मेरी दादी खाया करती थीं पान, लेकिन जब भी उनसे पान मांगती थी तो वो मना कर देती थीं। मगर अब तो बच्चा-बच्चा पान खा रहा है, वो भी फायर पान से लेकर तंबाकू वाला पान। हालांकि, भारत एक ऐसा देश है जहां पर मीठा पान खाना पसंद किया जाता है। इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है, जिसमें लोग अपनी पसंद के हिसाब से चीजें ढलवाते हैं।
कुछ लोग तो ऐसे हैं तो मीठा फायर पान खाना पसंद करते हैं, जिसमें पान के ऊपर आग लगाई जाती है और फिर खिलाया जाता है। मगर क्या आपने कभी आग वाले पान का स्वाद चखा है? अगर आपको ये लगता है कि इस पान को खाने से आपका मुंह जल जाएगा या आप ये सोचती है कि पान पर आग कितनी देर तक जलती है और कैसे जलती है?
इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए हमारा पूरा लेख पढ़ें, क्योंकि इसमें आपको सभी सवालों के जवाब आसानी से मिल जाएंगे।
पान एक तरह का पत्ता होता है, जिसका सेवन मुगल शासकों के जमाने से किया जा रहा है। कहा जाता है कि मुगल काल में पान में चूना, इलायची और लौंग जैसी चीजों को मिलाकर नया और देसी स्वाद दिया जाता है।
खाने के अलावा, मुगल काल में पान का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए भी किया गया था। साथ ही, नूरजहां भी अपने चेहरे पर पान का इस्तेमाल करती थीं, जिसे सुंदरता में निखार आता था।
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इंडिया के कई शहरों में ये पान सर्व किया जाता है। आग की सुलगती लपटों से बना ये पान इन दिनों इंडिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। इसे हर उम्र के लोग खा सकते हैं। इसे बनाने का तरीका भी नॉर्मल पान के तरीके की तरह ही होता है, लेकिन इसे खास बनाती है इस पर लगने वाली आग।
मगर हैरानी की बात तो यह है कि आग को मुंह के अंदर लेने के बाद भी गर्माहट या फिर जलने का एहसास नहीं होता है। यही वजह है कि इसे हर उम्र के लोग खाना पसंद करते हैं, अगर आपने अभी तक ट्राई नहीं किया है तो एक बार जरूर करें। (बस 10 मिनट में छीलें मटर)
देखिए सबसे पहले पान को बनाया जाता है और फिर इसपर आग लगाई जाती है। आग लगाने के बाद पान वाला इसे हमारे मुंह के अंदर डाल देता है, ताकि हमारे हाथ न जलें। कहा जाता है कि पान में आग लगाने के लिए चिंगारी का इस्तेमाल किया जाता है या पान में कैल्शियम कार्बाइड मिलाया जाता है।
जब कैल्शियम कार्बाइड यह नमी के संपर्क में आता है, तो यह एसिटिलीन गैस पैदा करता है जिससे एक छोटी-सी लौ पैदा हो जाती है। हालांकि, इसमें कैल्शियम कार्बाइड का ध्यान रखना होता है, अगर ज्यादा कैल्शियम कार्बाइड डल गया तो यह नुकसानदायक साबित हो सकता है।
अगर आप यह सोच रहे हैं कि पान मुंह में जाने के बाद भी जलता रहता है तो ऐसा नहीं है क्योंकि पान की लपटे सिर्फ 2-3 सेकेंड के लिए ही रहती है। यानी जब तक पान बनाने वाले भईया इसे बनाकर तैयार करते हैं और आपके मुंह में डालते हैं तब तक आग मुंह में जाते ही बुझ जाती है। (7 तरह के होते हैं ड्रिंक्स के गिलास)
वैसे ही हम आपको कई बार बता चुके हैं कि पान के पत्ते की तासीर ठंडी होती है। इसलिए ये आपके digestion के लिए भी अच्छा होता है और मुंह में डालते ही इसकी आग बुझ जाती है और पान का ठंडा स्वाद ही आपके मुंह में घुल जाता है।
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फायर पान पर लगाई गई आग बहुत हल्की होती है, जो मुंह में जाते ही बुझ जाती है। इससे आपके मुंह में कोई तकलीफ नहीं होती, बल्कि ये हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद है। साथ ही, इसमें इस्तेमाल की गई लौंग गले को ठंडा रखने का भी काम करती है।
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