Navratri 2022: इस प्राचीन मंदिर में फूल की जगह चढ़ाई जाती है ढाई प्याला शराब, जानें क्यों

भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां फूल नहीं बल्कि ढाई प्याला शराब चढ़ाई जाती है। आइए जानते हैं क्यों?

 

bhanwal mata temple in rajasthan

भारत की संस्कृति और अध्यात्म की चर्चा सिर्फ एक राज्य या शहर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में है। कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक ऐसे कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं जिनके बारे में हर रोज कुछ अलग सुनने को मिलता है।

राजस्थान में भी एक ऐसा ही मंदिर है जिकसी कहानी आजकल बहुत चर्चा में है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में बोला जा रहा है कि यहां फूल, लाल चुनरी के अलावा ढाई प्याला शराब भी चढ़ाई जाती है।

इस आर्टिकल में हम आपको इस मंदिर का इतिहास और क्यों शराब चढ़ाई जाती है? आदि सवालों का जबाब देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

मां भंवाल काली माता का मंदिर

history of bhanwal temple

जी हां, हम जिस मंदिर के बारे में जिक्र कर रहे हैं उस प्राचीन मंदिर का नाम 'मां भंवाल काली माता का मंदिर'। यह प्राचीन और पवित्र मंदिर राजस्थान के नागौर जिले स्थित है।

स्थानीय लोगों के बीच यह मंदिर बेहद ही पवित्र और लोकप्रिय है। नवरात्रि के दिनों में यहां हमेशा भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं। नवरात्रि में यहां अन्य शहर से मां भंवाली का दर्शन करने पहुंचते हैं।

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मां भंवाल काली माता का मंदिर का इतिहास

myth of bhanwal mata temple

मां भंवाल काली माता का मंदिर का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। जी हां, इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण किसी भगवान या राजा ने नहीं बल्कि डाकुओं के करवाया था। स्थानीय लोगों और मंदिर के शिलालेख के यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग सन 1380 के आसपास किया गया था।

मंदिर में देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमा के साथ बेहतरीन कारीगरी की गई है। कहा जाता है कि मंदिर के नीचे और ऊपर डाकुओं के लिए एक गुप्त रूम भी बनवाया गया था।(हर धर्म के लोग पहुंचते हैं इस मंदिर का दर्शन करने)

क्यों चढ़ाई जाती है ढाई प्याला शराब?

know about bhanwal mata temple

इस मंदिर में शराब चढ़ाने के प्रथा आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से है। कहा जाता है कि मंदिर में शराब किसी नशे या अपमान के रूप में नहीं बल्कि प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। लोगों को मानना है कि ढाई प्याला शराब मां काली ग्रहण करती है।

मान्यता है कि चांदी के प्याले में शराब भाकर देवी को प्रसाद करने का आग्रह करते हैं। मान्यता है कि शराब चढ़ाते ही गायब हो जाती है। यह प्रथा दिन में लगभग 3 बार किया जाता है।

मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में 3 बार ढाई प्याला शराब चढ़ाता है तो उसकी सभी मनिकमाना पूरी हो जाती है।

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मां भंवाल मंदिर की पौराणिक कथा

bhanwal mata temple in hindi

मां भंवाल काली माता का मंदिर की पौराणिक कथा भी बेहद दिलचस्प है। कई लोगों का मानना है कि यहां प्राचीन काल में एक पेड़ के नीचे से देवी स्वयं प्रकट हुई थी जिसके बाद डाकुओं ने निर्माण करवाया था।(इस मंदिर का द्वार साल में सिर्फ 1 दिन खुलता है)

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Image Credit:(@i.ytimg,blogspot)

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