Japan Airlines Flight 350 Plane Crash Due To Mentally Unstable Captain Seiji Katagiri: दुनियाभर में कई प्लेन क्रैश हो चुके हैं। प्लेन क्रैश के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे ही एक बार जापान एयरलाइंस का एक प्लेन करीब पांच घंटे की उड़ाने पूरी होने के बाद लैंडिंग के लिए पूरी तरह से तैयार था। को-पायलट अपनी लैंडिंग की तैयारी में था। इसी दौरान कप्तान ने एक ऐसा फैसला लिया है कि जिससे प्लेन में बैठे 174 लोगों की जान आफत में आ गई। जैसे ही कप्तान के मंसूबों के बारे में फ्लाइट के फर्स्ट ऑफिसर और फ्लाइट इंजीनियर को पता लगा, तो सभी हैरान रह गए। जानिए आखिर उस दिन क्या हुआ और उन 174 लोगों के साथ क्या हुआ? क्या कप्तान अपने मसूबों में कायम हुआ?
जापान एयरलाइंस का है मामला
यह कहानी जापान एयरलाइंस की फ्लाइट 350 से जुड़ा है। 9 फरवरी 1982 को कुछ ऐसा हुआ, जिसे कोई नहीं भूल पाया। जापान एयरलाइंस की फ्लाइट 350 ने फुकुओका एयरपोर्ट से टोक्यो ने हमेशा की तरह उड़ान भरी थी। किसी ने सोचा भी नहीं था कि उनके साथ क्या होने वाला है। उस वक्त फ्लाइट में 166 पैसेंजर और 8 क्रू-मेंबर्स मौजूद थे। सभी यात्री बेफिक्र होकर अपने सफर को एंजॉय कर ही रहे थे। उस दौरान फ्लाइट की कमान प्लेन के कप्तान 35 वर्षीय सेइजी कटागिरी और फर्स्ट ऑफिसर 33 वर्षीय योशिफुमी इशिकावा के हाथ में थी। इस दौरान उनके साथ कॉकपिट में फ्लाइट इंजीनियर योशिमी ओजाकी भी मौजूद था।
लैंडिंग ने पहले पॉयलेट ने की हरकत
अपनी 5 घंटे की उड़ान को पूरा करन के बाद प्लेन प्लेन टोक्यो एयर स्पेस में लैंटिंग के लिए लगभग तैयार था। एटीसी से इजाजत मिल चुकी थी। प्लेन का डिसेंडिंग प्रॉसेस भी शुरू हो चुका था। तभी हवाई जहाज के कप्तान सेइजी कटागिरी के दिमाग में कुछ खतरनाक आया। लैंडिंग में बस कुछ ही मिनट बाकी थे, तभी कप्तान सेइजी ने फ्लाइट का ऑटो पायलट सिस्टम डिएक्टिवेट कर दिया। साथ ही उन्होंने थ्रस्ट रिवर्सर को एक्टिव कर दिया था।
फर्स्ट ऑफिसर और फ्लाइट इंजीनियर ने संभाली कमान
फर्स्ट ऑफिसर योशिफ़ुमी इशिकावा और फ्लाइट इंजीनियर योशिमी ओजाकी ने मौका देखते ही प्लेन को कंट्रोल करने की कोशिश की। हालांकि, दोनों ऐसा कर नहीं पाए। तमाम कोशिशें करने के बाद प्लेन हनेडाएयरपोर्ट के रनवेसे 510 मीटर पहले ही डूब गया। इस हादसे के दौरान DC-8 प्लेन के कॉकपिट का कुछ हिस्सा फ्यूज़लेज से अलग हो गया। जानकर किए गए इस क्रैश में 174 लोगों में से 24 लोगों की मौत हो गई थी। बचे हुए पैसेंजर को रेस्क्यू बोट से बचाया गया।
मानसिक रोगी था कैप्टन
रेस्क्यू बोट में चढ़ने वाला पहला शख्स कोई और नहीं बल्कि लेन का कप्तान कटागिरी ही था। इंवेस्टिगेशन में पता लगा कि कटागिरी मानसिक तौर पर बीमार था। इसी कारण उसे दुर्घटना के लिए दोषी नहीं बनाया गया।
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Image Credit: Meta AI
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