भारत में भोजन यहां की संस्कृति का अहम हिस्सा है। हर कोस में खाने की संस्कृति बदल जाती है और हर कोस जाने पर हमें स्वादिष्ट भोजन ही नहीं, मिठास से भरपूर मिठाई का भी स्वाद लेने को मिलता है। आज हम इस लेख में झारखंड के एक प्रसिद्ध मिठाई के बारे में आपको बताएंगे, जिसमें खीर तो नहीं, लेकिन इसकी मिठास खीर की कमी को पूरी करती है। इस मिठाई का नाम है खीर मोहन, बता दें कि अब यह मिठाई विलुप्त होने के कगार पर है। चलिए इस लेख में इस मिठाई के बारे में जानते हैं, विस्तार से।
खीर मोहन को लेकर कहा जाता है कि इस मिठाई का नाम इस मिठाई को बनाने वाले हलवाई के नाम पर रखा गया था। बिहार और अब झारखंड के कुछ हिस्सों में इस मिठाई की प्रसिद्धि की बात ही कुछ और है। इस मिठाई को पहली बार बिहार शरीफ से कुछ दूरी पर स्थित देशना गांव में बनाया गया था। यह नालंदा का एक ऐसा गांव है, जहां यह मिठाई ही नहीं एक उर्दू लाइब्रेरी बहुत मशहूर है, जहां देश विदेश के महान शख्सियत आ चुके हैं। आजादी के पहले देशाना गांव के मोहन हलवाई ने इस मिठाई को बनाई थी, जिसे खीर के साथ जोड़कर अपना नाम दिया था। धीरे-धीरे गांव में इस मिठाई की डिमांड बढ़ने लगी, गांव से आस पास और फिर शहरों में इस मिठाई की डिमांड बढ़ी और सालों बाद इस मिठाई को बिहारऔर अब झारखंड के प्रसिद्ध मिठाई में से एक कहा गया।
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