कभी शिक्षा का केंद्र रहा नालंदा अपने बौद्ध स्थलों और स्मारकों के लिए जाना जाता है। इतिहास प्रेमियों के लिए नालंदा घूमने की एक बेहतरीन जगह है। यह कई शासकों और बौद्ध सम्राटों के शासनकाल के दौरान फला-फूला। यहां पर आपको कई प्राचीन स्तूप, मठ, मंदिर और चैत्य देखने को मिलेंगे जिन्हें गुप्त राजाओं, अशोक और हर्षवर्धन द्वारा बनाया गया था।
नालंदा वास्तुकला के साथ-साथ ऐतिहासिक संरचनाओं से भरा हुआ है। जब आप नालंदा घूमने के लिए आते हैं तो यह स्थान आपको बिल्कुल भी निराश नहीं करता है। खासतौर से, अगर आपका इतिहास से कुछ अधिक लगाव है तो आपको यहां पर ऐसी कई संरचनाएं मिलेंगी जो आपको वापिस अतीत के उन्हीं गलियारों में ले जाएंगी। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको नालंदा में घूमने की कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें इतिहास प्रेमियों को एक बार जरूर देखना चाहिए-
1917 में स्थापित इस म्यूजियम में नालंदा यूनिवर्सिटी साइट से खुदाई की गई कलाकृतियां हैं। यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। इस म्यूजियम का मुख्य आकर्षण बुद्ध और बोधिसत्वों की मूर्तियां है। यहां पर रखे सिक्के, मिट्टी के बर्तन और शिलालेख, नालंदा के जीवन और समय के बारे में जानकारी देते हैं।
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नालंदा को शिक्षा का केन्द्र माना जाता है। 5वीं शताब्दी ई. में स्थापित नालंदा यूनिवर्सिटभ् दुनिया के पहले रेसिडेंशियल यूनिवर्सिटी में से एक थी। यह शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था और पूरे एशिया से छात्रों और विद्वानों को आकर्षित करता था। आज यहां पर इसके खंडहर मौजूद हैं। इन खंडहरों में स्तूप, मंदिर, छात्रावास, ध्यान कक्ष और कक्षाएं शामिल हैं। यहां के मठ और कक्षाएं इस प्राचीन यूनिवर्सिटी के लेआउट और वास्तुकला को प्रदर्शित करते हैं।
अगर आप इतिहास के शौकीन है तो आपको नव नालंदा महाविहार अवश्य जाना चाहिए। प्राचीन शिक्षा के केंद्र को पुनर्जीवित करने के लिए 1951 में स्थापित यह एक आधुनिक संस्थान है। यह बौद्ध धर्म के आधुनिक केंद्र के रूप में निर्मित है। यह आज प्राचीन पाली लिपि और बुद्ध धर्म से संबंधित शिक्षा प्रदान करता है। यह बौद्ध ग्रंथों और पांडुलिपियों के विशाल संग्रह वाला पुस्तकालय है, जो आपको प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति में शोध के अवसर प्रदान करता है। इतिहास के शौकीनों और खोजकर्ताओं के लिए, यह नालंदा में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
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यह सूर्य देवता को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास स्थित है। इसमें विभिन्न बौद्ध और हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर हैं। मंदिर में देवी पार्वती की पांच फ़ीट ऊंची मूर्ति भी है। इस मंदिर में हर साल दो बार लोकप्रिय छठ पूजा आयोजित की जाती है और इसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं। यूनिवर्सिटी के समय में पूजा स्थल के रूप में मंदिर होने के कारण इसका अपना ऐतिहासिक महत्व है।
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Image Credit- wikipedia
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