर्वत को भगवान शंकर का निवासस्थान माना जाता है और लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ आज भी रहते हैं।
महान नदियों का उद्गम स्थान
कैलाश पर्वत चार महान नदियों सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा का उद्गम स्थल है। इसके अलावा इसकी चोटियों के बीच दो झीलें भी स्थित हैं। पहली झील, मानसरोवर झील जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकर सूर्य के सामान है। दूसरी झील राक्षस झील है जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकार चन्द्रमा के सामान है।
मानसरोवर में होती है पापों की मुक्ति
यदि आप कैलाश पर्वत की यात्रा करते हैं तो मानसरोवर झील में स्नान करने का सबसे उपयुक्त समय प्रातः 3 बजे से 5 बजे का है, जिसे ब्रह्ममुहूर्त के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय देवता भी स्नान करने के लिए इस झील पर आते हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख किया गया है, कि मानसरोवर झील में पवित्र डुबकी लगाने से कई जन्मों के सभी पाप मिट जाते हैं।
तेजी से बीतता है समय
ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है। कैलाश पर्वत के आस-पास जाने वाले यात्रियों और वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखूनों की तेजी से बढ़ते हुए देखा है, जिसके आधार पर उनका अनुमान है कि कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है। हालांकि वैज्ञानिक अभी तक इसके पीछे के कारणों को ढूंढ नहीं पाए हैं।
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भौगोलिक स्थिति है रहस्य्मय
इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है। इसके चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है, जिस पर सालों भर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। कैलाश पर्वत पर चढना निषिद्ध माना जाता है। यहां की भौगोलिक स्थिति रहस्य्मयी है जिसका पता लगा पाना मुश्किल है।
सूर्योदय के समय दिखता है स्वास्तिक
कैलाश पर्वत के ठंडे पहाड़ों पर जब सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बनती है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि भगवान सूर्य भगवान शिव को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
ॐ की ध्वनि होती है प्रतिध्वनित
कैलाश पर्वत को ॐ पर्वत के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है कि कैलाश पर्वत के निकट पहुँचने पर ॐ की आवाज़ सुनाई पड़ती है। इसके अलावा तीर्थयात्रियों का यह भी कहना है कि भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान पर एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है। कैलाश पर्वत के आस पास के वातावरण पर अध्यन कर रहे वैज्ञानिक बताते हैं कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमें तपस्वी आज भी लीन होने की कोशिश करते हैं।
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Image Credit: wikipedia
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