ऐसा शायद ही कोई त्यौहार है, जिसे हम लोग धूमधाम से नहीं मनाते है। साल शुरू होने के साथ ही मकर संक्रांति जैसा बड़ा पर्व पड़ जाता है। पंजाब, गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र ही नहीं जम्मू तक में इसे अनूठे तरीके से मनाया जाता है। यह त्यौहार फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और मकर संक्रांत के बाद से दिन भी लंबे होने लगते हैं। कहते हैं कि सूर्य उत्तरी दिशा की ओर बढ़ना शुरू कर देता है और मकर राशि में प्रवेश करता है।
इस दिन लोग पंतग उड़ाकर, खिचड़ी के साथ-साथ कई सारे पकवान बनाकर जश्न मनाते हैं। कई लोग हरिद्वार जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। अब जब त्यौहार इतना खास है, तो फिर खाने की बात कैसे नहीं हो सकती है? हम भारतीयों के लिए त्यौहार तो वैसे भी एक बहाना है। मकर संक्रांत में भी भारत के सभी राज्य तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं। आइए आपको बताएं कि भारतीय राज्यों में इस दिन क्या विशेष बनाया जाता है।
बंगाली अपनी पौष संक्रांति का स्वागत पश्चिम बंगाल में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले भव्य गंगा सागर मेले के साथ करते हैं। इस दौरान चावल से बने व्यंजन भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं। बंगाल में संक्रांत के दिन पतिशप्ता से लेकर गोजा तक कई मीठे व्यंजन बनते हैं और उन्हीं में एक तालेर बोरा है। इसे तालेर फुलुरी भी कहते हैं और यह एक मीठा स्वैक है जिसे ताल के पल्प, गेहूं के आटे, सूजी और चावल आदि से तैयार किया जाता है।
उंधियू गुजरात में मकर संक्रांति के दिन पकाया जाने वाला एक लोकप्रिय व्यंजन है। इसे आलू, बैंगन, हरी बीन्स, रतालू, मटर और कच्चे केले जैसी सब्जियों कई मसालों के साथ मिलाकर बनाया जाता है। उंधियू का मतलब होता है, ऐसी डिश जिसे उल्टा करके पकाया जाता है। यह डिश मिट्टी के बर्तन में उल्टी करके पकाई जाती है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया।
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मकर चौला ओडिशा में खूब लोकप्रिय है। वहां मकर संक्रांत पर विशेष रूप से चावल की चीजें बनती हैं। चावल की ताजा फसल के साथ गुड़, दूध, केला और गन्ने का उपयोग करके मकर चौला बनाया जाता है। यह उड़िया परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे पहले भगवान को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में सभी के बीच बांट दिया जाता है।
सक्कर पोंगल एक लोकप्रिय चावल का व्यंजन है जो मकर संक्रांति पर व्यापक रूप से तैयार किया जाता है। इसे चावल, मूंग दाल और गुड़ का उपयोग करके पकाया जाता है। वहीं, वेन पोंगल मीठे सक्कर पोंगल का एक दूसरा वर्जन है और इसे चावल, मूंग दाल, नारियल, काजू, करी पत्ते और घी का उपयोग करके बनाया जाता है। यह दक्षिण भारत में कई जगहों पर नाश्ते के रूप में भी मिलता है।
तिल और गुड़ का मकर संक्रांत पर खास महत्व है। तिल और गुड़ के ही व्यंजन इस दिन खास तौर पर बनाए जाते हैं। इसके लड्डू मकर संक्रांति की खास मिठाई है। ये सिर्फ स्वाद में ही अच्छे नहीं होते, बल्कि शरीर को गर्माहट पहुंचाने के लिए भी जाने जाते हैं। एक लोकप्रिय महाराष्ट्रीयन मुहावरा भी इन लड्डुओं पर बना है जो 'तिल-गुल घ्या, आनी गोड़-गोड़ बोला'है, जिसका अर्थ होता है 'तिल और गुड़ खाओ और अच्छा बोलो'। महाराष्ट्र में इन तिल के लड्डुओं को परोसते समय इस मुहावरे को बोला जाता है।
झारखंड में भी कई सारे पकवान संक्रांत पर बनाए जाते हैं। यहां तिल की बर्फी उन स्वादिष्ट मिठाइयों में से एक है जो विशेष रूप से मकर संक्रांति के दौरान बनाई जाती है। इसके साथ ही पीठा भी स्नैक के रूप में परोसा जाता है। माना जाता है कि इसे पहले पीट्ठा पश्चिम बंगाल में बनाया गया था, लेकिन यह झारखंड का एक बेहद लोकप्रिय व्यंजन बन चुका है। इसे मकर संक्रांति या अन्य विशेष त्यौहारों के मौके पर बनाया जाता है।
उत्तराखंड के कुमाऊंनी क्षेत्र के लोगों का मकर संक्रांति मनाने का एक अनोखा तरीका है। उत्तराखंड में इस त्यौहार को घुघुतिया कहा जाता है और इस अवसर पर घुघुती बनाई जाती है। गेहूं का आटा और गुड़ एक साथ मिलाकर फूल, सर्पिल आदि जैसे आकारों में पीटा जाता है। इसके बाद, घी में तला जाता है और एक माला बनाने के लिए एक साथ पिरोया जाता है। बच्चे इन मालाओं को पहनते हैं और प्रवासी पक्षियों के स्वागत के प्रतीक के रूप में कौवों को मिठाइयां खिलाने का प्रयास करते हैं।
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मकर संक्रांति हर साल 13 जनवरी को वसंत का स्वागत करने के लिए मनाई जाती है। जम्मू और कश्मीर में, युवा 'छज्जा' नामक एक पारंपरिक नृत्य करते हैं। जम्मू और कश्मीर में इस त्यौहार के दौरान घरों को रंगीन कागज और फूलों से सजाया जाता है। बाकी जगहों की तरह, दही-चूरा, गुड़, भूरा, तिलकुट, तिलवा, तिललड्डू या अनरसा, कांगसुबी, खिचड़ी, चावल का पीट्ठा आदि इस दिन पर खास बनाए जाते हैं।
यह भारत का एक बड़ा पर्व है और यह दिन शुभ कार्यों के लिए भी अच्छा माना जाता है। इस दिन को आप कैसे मनाते हैं और क्या-क्या पकवान तैयार करते हैं, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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