इस मंदिर के नाम पर पड़ा बिहार की राजधानी पटना का नाम, जानें रोचक तथ्‍य

लेख में आपको उस मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिस मंदिर के नाम से पटना शहर का नाम पड़ा। जिसे हम और आप बिहार की राजधानी भी कहते हैं।

patan devi temple patna

भारत के ऐसा देशा है जहां हर चौक पर आपको एक प्रसिद्ध मंदिर आसानी से मिल जाएगा। जब आप उस मंदिर की कहानी के बारे में मालूम करेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि उस मंदिर के नाम से उस चौक, चौराहा या फिर शहर का नाम पढ़ा है। जैसे-उज्जैन को महाकाल की नगरी भी करते हैं। कुछ इसी तरह की कहानी है बिहार की राजधानी पटना शहर की। हालांकि, प्राचीन समय में इस शहर को मगध की राजधानी के रूप में जाना जाता था लेकिन, साल 1912 में इस राज्य की स्थापना के बाद पटना शहर को राजधानी के रूप में जाना जाने लगा।

साल 1912 में जब पटना को राजधानी के रूप में निर्माण किया जा रहा था, तो उस ये सोचा गया कि इस शहर का नाम क्या होना चाहिए। तब ध्यान आया कि पूरे पटना के साथ बिहार के लिए पटन देवी का मंदिर बेहद ही प्रसिद्ध मंदिर है, तो क्यों न इस शहर का नाम इस मंदिर के नाम से रखा जाए। तब पटन देवी मंदिर के नाम से इस शहर का नाम पटना रखा गया। इस लेख में हम आपको पटन देवी मंदिर के बारे में कुछ रोचक जानकारी बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं।

मंदिर की पौराणिक कथा

patan devi temple patna in bihar inside

  • ये मंदिर पूरे बिहार वासियों के लिए बेहद ही पवित्र मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक बेहद ही पवित्र कथा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सती के पिता यानी दक्ष प्रजापति एक यज्ञ करवा रहे थे। इस यज्ञ के दौरान दक्ष प्रजापति ने अपनी बेटी की पति का अपमान कर दिया, जिसके बाद सती गुस्से में आकर इस अज्ञ में कूदकर अपनी लीला समाप्त कर ली थी।(बिहार के 4 प्रसिद्ध धार्मिक स्थल)
  • इस घटना से महादेव बेहद ही गुस्सा हुए और सती की मृत शरीर को हाथों में लेकर तांडव करने लगे थे। इस तांडव से पूरा ब्रह्माण्ड डर गया था, तब इस डर और शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर पर अपना सुदर्शन चक्र चला दिया। इस चक्र से सती की मृत शरीर के लगभग 51 खंड हुए। ये अंग जिस जगह गिरे उस स्थान पर शक्तिपीठ की स्थापना की गई।
  • कहा जाता है कि पटना शहर में सती की दाहिनी जांघ गिरी थी। जिसके बाद इस स्थान पर मंदिर का निर्माण हुआ और आदिकाल से यहां हर साल लाखों भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते रहे हैं।

छोटी और बड़ी पटन देवी मंदिर

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सती के 51 शक्तिपीठों में से एक पटन देवी मंदिर को दो रूप में जाना जाता है। एक मंदिर को छोटी पटन देवी और दूसरे मंदिर को बड़ी पटन देवी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। कई लोग इस मंदिर को पटना शहर को रक्षा करने वाली यानि रक्षिका भगवती पटनेश्वरी भी कहा जाता है। इस मंदिर परिसर में मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की भी मूर्तियां मौजूद हैं।(बिहार के 5 प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेशन)

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नवरात्र के दिनों में

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इस मंदिर में सबसे अधिक भीड़ नवरात्र के महीनों में होती है। नवरात्र में हर दिन लगभग लाखों भक्त छोटी और बड़ी पटन देवी मूर्ति के दर्शन के लिए आते हैं। कहते हैं कि यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। ये भी मान्यता है कि शादी के बाद जो भी जोड़ा इस मंदिर के दर्शन के आता है, उन्हें कभी भी परेशानी नहीं होती है।

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