Tirupati Balaji Temple Lesser Known Facts: हिंदुस्तान को अगर मंदिरों का घर बोला जाए तो कोई गलत बात नहीं है, क्योंकि देश के लगभग हर शहर में कोई न कोई चर्चित और पवित्र मंदिर जरूर है।
देश के अन्य हिस्सों की तरह दक्षिण भारत को धार्मिक केंद्र माना जाता है। केरल से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक से लेकर आंध्र प्रदेश में ऐसे हजारों मंदिर हैं, जो करोड़ों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर भी देश के पवित्र और चर्चित मंदिरों में से एक है। यह सच है कि इस मंदिर का दर्शन करना कई लोगों के लिए सपना होता है, लेकिन यह मंदिर पिछले कई महीनों से विवादों में बीच में भी देखा गया है।
इस आर्टिकल में हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प और अनसुनी कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर को कई लोग तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां एक कुंड मौजूद है। कुंड को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु स्वामी पुष्करणी कुंड के किनारे निवास किए थे। यह कुंड आज भी मौजूद है और कुंड के पानी से ही मंदिर के सारे काम किए जाते हैं।
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लोगों का मानना है कि भगवान विष्णु की मूर्ति में लगे बाल असली है और यह बाल कभी भी उलझते नहीं है। मान्यता है कि यह बाल हमेशा मुलायम बने रहते हैं। कथा के अनुसार मूर्ति में लगे बाल को एक राजकुमारी ने अपने बाल दिए थे। हालांकि, कई लोगों का यह भी मानना है कि यह बाल कैसे असली है, यह बताना मुश्किल है।
तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि यहां सिर्फ भगवान विष्णु ही नहीं, बल्कि माता लक्ष्मी भी उनके ह्रदय में विराजमान रहती है, इसलिए बालाजी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की पवित्र परंपरा है। यहां भगवान विष्णु को नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के पर एक छड़ी मौजूद है। इस छड़ी को लेकर पौराणिक मान्यता है कि बाल्यावस्था में इस छड़ी से ही भगवान की पिटाई की गई थी। पिटाई होने से भगवान की ठोड़ी पर चोट लग गई थी, इसलिए उनकी ठोड़ी पर चंदन का लेप लगाया जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन माला, फूल, दूध, मक्खन, पवित्र पत्ते आदि चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ये सभी सामान एक गुप्त गांव से आता है, जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर है। लोक कथा के अनुसार जिस गांव से ये सभी सामान आते हैं उस गांव में बाहरी लोगों का जाना वर्जित है। यहां लोग नियम के साथ रहते हैं और महिलाएं सिले हुए कपड़े नहीं पहनती हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थित प्रतिमा एक विशेष पत्थर से बनी हुई है। मान्यता के अनुसार बालाजी की प्रतिमा से पसीना निकलता है। जब पसीना निकलता है, तो बूंदे स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। कहा जाता है कि पीठ जितनी बार साफ होता है, वहां हमेशा गीलापन ही रहता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में एक दीपक हमेशा जलते रहता है। लोक कथा के अनुसार इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता है। कई लोगों का यह भी मानना है कि इस दीपक को सबसे पहले किसने जलाया यह आज तक किसी को मालूम नहीं चला है।
तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर एक खास तरह का क पचाई कपूर लगाया जाता है। इस कपूर के बारे में कहा जाता है कि किसी भी पत्थर पर लगाने के बाद पत्थर में दादर पड़ जाते हैं, लेकिन भगवान बालाजी की मूर्ति पर इसका कोई असर नहीं होता है।
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