भारत की संस्कृति सिर्फ़ देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। देश के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक ऐसे लाखों मंदिर हैं जिसकी चर्चा दुनिया भर में है। भारत में मौजूद इन पवित्र मंदिरों में हर रोज़ लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
भारत के मध्य प्रदेश में भी एक ऐसा ही मंदिर जिसे कुबेर मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि धनतेरस या दिवाली के समय जो भी इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचता है उसके ऊपर धन की बारिश होती है।
इस लेख में हम आपको हिंदुस्तान के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में मौजूद इस पवित्र कुबेर मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
मध्य प्रदेश में किस जगह है कुबेर मंदिर?
जी हां, जिस कुबेर मंदिर के बारे में ज़िक्र कर रहे हैं वो मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच बेहद ही फेमस और पवित्र है। शायद आपको मालूम हो अगर नहीं मालूम है तो आपको बता दें कि मंदसौर को रावण का ससुराल भी कहा जाता है। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि रावण का ससुराल राजस्थान में था।
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कुबेर मंदिर का इतिहास
मंदसौर में स्थित कुबेर मंदिर का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। स्थानीय और अन्य कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण मराठा काल से पहले किया गया था। प्राचीन काल में यह मंदिर इस तरह प्रचलित था कि इस मंदिर पर कई बार मुगलों ने भी आक्रमण किया था और मंदिर को नुकसान पहुंचाया था।
कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का इतिहास 600 साल से भी प्राचीन है और जो भी भक्त धनतेरस और दिवाली पर यहां पूजा-पाठ करता है उसे अपार धन की प्राप्ति होती है।
कुबेर मंदिर की पौराणिक कथा
कुबेर मंदिर की पौराणिक कथा भी बेहद दिलचस्प है। कई लोगों का मानना है कि यह मंदिर बनाया नहीं गया था बल्कि, स्वाग लोक से उड़कर आया था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर परिसर की मिट्टी को लेकर जो भी भक्त तिजोरी में रखता है उसे धन की प्राप्ति होती है और जीवन भर कुबेर देवता की कृपा बनी रहती है।
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क्या सच में कुबेर देवता नेवले की सवारी करते थे?
इस प्राचीन मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कुबेर की पवित्र मूर्ति है। करीब 3 फीट ऊंची और पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए हर हजारों भक्त पहुंचते हैं। खासकर धनतेरस और दिवाली के यहां भक्तों भी भीड़ लगी रहती हैं।
कहा जाता है कि एक हाथ में धन धन की पोटली है अन्य हाथों में शास्त्र है। कुबेर देवता को लेकर यह मान्यता है कि वो नेवले की सवारी करते थे।(मंदिर में फूल की जगह चढ़ाई जाती है ढाई प्याला शराब)
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