हिन्दू धर्म में भगवान शिव से सबसे पवित्र और सबसे शक्तिशाली देवता माना जाता है। भारतीय सभ्यता में भगवान शिव इस कदर विराजमान है कि भारत के अलग-अलग प्रान्त में महाकाल, संभु, नटराज, भैरव, आदियोगी आदि हजारों नामों से जाना जाता है।
भारत में ऐसे लाखों शिव मंदिर मौजूद हैं जिन्हें विशेष रूप से पूजा जाता है। भगवान शिव को जो विशेष रूप से समर्पित हैं उसमें 12 ज्योतिर्लिंग सबसे पहले शामिल रहते हैं। इन्हीं में से एक है 'नागेश्वर ज्योतिर्लिंग'।
इस लेख में हम आपको नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा और अन्य जानकारी बताने जा रहे हैं। इसके अलावा इस मंदिर में दर्शन के लिए कैसे पहुंच सकते हैं यह भी आपको बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
नागेश्वर मंदिर कहां है?
यह फेमस और प्राचीन मंदिर भारत के किसी और राज्य में नहीं बल्कि गुजरात के द्वारका में मौजूद है। कहा जाता है कि यह मंदिर ढाई हजार साल से भी अधिक पुराना है। भारत के लोकप्रिय 12 जोतिर्लिंलों में से एक यह मंदिर 'नागों के देवता के नाम से भी प्रसिद्ध है।
यहां भगवान शिव की पूजा उनके ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है और उन्हें यहां दारुकवण नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर परिसर में भगवान शिव की लगभग 25 मीटर उंची प्रतिमा भक्तों के लिए काफी लोकप्रिय है।
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नागेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा
लोक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि इस प्रान्त में एक वैश्य रहता था और वो शिव का बहुत बड़ा भक्त था। भगवान के भजन में वो इतना मग्न रहता था कि कई बार पानी पीना या खाना भी भूल जाता था।
लेकिन वैश्य की पूजा-पाठ को भंग करने एक राक्षस पहुंच जाता था। एक बार उसमें वैश्य को कैद कर लिया, लेकिन कैद में भी वैश्य शिव की पूजा-पाठ नहीं छोड़ा। बाद तंग आकर जब राक्षस वैश्य के मित्रों को मारने जा रहा था तभी भगवान शिव प्रकट हुए और उसे बचा लिया। कहा जाता है कि इस घटना में बाद वैश्य को मुक्ति मिल गई और वो हमेशा के लिए शिव लोक में पहुंच गया। इसके बाद इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई।(इस दिन से शुरू हो रहा है फेमस सूरजकुंड मेला)
नागेश्वर मंदिर की बनावट
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है। मंदिर परिसर में पास में ही भगवान शिव की लगभग 80 फीट की ऊंचाई पर मूर्ति स्थापित की गई है। इस प्राचीन मंदिर की बनावट भी भक्तों के लिए बेहद ही आकर्षित करती है। कहा जाता है कि मंदिर की दीवारों पर अलग-अलग तरह की चित्र और संस्कृत में शब्द लिखे हैं।(12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में)
सावन और महाशिवरात्रि पर भक्तों की भीड़
जी हां, इस पवित्र मंदिर में सावन के महीने में हर दिन लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्से से भी भक्त पहुंचते हैं।
सावन महीने की तरह महाशिवरात्रि वाले दिन भी इस मंदिर में लाखों भक्त देशन के लिए पहुंचते हैं। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं। मंदिर परिसर के आसपास मेला भी आयोजन होता है।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचें?
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचना बहुत आसान है। इसके लिए आप देश के किसी भी यहां पहुंच सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले गुजरात के द्वारका पहुंच सकते हैं और द्वारका शहर यह मंदिर लगभग 18 किमी दूर है।
ट्रेन से भी आप सबसे पहले द्वारका रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं यहां से लोकल टैक्सी और कैब लेकर मंदिर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हवाई यात्रा से आपको पोरबंदर पहुंचना होगा। पोरबंदर से यह लगभग 107 किमी और जामनगर से लगभग 126 किमी पर है।
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