भारत की संस्कृति और अध्यात्म की चर्चा सिर्फ एक राज्य या शहर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में है। कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक ऐसे कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं जिनके बारे में हर रोज कुछ अलग सुनने को मिलता है।
राजस्थान में भी एक ऐसा ही मंदिर है जिकसी कहानी आजकल बहुत चर्चा में है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में बोला जा रहा है कि यहां फूल, लाल चुनरी के अलावा ढाई प्याला शराब भी चढ़ाई जाती है।
इस आर्टिकल में हम आपको इस मंदिर का इतिहास और क्यों शराब चढ़ाई जाती है? आदि सवालों का जबाब देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
मां भंवाल काली माता का मंदिर
जी हां, हम जिस मंदिर के बारे में जिक्र कर रहे हैं उस प्राचीन मंदिर का नाम 'मां भंवाल काली माता का मंदिर'। यह प्राचीन और पवित्र मंदिर राजस्थान के नागौर जिले स्थित है।
स्थानीय लोगों के बीच यह मंदिर बेहद ही पवित्र और लोकप्रिय है। नवरात्रि के दिनों में यहां हमेशा भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं। नवरात्रि में यहां अन्य शहर से मां भंवाली का दर्शन करने पहुंचते हैं।
इसे भी पढ़ें:नवरात्रि की छुट्टियों में इस अलौकिक जगह आप भी घूमने पहुंचें
मां भंवाल काली माता का मंदिर का इतिहास
मां भंवाल काली माता का मंदिर का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। जी हां, इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण किसी भगवान या राजा ने नहीं बल्कि डाकुओं के करवाया था। स्थानीय लोगों और मंदिर के शिलालेख के यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग सन 1380 के आसपास किया गया था।
मंदिर में देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमा के साथ बेहतरीन कारीगरी की गई है। कहा जाता है कि मंदिर के नीचे और ऊपर डाकुओं के लिए एक गुप्त रूम भी बनवाया गया था।(हर धर्म के लोग पहुंचते हैं इस मंदिर का दर्शन करने)
क्यों चढ़ाई जाती है ढाई प्याला शराब?
इस मंदिर में शराब चढ़ाने के प्रथा आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से है। कहा जाता है कि मंदिर में शराब किसी नशे या अपमान के रूप में नहीं बल्कि प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। लोगों को मानना है कि ढाई प्याला शराब मां काली ग्रहण करती है।
मान्यता है कि चांदी के प्याले में शराब भाकर देवी को प्रसाद करने का आग्रह करते हैं। मान्यता है कि शराब चढ़ाते ही गायब हो जाती है। यह प्रथा दिन में लगभग 3 बार किया जाता है।
मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में 3 बार ढाई प्याला शराब चढ़ाता है तो उसकी सभी मनिकमाना पूरी हो जाती है।
इसे भी पढ़ें:वैष्णो देवी जा रहे हैं तो आसपास स्थित इन हिल स्टेशन्स पर भी घूमने ज़रूर पहुंचें
मां भंवाल मंदिर की पौराणिक कथा
मां भंवाल काली माता का मंदिर की पौराणिक कथा भी बेहद दिलचस्प है। कई लोगों का मानना है कि यहां प्राचीन काल में एक पेड़ के नीचे से देवी स्वयं प्रकट हुई थी जिसके बाद डाकुओं ने निर्माण करवाया था।(इस मंदिर का द्वार साल में सिर्फ 1 दिन खुलता है)
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे लाइक, शेयर और कमेंट्स ज़रूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit:(@i.ytimg,blogspot)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों