हिन्दू सभ्यता के अनुसार सनातन काल से चैत्र नवरात्र का त्यौहार बेहद ही खास और पवित्र माना जाता है। इस पवित्र त्यौहार को लगभग हर गांव, शहर और राज्यों में भक्त बड़े ही धूम-धाम के साथ मानते हैं। इस पवित्र त्यौहार के मौके पर मां दुर्गा के सभी रूपों को बड़े आदर भाव से पूजा-पाठ की जाती है।
चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के 'कात्यायनी' रूप की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त कात्यायनी मंदिर से सुबह से दर्शन के लिए लाइन में लग जाते हैं और देर रात तक दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं।
ऐसे में अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि भारत के किस राज्य में मां कात्यायनी का फेमस मंदिर मौजूद है तो फिर आपका जवाब क्या हो सकता है? इस लेख में हम आपको फेमस कात्यायनी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप भी दर्शन के लिए आसानी से पहुंच सकते हैं। आइए जानते हैं।
कात्यायनी मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा जानने से पहले यह जान लेते हैं कि यह फेमस मंदिर भारत के किस राज्य में मौजूद है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मां कात्यायनी का मंदिर पवित्र और फेमस मंदिर भारत के किसी राज्य में नहीं बल्कि देश की राजधानी यानी दिल्ली शहर में मौजूद है।
जी हां, दुनिया के सबसे बड़े मंदिर में शामिल छतरपुर मंदिर परिसर में मौजूद कात्यायनी मंदिर बेहद ही पवित्र और भव्य माना जाता है। नवरात्र के दिनों में यहां देश के हर कोने से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
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अब तक तो आपको मालूम चल ही चुका होगा कि यह मंदिर दिल्ली के छतरपुर परिसर में है। अगर इस मंदिर के इतिहास के बारे में जिक्र करें तो यह कहा जाता है कि इस पवित्र का शिल्यानास लगभग 1974 में किया गया था। इसकी स्थपाना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने किया था। उस मसय मंदिर सिमित जगह में था, लेकिन आज के समय में छतरपुर मंदिर लगभग 70 एकड़ से भी अधिक इलाके में फैला हुआ है।
जी हां, छतरपुर मंदिर परिसर में मौजूद कात्यायनी मंदिर बेहद ही भव्य है। इस पवित्र मंदिर को सफ़ेद संगमरमर तराशा गया है। मंदिर की दीवार आदि जगहों को बेहद ही अनोखे ढंग से तराशा गया है। कहा जाता है कि मां की प्रतिमा रौद्र रूप में है। माता के एक हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर और दूसरे में खड्ग है। इसके अलावा तीसरे हाथ में तलवार और चौथे हाथ से मां भक्तों को अभय प्रदान करती हुई मुद्रा में है।
जैसे ही कात्यायनी माता मंदिर में प्रवेश करते हैं तो सामने ही एक बड़ा सा पेड़ मौजूद है। कहा जाता है कि जो भी भक्त इस पेड़ में चुनरी के साथ-साथ धागे, चूड़ी बंधाते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसलिए कोई भी भक्त दर्शन के लिए इस मंदिर में पहुंचता है चुनरी ज़रूर बांधता है।(एक रात में भूतों ने कर दिया था इस मंदिर का निर्माण)
आपको बता दें कि इस मंदिर में कभी भी दर्शन के लिए जा सकते हैं। हालांकि, नवरात्र के समय यहां सबसे अधिक भीड़ मौजूद होती है। देश के हर कोने से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
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कात्यायनी मंदिर पहुंचना बहुत आसान है। जी हां, इस मंदिर मर देश के किसी भी कोने से पहुंच सकते हैं। इसके लिए आप हवाई सफ़र या ट्रेन के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।
हवाई सफ़र- दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचकर आप लोकल टैक्सी या कैब लेकर पहुंच सकते हैं। एयरपोर्ट से यह मंदिर लगभग 14 किमी की दूरी पर है।
ट्रेन- दिल्ली के किसी रेलवे स्टेशन पहुंचकर आप आसानी से इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। नई दिल्ली, आनंद विहार से मेट्रो लेकर भी इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मंदिर के सबसे नजदीक में छतरपुर मेट्रो स्टेशन है। यहां से पैदल भी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा सड़क के माध्यम से भी दिल्ली पहुंचकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।(इन मंदिरों में जाते ही निकल जाती है चीख)
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