लाल, नीले, पीले गुलाल यानी रंगों का त्यौहार होली का नाम सुनते ही भारतीय लोग उत्साह से भर जाते हैं। वैसे तो भारत के लगभग हर हिस्से में होली बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन भारत में असल होली खेलने या देखने का जिक्र होता है तो सबसे पहले वृन्दावन का नाम लिया जाता है।
वृन्दावन में सप्ताह भर पहले ही होली रंग जमने लगता है और यहां देश के लगभग हर कोने से लोग रंगों का उत्सव मनाने के लिए पहुंचते हैं। शायद आप भी वृन्दावन में होली मनाने ज़रूर जाना चाहेंगे?
इस लेख में हम आपको 3 दिन वृन्दावन घूमने का पूरा प्लान बताने जा रहे हैं जिन्हें फॉलो करके आप आसानी से वृन्दावन में होली को एन्जॉय कर सकते हैं। आइए जानते हैं।
पहले दिन इन जगहों को करें एक्सप्लोर
बांके बिहारी मंदिर- वृन्दावन की यात्रा की शुरुआत आप यहां मौजूद सबसे फेमस और पवित्र मंदिर यानी बांके बिहारी मंदिर से कर सकते हैं। कहा जाता है कि यहां कि होली दुनिया भर में फेमस है और सबसे अधिक इसी मंदिर के आसपास होली की रौनक रहती है। सप्ताह भर पहले से ही मंदिर की संकरी गलियों में और मंदिर परिसर में होली है! होली है! की आवाज सुनाई देने लगती है।
इस्कॉन मंदिर- बांके बिहारी मंदिर से कुछ ही दूरी पर मौजूद इस्कॉन मंदिर के आसपास भी हजारों सैलानी होली खेलते हुए मिल जाएंगे। आपको बता दें कि यह पूरा मंदिर सफ़ेद टाइल्स से बना हुआ है, इसलिए मंदिर परिसर के अंदर रंगों का इस्तेमाल करना माना होता है। यहां फूलों की होली सेलिब्रेट कर सकते हैं।
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दूसरे दिन इन जगहों को करें एक्सप्लोर
प्रेम मंदिर- वृन्दावन की धरती पर प्रेम मंदिर की स्थापना लगभग 2001 की गई थी। यह वृन्दावन के सबसे पवित्र और फेमस मंदिरों में से एक है। इस मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण के सभी रूपों को प्रदर्शित किया गया है। सफ़ेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर परिसर में रंगों का इस्तेमाल करना माना होता है, लेकिन मंदिर के बाहर लाखों सैलानी होली मानते हैं।
गोविंद देव जी मंदिर-वृन्दावन में स्थित गोविंद देव जी मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। 7 मंजिला इस मंदिर को पत्थरों द्वारा बनाया गया था, लेकिन मुग़ल आक्रमण के बाद यह 3 मंजिला ही बचा हुआ है। यहां भी होली का त्यौहार बड़े ही धूम धाम के साथ मानना जाता है।
तीसरे दिन इन जगहों को करें एक्सप्लोर
यात्रा के तीसरे दिन आप कृष्ण जन्मस्थली को एक्सप्लोर कर सकते हैं। कहा जाता है कि होली के सप्ताह भर पहले से ही यहां की हर गलियों में सिर्फ होली और होली का धमाल रहता है।
जन्मस्थली परिसर में होली का आयोजन भी होता जिसमें आप भी भाग ले सकते हैं। यहां घूमने के लिए आपको पूरा एक दिन लग सकता है, क्योंकि हर चौक पर आप होली खेलने में मग्न हो सकते हैं। आपको बता दें कि यह रेलवे स्टेशन से पास में है इसलिए तीसरे दिन आपको वापसी में आसान होगा।(वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर)
वृन्दावन में ठहरने की जगहें
वृन्दावन में ठहरने के लिए एक से एक सस्ती जगह मिल जाएंगे। यहां होटल किराया भी बहुत कम होता है। अगर आप सप्ताह भर पहले ऑनलाइन बुक करते हैं तो 500-1000 के बीच में कमरे मिल जाते हैं। हालांकि होली के समय थोड़े महंगे होते हैं। गोपाल सदन, तुलसी रेजीडेंसी, रुकमनी इन, कृष्ण सदन आदि होटल में 1000 रुपये के अंदर रूम मिल जाते हैं।
इसके अलावा अगर आप 500 रुपये से भी कम में ठहरना चाहते हैं तो फिर आप राधे श्याम अतिथि भवन (धर्मशाला), बालाजी आश्रम, श्री गोविंद धाम आश्रम और माता पीतांबरा आश्रम में ठहर सकते हैं।
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वृन्दावन कैसे पहुंचें?
देश के किसी भी हिस्से में वृन्दावन आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां आप ट्रेन, हवाई या सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
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- हवाई-अगर आप हवाई यात्रा से वृन्दावन पहुंचना चाहते हैं तो आगरा और दिल्ली पहुंचकर वृन्दावन के लिए टैक्सी या लोकल बस लेकर पहुंच सकते हैं।
- ट्रेन- देश के किसी भी हिस्से में आप पहले मथुरा रेलवे पहुंचें, क्योंकि यह सबसे पास में है। यहां से लोकल टैक्सी का कैब लेकर वृन्दावन जा सकते हैं। दिल्ली से स्लिपर क्लास ट्रेन का किराया लगभग 350 रूपये, एसी का 500 रूपये लग सकता है।
- सड़क मार्ग-देश कई लगभग हर हिस्से में मथुरा और वृन्दावन जुड़ा हुआ है। दिल्ली, आगरा, हरियाणा उत्तर प्रदेश आदि राज्य से यहां सीधे बस पकड़कर पहुंच सकते हैं। दिल्ली से बस का किराया लगभग 200 रुपये के आसपास होता है।
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