नवरात्रि के खत्म होते ही हिंदुओ का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार दशहरा आ जाता है। इस साल यह दशहरे का त्योहार 25 अक्टूबर को है। यह त्योहार होता तो एक दिन का ही है मगर इसकी शुरुआत नवरात्रि के शुरू होने के साथ ही हो जाती है।
दशहरे का त्यौहारआने से पहले ही 10 दिन पहले से जगह-जगह रामलीला शुरू हो जाती है और दशहरे के दिन रावण दहन के साथ यह त्यौहारखत्म हो जाता है। हालांकि, इस वर्ष कोविड-19 संक्रमण की वजह से बहुत कम स्थानों पर ही रामलीला हो रही है। मगर, दशहरा का पर्व बिना रावण दहन के अधूरा होगा इसलिए छोटे स्तर पर ही सही हर शहर में रावण जरूर जलााया जाएगा। मगर भारत में कुछ ऐसे शहर भी हैं, जहां कोविड-19 संक्रमण की वजह से नहीं बल्कि दूसरे कारणों से रावण दहन किया ही नहीं जाता है। इतना ही नहीं, इन शहरों में रावण के मंदिर हैं और रावण की पूजा भी की जाती है।
तो चलिए इस दशहरे हम आपको भारत में मौजूद रावण के उन मंदिरों की सैर कराते हैं, जिनके बारे में शायद आपको पता भी नहीं होगा।इसे जरूर पढ़ें: श्रीलंका के इस स्थान पर हुआ था राम और रावण का युद्ध, और भी मिलते है रामायण से जुड़े निशान
मध्य प्रदेश
भारत के मध्यप्रदेश राज्य के नगर विदिशा से सटे एक गांव में रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है। इस जगह के नाम मंदसौर है। माना जाता है कि मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र के नजदीक रावण रुण्डी नाम का एक स्थान है। यहां पर रावण का एक विशाल मंदिर है और इस मंदिर में रावण की प्रतिमा भी है। यहां के लोग रावण को अपना दमाद मानते हैं क्योंकि कहानियों के अनुसार रावण की रानी मंदोदरी यहीं की रहने वाली थी। इसलिए रावण इस लिहाज से मंदसौर के लोगों का दमाद हुआ। दमाद को भारत में काफी महत्व दिया जाता है और इसी लिए यहां पर रावण को पूजा जाता है।
कर्नाटक
साउथ इंडिया के राज्य कर्नाटक में भी रावण को पूजा जाता है। यहां पर कोलार एक जगह जहां पर रावण पर हर साल एक महोत्सव होता है। इस महोत्सव का नाम लंकेश्वर महोत्सव होता है। यह महोत्सव इसलिए मनाया जाता है क्योंकि हर यहां पर फसल का उत्सव होता है। यहां के लोग इस दौरान रावण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था और भगवान शिव भी उसे काफी मानते थे। इसलिए लोग इस दौरान महोत्सव में रावण की पूजा करते हैं और उसकी प्रतिमा को रथ पर रख कर उसका जलूस निकालते हैं। यहां पर रावण का एक बहुत बड़ा मंदिर भी है।
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उत्तर प्रदेश
उत्तरप्रदेश के महानगर कानपुर की कई बातें फेमस है। यह शहर गंगा किनारे बस है। यहां पर मुगलों के जमाने चमड़े का व्यापार होता आ रहा है। खानपान के मामले में भी कानपुर का नाम देश भर में फेमस है। मगर, कानपुर एक और कारणों से फेमस है। यहां पर रावण का मंदिर है। इस मंदिर का नाम दशानन मंदिर है। यह मंदिर कानपुर के शिवाला मार्केट में बने छिन्न्मस्तिका मंदिर के अंदर ही बना हुआ है। यह मंदिर साल में एक बार ही खुलता है और पुरे साल बंद रहता है। साल में एक बार यह दशहरे के दिन ही खुलता है। यहां पर इस दिन तेल और घी से रावण की पूजा होती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में पहले रावण की पूजा होती हैं और फिर उसके बाद रावण दहन किया जाता है। पूजा के दौरान रावण से माफी मांगी जाती है क्योंकि वह एक बहुत बड़ा ज्ञानी था।
राजस्थान
जोधपुर जिले के मन्दोदरी नाम के क्षेत्र को रावण और मन्दोदरी का विवाह स्थल है। यहां के लोगों का कहना है रावण ने मंदोदरी से यही पर शादी की थी। यहां पर आज भी एक छतरी है जिसके नीचे यह विवाह संपन्न हुआ था। इसका नाम चवरी है। यह छतरी चांदपोल क्षेत्र में है और यहां पर भी रावण का एक मंदिर बनाया गया है।
हिमाचल प्रदेश
दशहरे में जहां देश भर में रावण का पुतला जलाया जाता है वहीं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है। यहां के लोग रावण का पुतला जलाना महापाप मानते है। यहां पर रावण की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि यहां रावण ने कुछ साल बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था। तब से आज तक यहां के लोग दशहरा नहीं बनाते।
तो भले ही आप इस दशहरे में रावण दहन की प्रक्रिया को निभाएं मगर इस बात को जान लें कि देश के कुछ हिस्सों में रावण को काफी सम्मान दिया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें और इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए हरजिंदगी से जुड़े रहें।
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