
भारत में घूमने के लिए एक से एक जगहें माैजूद हैं। कई लोगों काे पहाड़ों पर जाना पसंद होता है, तो कुछ को बीच पसंद आते हैं। ठंड के मौसम में लोग ट्रैकिंग करना पसंद करते हैं। बर्फीले पहाड़, बर्फ की सफेद चादर से ढके रास्ते, ठंडी हवाएं और शांत वातावरण मन को सुकून पहुंचाते हैं। भारत में ट्रैकिंग के कई ऑप्शंस हैं। हालांकि, एक ऐसा ट्रैक है, जिसे आपको अपनी लाइफ में एक बार जरूर करना चाहिए।
अगर आप ट्रैकिंग की शौकीन हैं या सिर्फ नेचर के बीच कुछ दिन बिताना चाहती हैं, तो उत्तराखंड की हर की दून घाटी (Har ki Dun Valley) आपके लिए किसी सपने से कम नहीं है। ये जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां हर कुछ कदम पर आपको ऐसा नजारा मिलेगा जो किसी पोस्टर या वॉलपेपर जैसा लगेगा। यहां जाने के लिए आपको अपना कैमरा तैयार रखना होगा। हम आपको इस जगह के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं-
हर की दून एक ‘क्रेडल-शेप्ड’ यानी पालने जैसी वैली है, जो गोंविंद बल्लभ पंत नेशनल पार्क के बीच बसी हुई है। ये जगह समुद्र तल से करीब 3566 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और उत्तरकाशी जिले के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में आती है। चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियां, हरे-भरे जंगल और शांत वातावरण इसे जन्नत जैसा बनाते हैं।
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कहा जाता है कि यही वो जगह है जहां पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर स्वर्गारोहिणी पर्वत से स्वर्ग गए थे। इस वजह से इस वैली को स्वर्ग का रास्ता भी कहा जाता है। यहां के रास्ते में आने वाले गांव जैसे ओसला, गंगाड़ और धातमीर करीब 3000 साल पुराने बताए जाते हैं। यहां के लोग आज भी पारंपरिक जीवन जीते हैं और आधुनिक तकनीक से काफी दूर हैं।
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हर की दून में नेचर के हर रंग देखने को मिलते हैं। सर्दियों में ताे ये जगह बर्फ से ढक जाती है, तो गर्मियों में यहां की हरियाली और फूलों से भरे मैदान दिल जीत लेते हैं। अगर आप बर्फीले ट्रैक का मजा लेना चाहती हैं, ताे सर्दी का समय सबसे अच्छा है, जबकि नेचर लवर गर्मियों में आ सकते हैं। ये जगह गोंविंद पशु विहार वन्यजीव अभयारण्य के अंदर आती है, इसलिए यहां ट्रैकिंग के दौरान पक्षियों और जंगली जानवरों की झलक भी देखने को मिल सकती है।
हर की दून का ट्रैक आसान माना जाता है, इसलिए नए ट्रैकर्स के लिए भी ये एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। रास्ते में धर्कोट से गंगाड़ तक का सफर बेहद सुंदर है। घने जंगलों, थामसा नदी के किनारे और लकड़ी के पुराने पुलों से गुजरता हुआ ये ट्रैक आपको किसी फिल्म के सेट जैसा अहसास कराता है।
क्लकत्याधार (Kalkatiyadhar) नाम की एक बड़ी वैली यहां की खास पहचान है। ये घास का मैदान इतना बड़ा और सुंदर है कि यहां से दिखने वाली स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रृंखला का नजारा मन मोह लेता है। ओसला गांव में मौजूद दुर्योधन मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यहां के लोग मानते हैं कि वे महाभारत काल में कौरवों के सैनिकों के वंशज हैं। आप यहां भी जा सकती हैं।
आपको बता दें कि हर की दून ट्रैक पर कई ऐसी जगहें हैं, जो कम जाने जाते हैं, लेकिन बेहद सुंदर हैं, जैसे देवसू थाच (Devsu Thatch)। ये घास का एक बड़ा मैदान है जो वसंत के मौसम में रंग-बिरंगे फूलों से भर जाता है। यहां से पूरी घाटी का नजारा किसी पेंटिंग जैसा लगता है। अगर आप ट्रैकिंग पर जा रही हैं, तो इसे भी देख सकती हैं।
अगर आप हर की दून वैली में ट्रैकिंग करना चाहती हैं, तो दिसंबर से मार्च तक का समय बेस्ट होता है। इस दौरान बर्फ से पहाड़ ढके रहते हैं। नजारा एकदम स्वर्ग सा लगता है। यहां आपको छह से सात दिन का समय लग सकता है। आप यहां ट्रैकिंग के अलावा कैंपिंग और फोटोग्राफी भी कर सकती हैं।
हर की दून वैली तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी बड़ा शहर देहरादून है।
अगर आप भीड़-भाड़ से दूर, पहाड़ों की गोद में शांति और सुकून की तलाश में हैं, तो हर की दून आपके लिए एक परफेक्ट जगह है। यहां के नजारे इतने खूबसूरत हैं कि हर 100 मीटर पर कैमरा निकालने का मन करेगा। ये जगह सच में दून की गोद में छिपा हुआ स्वर्ग है। यहां चारों ओर बस सुंदरता ही सुंदरता बिखरी हुई है।
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