मन्नार की खाड़ी में स्थित, रामेश्वरम एक प्रसिद्ध द्वीप शहर है जो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मूल्य रखता है। किदवंतियों के अनुसार, यह वह स्थान है जहां भगवान राम ने राजा रावण के खिलाफ अपने अभियान के दौरान पड़ाव डाला था। यह शहर भारत के चार धामों में से एक है और इसलिए इसे देश में सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इस स्थान का अपना एक आध्यात्मिक महत्व है। यहां पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और भक्ति से सराबोर हो जाते हैं। इस शहर के मंदिर पर्यटकों को पर्याप्त आध्यात्मिक अवसर प्रदान करने के अलावा, दर्शनीय स्थलों की एक श्रृंखला भी प्रस्तुत करता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको रामेश्वरम में स्थित कुछ मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जहां पर आपको अपनी ट्रेवल बकिट लिस्ट में जरूर शामिल करना चाहिए-
रामेश्वरम में श्री रामनाथस्वामी मंदिर अपने शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति है और दुनिया में पाए जाने वाले बारह अद्वितीय ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर भारत के कुछ मंदिरों में से एक है जो पूरी तरह से द्रविड़ स्थापत्य शैली में बनाया गया है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, मंदिर परिसर में 112 तालाब हुआ करते थे, जिनमें से केवल 12 शेष हैं। मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। धार्मिक महत्व के अलावा, मंदिर बहुत ऐतिहासिक महत्व भी रखता है, और यह 12 वीं शताब्दी का है।
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धनुषकोडी मंदिर, रामेश्वरम के पास, धनुषकोडी शहर में स्थित है। मंदिर अब खंडहर की स्थिति में है लेकिन यह होरिज़ोन का एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। मंदिर का अपने समय में बहुत महत्व था और पूरे रामायण में इसका उल्लेख किया गया है। यह जगह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन जगह है जो कुछ महान दृश्यों को देखने के साथ-साथ शांति का आनंद लेना चाहते हैं।(बेहद खूबसूरत है रामेश्वरम का धनुषकोडी)
यह एक प्राचीन तीर्थ है जो लगभग 500 साल पहले रामेश्वरम के छोटे से शहर में बनाया गया था। मंदिर रामेश्वरम में धनुषकोडी में स्थित है और एक सुंदर समुद्र तट से घिरा हुआ है। मंदिर एक ऐसी जगह पर स्थित है जिसका उल्लेख रामायण में मिलता है। मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां हैं। यह विभीषण का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। स्थानीय लोगों द्वारा यह माना जाता है कि मंदिरों की पेंटिंग और दीवार में विभीषण के पट्टाभिषेकम के अंतिम संस्कार की कहानी है। एक और बात जो इस मंदिर को महत्वपूर्ण बनाती है कि यह एकमात्र मंदिर है जो धनुषकोडी में 1964 के चक्रवात से बच गया था।(ये है भारत का सबसे अनोखा रेल रूट)
पंचमुखी मंदिर भगवान राम की पांच मुख वाली मूर्ति के लिए जाना जाता है। यह स्थान किसी भी ’बाल ब्रह्मचारी’ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मूर्ति को एक बड़े सेन्थुराम पत्थर से पूरी तरह से उकेरा गया है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में यह पत्थर सोने से अधिक मूल्य रखता था। मूर्ति के अलावा, मंदिर में पत्थर भी हैं जिनका उपयोग राम सेतु बनाने के लिए किया गया था, जो भगवान राम और उनकी सेना द्वारा लंका पर आक्रमण करने के लिए इस्तेमाल किया गया पुल था।
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गंधमादन पर्वतम् मंदिर रामेश्वरम के पास एक पर्वत पर स्थित है। इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि लक्ष्मण के जीवन को बचाने के लिए राम ने हनुमान को औषधीय जड़ी-बूटियाँ लाने के लिए भेजा था। पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान ने तब पर्वत को लाकर इस स्थान पर ही रखा था। पहाड़ के ऊपर मंदिर में भगवान राम के पैरों के निशान हैं। मंदिर रामेश्वरम से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और कहा जाता है कि यह रामेश्वरम में सबसे ज्यादा देखने वाला प्वाइंट है।
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Image Credit:(@rameswaramtourism.com,www.templepurohit.com)
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