प्राचीन और मध्यकाल में पूर्व-भारत से लेकर पश्चिम-भारत और दक्षिण-भारत से लेकर-उत्तर भारत में कई महल, ईमारत और पैलेस का निर्माण हुआ है, जो आज विश्व विख्यात है। इस मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे शहर प्रमुख स्थान माने जानते हैं। लेकिन, कश्मीर की वादियों में एक ऐसा भी पैलेस मौजूद है, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जिक्र करते हैं। जिस तरह से उत्तर-भारत में कई मुग़ल शासकों ने अपने शासनकाल में भव्य और खूबसूरत पैलेस का निर्माण करवाया, ठीक उसी तरह जम्मू कश्मीर में भी डोगरा वंश के कई राजाओं ने भी कश्मीर की वादियों में पैलेस का निर्माण करवाया। जी हां, हम बात कर रहे हैं लगभग 150 साल से अधिक पुराने और फेमस 'मुबारक मंडी पैलेस' के बारे में। आज इस लेख में हम आपको इस पैलेस के बारे में कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं।
मुबारक मंडी पैलेस का इतिहास
इस पैलेस का इतिहास तक़रीबन 150 साल से भी अधिक पुराना है। जिस समय मध्य भारत में मुग़ल शासक दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में राजशाही महल का निर्माण कराने में लगे थे उसी समय जम्मू कश्मीर में डोंगर वंश के शासक भी जम्मू की वादियों में भी खूबसूरत पैलेस का निर्माण करा रहे थे। डोगरा राजाओं द्वारा शाही निवास के रूप में इस पैलेस का उपयोग किजा जाता था। तवी नदी के किनारे मौजूद होने के चलते उस समय डोगरा शासकों ने लिए यह पैलेस सामरिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण महल और स्थान था।(भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध फोर्ट्स)
पैलेस के अंदर
मध्य काल में इस पैलेस को जम्मू का ताज कहा जाता था। इस पैलेस के अंदर कई छोटे-छोटे परिसर मौजूद है। तक़रीबन 1929 के आसपास तक डोगरा शासकों की व्यापारिक से लेकर राजकीय गतिविधियों का मुख्य केंद्र हुआ करता था। इस महल के अंदर समय के साथ दरबार हॉल, पिंक पैलेस, गोल घर कॉम्पलेक्स, रानी चरक महल, रॉयल कोर्ट बिल्डिंग आदि का निर्माण किया गया जो पर्यटकों के लिए आज आकर्षण का केंद्र है। (भारत के 10 सबसे प्राचीन और फेमस पैलेस)
36 बार लग चुकी है आग
कहा जाता है कि डोगरा निवास स्थल के रूप में प्रसिद्ध इस पैलेस में अब तक 36 बार आग लग चुकी है, लेकिन फिर भी इसकी रौनक में कोई नहीं देखी गई। आग लगने के बाद इसे फिर से बना दिया जाता था। हालांकि, आग लगने के पीछे क्या कारण हो सकते थे इसका कोई एक उत्तर नहीं है। कोई कहता है कभी आक्रमण के दौरान, कोई कहता है आपसी मतभेद के कारण भी सो सकते हैं। आग लगने के साथ-साथ साल 1980 और 2005 में भूकंप का भी सामना कर चुका है ये पैलेस।
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अन्य जानकारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डोगरा वंश के शासकों के निधन के बाद सरकार ने इसे अपने अधीन कर लिया और कुछ समय के लिए इस महल को सरकारी कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया। इस पैलेस में उच्च न्यायालय और लोकसेवा आयोग आदि सरकारी विभाग शामिल थे। इस परिसर में मौजूद पिंक हॉल को अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। इसेमुबारक मंडी हेरिटेज कॉम्प्लेक्स के नाम से भी जाना जाता है।
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Image Credit:(@images.assettype.com, cdn.s3waas.gov.in)
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