साउथ इंडिया के फ्लेवर ही नहीं, कई मसाले भी भिन्न होते हैं। आपने अगर कभी दक्षिण भारत को एक्सप्लोर किया है, तो आपको पता होगा कि नॉर्थ इंडिया में बनने वाला डोसा और सांभर साउथ इंडिया के डोसे से कितना अलग होता है। दक्षिण भारतीय व्यंजन अपने गजब के स्वाद, खुशबूदार मसालों, जिन्हें अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है।
यही वजह है कि साउथ इंडियन कुजीन को नॉर्थ इंडिया में भी इतना पसंद किया जाता है। यहां के व्यंजनों में कुछ ऐसे मसाले डाले जाते हैं, जिसे सिर्फ साउथ के एरिया में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, इन व्यंजनों को बनाने के लिए डिफरेंट तरह के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी साउथ इंडियन व्यंजन का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो अपने किचन में इन बर्तनों को शामिल करें।
यह बर्तन न केवल खाना पकाने के लिए उपयोगी होते हैं, बल्कि ये साउथ की संस्कृति और परंपराओं का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उपयोग न केवल व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि इसे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभकारी माना जाता है। कलचट्टी में सांभर, करी, और अन्य प्रकार के सूप और स्ट्यू पकाने के लिए आदर्श होता है।
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यह मसालों और सामग्री के स्वाद को बढ़ाता है। सब्जियों को पका नेके लिए इसका उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से वे व्यंजन जिनमें अधिक समय और धीमी आंच की जरूरत होती है। हालांकि, इसका इस्तेमाल करने से पहले और बाद में कलचट्टी को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
यह साउथ इंडिया की रसोई का एक पारंपरिक बर्तन है। यह खास बर्तन इडली बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो साउथ में बहुत बनाई जाती है। इडली पॉट में छोटे-छोटे खांचे होते हैं, जिनमें इडली के बैटर को डालकर भाप में पकाया जाता है। इडली पॉट स्टेनलेस स्टील, एल्यूमिनियम, या कभी-कभी ब्रास (पीतल) से बना होता है।
इसमें इडली पकाने के लिए अलग-अलग लेवल्स पर ट्रे होती हैं, जो स्टेनलेस स्टील की होती हैं। इडली पॉट भाप का इस्तेमाल करके इडली को पकाता है, जिससे इडली नरम और स्पंजी बनती है।
डोसा तवा एक तरह का बर्तन है, जो दक्षिण भारतीय रसोई में डोसा और उत्तपम बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह तवा अपनी सपाट और गोल सतह के लिए जाना जाता है, जो डोसा को कुरकुरा और समान रूप से पकाने में मदद करता है। पारंपरिक रूप से, डोसा तवा लोहे का बना होता है, जो अच्छी गर्मी उत्पन्न करता है और डोसा को एक समान रूप से पकाने में मदद करता है।
डोसा तवा आमतौर पर बड़ा और गोलाकार होता है, जिससे बड़े आकार का डोसा बनाया जा सकता है। हालांकि, इस्तेमाल के बाद तवा को गरम पानी से धोकर सूखा लेना चाहिए। नॉन स्टिक तवा को स्क्रब से बचाना चाहिए।
एक पारंपरिक दक्षिण भारतीय रसोई बर्तन है, जिसका उपयोग विशेष रूप से मोदक और अन्य स्टीम्ड मिठाई बनाने के लिए किया जाता है। यह बर्तन अपने अनूठे डिजाइन और विशिष्ट इस्तेमाल के लिए जाना जाता है। आचु पाटिराम आमतौर पर पीतल या कांसे से बना होता है। यह बर्तन गोलाकार और छोटे आकार का होता है, जिसमें एक विशेष प्रकार की स्टीम होती है।
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इसके चारों ओर छोटे खांचे या आकार होते हैं जिनमें मिठाई का मिश्रण डाला जाता है। इसमें एक ढक्कन होता है, जो स्टीमिंग के दौरान सामग्री को सुरक्षित रखता है। आचु पाटिराम का मुख्य उपयोग मोदक बनाने के लिए होता है। मोदक एक स्टीम्ड मिठाई है जिसमें नारियल और गुड़ की भराई होती है।
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