दीवाली के 15वें दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भी दिवाली की तरह ही खास होता है, क्योंकि इस दिन को देवताओं से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि देव दीपावली के दिन देवता स्वर्ग से धरती पर आते हैं। सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी में गंगा किनारे दीए जलाने के लिए आते हैं। इसलिए इस दिन लोग देवताओं के स्वागत के लिए गंगा घाट पर दीपक जाते हैं। देव दिवाली के दिन लाखों दिए घाट पर जलाए जाते हैं, इसलिए यहां का सुंदर नजारा देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
अगर देव दिवाली के दिन आप वाराणसी जा रहे हैं और दर्शन के लिए अच्छे मंदिर ढूंढ रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको अस्सी घाट के पास स्थित फेमस मंदिरों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर
(image credir- Shri Kashi Vishwanath Temple official_insta)
देव दीपावली में शामिल होने से पहले सुबह आप काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। अस्सी घाट से मंदिर की दूरी लगभग 3.3 किमी की है। यहां पहुंचने में आपको आधे घंटे का समय लग सकता है। आप ऑटो से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। इसे देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे महत्वपूर्ण काशी विश्वनाथ मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की वजह से ही वाराणसी शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है।
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काल भैरव मंदिर
(jmage credit-kashi_ke_kotwal_insta)
देव दीपावली की सुबह या अगले दिन आप काल भैरव मंदिर भी दर्शन के लिए जा सकते हैं। घाट से मंदिर की दूरी 4.3 किमी है। यहां भी आप मात्र आधे घंटे में पहुंच जाएंगे। यह मंदिर सबसे शक्तिशाली मंदिर में से एक माना जाता है। यह वाराणसी के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में काल भैरव की पूजा दो भागों में की जाती है। माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से व्यक्ति की कुंडली में मौजूद राहु-केतु दोष दूर हो जाते हैं।
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श्री विनायक मंदिर
वाराणसी में स्थित इस मंदिर को बड़े गणेश के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस गणेश मंदिर में गणेश जी की मूर्ति स्वयंभू है। अस्सी घाट से मंदिर की दूरी मात्र 5 मिनट की है। इसलिए यहां दर्शन करने जाना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा। यह भव्य मंदिर 40 खंभों पर खड़ा है। मंदिर में गणेश जी को सिद्धि-बुद्धि और उनके पुत्र शुभ-लाभ के साथ भी देखा जाता है।
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