दिल वालों का शहर दिल्ली पूरी दुनिया में मशहूर है। राजधानी का इतिहास तो शायद आपको पता ही होगा। पौराणिक कथाओं में इसे इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि पांडवों द्वारा इस नगरी को बसाया गया था। दिल्ली का इतिहास भी बहुत रोचक है। अमूमन दिल्ली की सैर पर आप निकलें तो मुख्य टूरिस्ट प्लेसेस घूमने में ही आपको एक दिन से ज्यादा का समय लग जाएगा। अब अगर इसमें दिल्ली-एनसीआर की जगहों को मिला लिया जाए, तो आप खुद ही समझदार हैं।
इस शहर में कई खूबियां हैं। दिल्ली सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि कई शहरों का समूह भी है। एक अलग राज्य भी है। तो चलिए आज दिल्ली के बारे में ही कुछ रोचक बातें जान लें।
जैसा की हमने बताया दिल्ली पहले इंद्रप्रस्थ हुआ करती था। कई इतिहासकार ऐसा दावा करते हैं कि 800BC में गौतम वंश के राजा ढिल्लू ने इस शहर पर कब्जा कर लिया। उसके बाद से इसका नाम ढिल्लू पड़ गया जो आगे बढ़ते-बढ़ते दिल्ली हो गया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स यह भी दावा करती हैं कि दिल्ली का नाम बदलने के पीछे तोमर वंश के राजा धव का हाथ था। उन्होंने इस इलाके का नाम ढीली रख दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि किले का एक स्तंभ ढीला था। यही शब्द बाद में दिल्ली हो गया।
ऐसी ही एक और कथा है। महाराज पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया था। दिल्ली में तोमरों का शासनकाल 900-1200 ईस्वी तक माना जाता है। दिल्ली या दिल्लीका शब्द का प्रयोग उदयपुर के शिलालेखों में भी पाया गया था। ये शिलालेख 1170 ईस्वी के माने जाते हैं। राजकुमारी संयोगिता के पिता से युद्ध कर महाराज पृथ्वीराज चौहान ही दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट बने थे।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि दिल्ली का नाम फारसी शब्द दहलीज या देहली से बना है। शुरुआत में दिल्ली को ही भारत की दहलीज माना जाता था। दावे तो कई हैं, लेकिन सभी का निष्कर्ष एक ही है। दिल्ली का नाम ऐसे ही दिल्ली पड़ गया।
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दिल्ली का आज जो हम स्वरूप देख रहे हैं वो खिलजी, तुगलक, सैयद, मुगल आदि वंशों के बाद बना है। इसे कई बार उजाड़ा गया और फिर बसाया गया। मुगलों के काल में हुमायूं ने दिल्ली जीती और अकबर ने अपनी राजधानी आगरा बना ली। इसके बाद दिल्ली मुगलों के हाथ से छिन गई, लेकिन 17वीं सदी में शाहजहां ने इसे फिर बसाया। तब इसे शाहजहानाबाद नाम दिया गया। शाहजहानाबाद में कई किले और दरवाजे बनवाए गए। मुगलों की कलाकृतियां आज भी देखने को मिलती हैं। जैसे शाहजहानाबाद का किला जिसे आज हम दिल्ली का लाल किला कहते हैं।
दरअसल, शाहजहानाबाद ही पुरानी दिल्ली है। वह इलाका जिसे शाहजहां ने बसाया था। 1638 के बाद मुगलों की राजधानी के तौर पर पुरानी दिल्ली का ही नाम लिया जाता था।
दिल्ली एक शहर से ज्यादा एक प्रदेश या राजधानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दिल्ली तीन तरफ से हरियाणा से घिरा हुआ है और इसके पूर्व में उत्तर प्रदेश है जो नोएडा और गाजियाबाद के रूप में आप देखते हैं। दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 46,208 वर्ग किलोमीटर है।
दिल्ली राज्य में 9 जिले हैं। इन 9 जिलों में से एक है नई दिल्ली जिसे भारत की पॉलिटिक्स का गढ़ माना जाता है। इसकी आधारशिला 1911 में दिल्ली दरबार के दौरान ब्रिटिश राजा जॉर्ज फिफ्थ द्वारा रखी गई थी। ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने यहां की इमारतों को डिजाइन किया था। नई राजधानी का उद्घाटन 13 फरवरी 1931 में हुआ था। इस दौरान वायसराय और गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन मौजूद थे।
कई लोगों को लगता है कि नई दिल्ली का मतलब है नई इमारतें, लेकिन यह बिल्कुल गलत है। नई दिल्ली को दरअसल नई राजधानी के तौर पर बसाया गया था। नई दिल्ली में ही इंडिया गेट, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, जंतर-मंतर, लोधी गार्डन, कनॉट प्लेस, अक्षरधाम, राजपथ, सेंट्रल विस्टा, म्यूजियम, सुप्रीम कोर्ट आदि मुख्य इमारतें हैं। आपको शायद पता ना हो, लेकिन नई दिल्ली का क्षेत्रफल सिर्फ 42.7 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। फिर भी यह एक अलग शहर नहीं पूरा का पूरा जिला है।
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1985 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम के अनुसार दिल्ली के आस-पास के कुछ जिलों को दिल्ली-नेशनल कैपिटल रीजन का हिस्सा बनाया गया। वैसे तो अधिकतर लोग गुड़गांव और नोएडा को ही एनसीआर का हिस्सा मानते हैं, लेकिन आपको बता दूं कि एनसीआर रीजन में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई जिले शामिल हैं।
हरियाणा के 14 जिले फरीदाबाद, गुरुग्राम, नुह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के आठ जिले मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, शामली और मुजफ्फरनगर शामिल है।
राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर शामिल हैं।
उम्मीद है कि अब आपको दिल्ली के बारे में काफी कुछ पता हो गया होगा। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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