बिहार एक समय में सांस्कृतिक रूप से देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक रहा है। इसीलिए यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां की सैर करने पर आपको यहां के रोचक इतिहास के बारे में पता चलेगा। एक समय में मगध देश का सबसे बड़ा साम्राज्य हुआ करता था। बौद्ध और जैन धर्मों का उदय इसी राज्य में हुआ था। इस राज्य में ऐसा बहुत कुछ है, जो देखने लायक है। यहां की कुदरती खूबसूरती, सांस्कृतिक विरासत और परंपराएं देखकर आपको अलग ही तरह के आनंद की अनुभूति होगी। तो आइए जानते हैं बिहार के कुछ ऐसे प्रसिद्ध स्थानों के बारे में, जहां आपको जरूर जाना चाहिए-
गया में प्राप्त हुआ था भगवान बुद्ध को ज्ञान
गया वह पुण्यभूमि है, जहां बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह शहर बिहार के सबसे चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है। गया तीन तरफ से छोटी-छोटी पहाड़ियों मंगला-गौरी, श्रींगा स्थान, राम-शीला और ब्रह्मायोनि से घिरा हुआ है। इसके पश्चिमी की तरफ फाल्गु नदी बहती है। यहां कई मंदिर और एतिहासिक स्थल हैं, जो मौर्य और गुप्त काल के हैं। यहां के महाबोधि मंदिर के दर्शन आपको जरूर करने चाहिए। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु यहां बड़ी संख्या में आते हैं। गया में विष्णुपद मंदिर भी काफी महत्वपूर्ण है। किवदंतियों के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का बनवाया गया है। यहां लगने वाला पितृपक्ष का मेला देशभर में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहां की फाल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। गया की सांस्कृतिक समृद्धि और जीवनशैली देखकर चीनी यात्री ह्वेन सांग इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपने यात्रा वृतान्तों में इसका वर्णन भी किया है।
कैसे पहुंचे गया: गया हवाई जहाज, रेल और सड़क मार्ग से देशभर के बड़े शहरों से कनेक्टेड है। यहां आने के लिए हवाई जहाज या ट्रेन से आना ज्यादा बेहतर रहेगा।
इसे जरूर पढ़ें:भारत के इन शहरों में रावण जलाना है महापाप, यहां होती है रावण की पूजा
मुंगेर में करें सीताकुंड के दर्शन
मुंगेर बिहार के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। मुंगेर को 'बिहार स्कूल ऑफ़ योगा' की पहचान मिली हुई है। योग प्रेमी यहां विशेष रूप में योगाभ्यास के लिए आते हैं, इसमें विदेश से आने वाले सैलानियों की संख्या भी अच्छा खासी है। मुंगेर का अस्तित्व आर्यों के समय से है, जिन्होंने अपने निवास के लिए इसे 'मिडलैंड' का नाम दिया था। वर्तमान में इसमें मुंगेर और जमालपुर इलाके आते हैं। अंग्रेजों के इस शहर पर कब्जे से पहले यहां मीर कासिम का साम्राज्य हुआ करता था। इस जगह कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र हैं। मुंगेर का ऐतिहासिक किला देखने में आपको आनंद आएगा। इसके अलावा आप यहां सीताकुंड के दर्शन करने जा सकती हैं। मुंगेर से 6 कि.मी. पूर्व में स्थित सीता कुंड का नाम भगवान राम की सीता के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि जब राम ने सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाया था, तब वह उन्हें यहीं अपनी पवित्रता की परीक्षा देने के लिए लाए थे। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि अग्नि परीक्षा देने के बाद सीता माता ने जिस कुंड में स्नान किया, यह वही कुंड है।
कैसे पहुंचे मुंगेर:मुंगेर जाने के लिए ट्रेन सबसे अच्छा माध्यम है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जमालपुर है, जो मुंगेर से लगभग 9 किमी दूर है।
नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली अतीत
विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भारत के गौरवशाली अतीत की कहानी कहता है। गुप्त शासक कुमारगुप्त ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में की थी। नालंदा अपने समय में दुनियाभर में अध्ययन का सबसे बड़ा केंद्र था। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी छात्र यहां पढ़ाई करने के लिए आते थे। इसमें चीनी यात्री ह्वेन सांग का नाम भी शामिल है, जिन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन, धर्म और साहित्य का अध्ययन किया। हालांकि उन्होंने अपने वृतांतों में लिखा है कि उनके लिए यहां दाखिला लेना आसान नहीं था। उन्होंने दस वर्षों तक यहाँ अध्ययन किया। यहाँ छात्र सिर्फ उच्च शिक्षा के लिए ही प्रवेश पा सकते थे। इस विश्वविद्यालय के 6 प्रवेश द्वार हुआ करते थे। प्रत्येक द्वार पर एक द्वार पंडित उपस्थित रहता था, जो आने वाले छात्रों की परीक्षा लेता था। इस परीक्षा में सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत छात्र ही पास हो पाते थे। विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने वाले छात्रों को यहां रहने के दौरान कठोर परिश्रम करना पड़ता था। कई परीक्षाओं में छात्रों के लिए पास होना अनिवार्य था। यहाँ से स्नातक करने वाले छात्रों को हर जगह सम्मान मिलता था। लेकिन 12वीं सदी में बख़्तियार ख़िलजी ने आक्रमण करके इस विश्वविद्यालय को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया था।
कैसे पहुंचे नालंदा:नालंदा पहुंचने के लिए आप गया के लिए फ्लाइट या ट्रेन ( नालंदा से 95 किमी दूर ) ले सकती हैं और यहां से आप कैब या टैक्सी बुक कर सकती हैं।
सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल है पटना
गंगा नदी के किनारे बसा पटना बिहार का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण शहर है। प्राचीन भारत में इसे पाटलिपुत्र के रूप में जाना जाता है। यह शहर दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में शुमार किया जाता है। पटना सिख भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ है, क्योंकि इसे सिखों के अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की जन्मस्थली माना जाता है। नंद, मौर्य, शुंग, गुप्ता और पाल राजाओं के शासनकाल में यह शहर देशभर में प्रसिद्ध हो गया था। पटना में सैलानियों में मुख्य रूप से बिहार संग्रहालय , गोलघर, बुद्ध स्मृति पार्क, हनुमान मंदिर, बड़ी पटन देवी, छोटी पटन देवी मंदिर , अगम कुआँ, शहीद स्मारक जैसे स्थल प्रमुख है।
कैसे पहुंचे पटना:पटना रेल, रोड और हवाई मार्ग के जरिए देश के दूसरे शहरों से कनेक्टेड है। इसीलिए देश के किसी भी कोने से आप यहां आसानी से आ सकती हैं।
वैशाली है महावीर की जन्मस्थली
वैशाली एक महत्वपूर्ण आर्केयोलॉजिकल साइट है, जहां कभी लिच्छवि राजाओं का शासन हुआ करता था। वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र स्थापित किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म मानने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण नगर है। अगर आप वैशाली घूमने जाएं तो यहां के अशोक स्तम्भ , बौद्ध स्तूप, विश्व शांति स्तूप, जिसका निर्माण जापान के निप्पोणजी समुदाय द्वारा कराया गया, जैसे स्थलों के दर्शन जरूर करें। बुद्ध के समय में वैशाली काफी समृद्ध हुआ करता था। चीनी यात्रियों फाहियान और ह्वेन सांग दोनों ने अपने यात्रा वृतांतों में इस शहर का विस्तार से वर्णन किया है।
कैसे पहुंचे:वैशाली के लिए निकटतम एयरपोर्ट पटना का है, जो यहां से 70 किमी दूर है। यहां से नजदीकी रेलवे स्टेशन है मुजफ्फरपुर, जो 36 किमी दूर है। इसके बाद यहां से कैब बुक की जा सकती है।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों