12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन करने से इंसान के तमाम पाप खत्म हो जाते हैं। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं। इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धार्मिक पुराणों के अनुसार इन्हीं 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे इसलिए हर साल यहां हजारों शिव भक्तों की यहां दर्शन करने के लिए भीड़ उमड़ती है। केदारनाथ कमेटी के सदस्य जनक राज बंसल जो शिव के बहुत बड़े भक्त हैं और इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर चुके हैं। इनका कहना है कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना मतलब शिव के खुद को बहुत करीब पाने जैसा है। शिव के करीब होने के अहसास को महसूस करने के लिए 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक के ही सही पर दर्शन जरूर करने चाहिए।
चलिए आपको बताते हैं कि किन 12 जगहों पर शिव स्वयं प्रकट हुए मतलब कौन से हैं 12 ज्योतिर्लिंग और कहां स्थित हैं?
सोमनाथ, गुजरात
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी और ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने ही की थी।
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मल्लिकार्जुन, आन्ध्र प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर शैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
केदारनाथ, उत्तराखंड
केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है और यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है।
ऐसा माना जाता है कि यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व भगवान शिव ने केदार को भी दिया है।
महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है।
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काशी विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा।
वैद्यनाथ, झारखण्ड
भगवान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।
ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ‘ऊं’ शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है। इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
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रामेश्वरम, तमिलनाडु
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
भीमाशंकर, महाराष्ट्र
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में ‘सह्याद्रि’ नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र
यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मा गिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
नागेश्वर, द्वारिका
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
धृष्णेश्वर, महाराष्ट्र
घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है जो महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इस मंदिर को धृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है और एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के पास ही स्थित हैं।
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