भारत में रहने वाला बच्चा-बच्चा रामायण की कथा जानता है। सभी को पता है कि आपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए भगवान राम ने लंका जाकर रावण का वध किया और सीता को लेकर वापिस अयोध्या लौट गए। मगर रावण की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ यह बात बहुत कम लोग जानेते हैं। शास्त्रों में भी इसका बहुत कम ही जिक्र मिलता है मगर हिन्दू पुराण में दर्ज एक कथा के अनुसार मंदोदरी रावण की मृत्यु के बाद लंका में ही रहीं और लंका का पूरा राजपाट भी संभाला ।
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पुराणों के अनुसार भगवान राम ने जब युद्ध के मैदान में रावण पर विजय हासिल कर ली और उसे मार गिराया तब जाकर युद्ध खत्म हुआ और उसके बाद लंका की महारानी मंदोदरी युद्ध स्थल पर आईं और वहीं जब पति और पुत्रों को मृत पाया तो वह विलाप करने लगीं। मगर विलाप करते हुए उन्होंने वहीं मौजूद अपने देवर विभीष से कहा कि वह अब भी लंका की महारानी हैं और रावण के राजपाट को वही संभालेंगी। रावण के अंतिम संस्कार के बाद जब विभीषण का राज्यभिषेक हुआ तो महारानी मंदोदरी उन्हें शासन चलाने में मदद करने लगीं।
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पुरणों में बताया गया है कि रावण का ननिहाल राजस्थान में मौजूद जोधपुर के नजदीक एक गांव में है। रावण की मृत्यु के कुछ समय बाद मंदोदरी लंका को अलविदा कह जोधपुर अपनी ससुराल आ गई थी। यहां रावण का एक मंदिर भी है, जो कहा जाता है कि मंदोदरी ने ही बनवाया था और तब से यहां रावण की पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि भगवान श्री राम के कहने पर मंदोदरी ने रावण की मृत्यु के कुछ वक्त बाद अपने देवर विभीषण से विवाह कर लिया। दरअसल भगवान श्री राम नहीं चाहते थे कि रावण की मृत्यु के बाद लंका बिखर जाए और विभीषण अपने बड़े भाई राजगद्दी पर बैठना नहीं चाहते थे।
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