सोचिए जरा कितना खूबसूरत नजारा होता होगा उस जगह का जहां स्मुद्रों का संगम होता है। कन्याकुमारी ऐसी ही जगह है जहां खूबसूरत नजारों की कमी नहीं है। तमिलनाडु के दक्षिण तट पर बसा कन्याकुमारी हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम स्थल है।
इंडिया के टूरिस्ट्स प्लेस की लिस्ट में इस जगह का एक अलग ही महत्व है। दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता हैं। समुद्र बीच पर फैले रंग बिरंगी रेत इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। अगर आपने भी कन्याकुमारी के बारे में इतना जानने के बाद वहां जाने का मन बना लिया है तो आपको वहां की कुछ खास टूरिस्ट्स प्लेस के बारे में जरूर जान लेना चाहिए जिससे आपका क्न्याकुमारी ट्रिप हमेशा के लिए यादगार बन जाएगा।
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तिरुक्कुरुल की रचना करने वाले अमर तमिल कवि तिरूवल्लुवर की यह प्रतिमा टूरिस्ट्स को बहुत लुभाती है। 38 फीट ऊंचे आधार पर बनी यह प्रतिमा 95 फीट की है। इस प्रतिमा की कुल उंचाई 133 फीट है और इसका वजन 2000 टन है। इस प्रतिमा को बनाने में कुल 1283 पत्थर के टुकड़ों का उपयोग किया गया था। साथ ही यह प्रतिमा तिरुक्कुरल के 133 अध्यायों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी तीन अंगुलिया अरम, पोरूल और इनबम नामक तीन विषय अर्थात नैतिकता, धन और प्रेम के अर्थ को इंगित करती है।
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पदमानभापुरम महल की विशाल हवेलियां त्रावनकोर के राजा द्वारा बनवाई गई हैं। ये हवेलियां अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए जानी जाती हैं। कन्याकुमारी से इनकी दूरी 45 किमी है। यह महल केरल सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है।
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अगर आप क्न्याकुमारी जा रही हैं तो आपको अम्मन मंदिर जरूर जाना चाहिए। यह मंदिर मां पार्वती को समर्पित है और यह मंदिर तीनों समुद्रों के संगम स्थल पर बना हुआ है। यहां सागर की लहरों की आवाज स्वर्ग के संगीत की तरह सुनाई देती है। भक्तगण मंदिर में प्रवेश करने से पहले त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं जो मंदिर के बाई ओर 500 मीटर की दूरी पर है।
मंदिर का पूर्वी प्रवेश द्वार को हमेशा बंद करके रखा जाता है क्योंकि मंदिर में स्थापित देवी के आभूषण की रोशनी से समुद्री जहाज इसे लाइटहाउस समझने की भूल कर बैठते हैं और जहाज को किनारे करने के चक्कबर में दुर्घटनाग्रस्तर हो जाते हैं।
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कन्याकुमारी से 20 किमी दूर नगरकोल का नागराज मंदिर नाग देव को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु और शिव के दो अन्य मंदिर भी हैं। मंदिर का मुख्य द्वार चीन की बुद्ध विहार की कारीगरी की याद दिलाता है। अगर आप क्न्याकुमारी जाने क अप्लान बनाए तो उस लिस्ट में इस मंदिर को भी जरूर शामिल करें।
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क्न्याकुमारी और इसके आसपास कई खूबसूरत मंदिर है ही और साथ ही यहां एक बेहद ही खूबसूरत झरना है। कोरटालम झरना 167 मीटर ऊंचा है। इस झरने के जल को औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। यह कन्याकुमारी से 137 किमी दूरी पर स्थित है।
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समुद्र में बने इस स्थान पर बड़ी संख्या में टूरिस्ट्स आते है। इस पवित्र स्थान को विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने 1970 में स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बनवाया था। इसी स्थान पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था।
यहां आपको बता दें कि इस स्थान को श्रीपद पराई के नाम से भी जाना जाता है। इस स्मारक के विवेकानंद मंडपम और श्रीपद मंडपम नामक दो प्रमुख हिस्से हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर कन्याकुमारी ने भी तपस्या की थी। ऐसा कहा जाता है कि यहां कुमारी देवी के पैरों के निशान अभी भी हैं।
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