मथुरा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है और वृंदावन वह स्थान है जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था। देशभर में जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास मौके पर लगभग हर कोई चाहता है कि वह मथुरा-वृंदावन घूमने जाए। लेकिन ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलने की वजह से यात्रा का प्लान नहीं बना पाता। लेकिन आप अपनी 1 दिन की छुट्टी में भी यहां घूम कर वापस आ सकते हैं।
बस आपको कुछ ऐसे ही मंदिर में दर्शन का प्लान बनाना चाहिए, जहां दर्शन करना जरूरी है। अगर आप हर एक मंदिर में दर्शन करने के बारे में सोचेंगे, तो एक दिन में आप ट्रिप पूरा नहीं कर पाएंगे। आज के इस आर्टिकल में हम आपको 3 ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां आपको जाना चाहिए।
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को उनके बाल स्वरूप में पूजा जाता है। ऐसे में जन्माष्टमी पर इस मंदिर में दर्शन करने जाने का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। बांके बिहारी मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर और आकर्षक है। मंदिर के अंदर की सजावट और भगवान की मूर्ति देखने के बाद आप समझ जाएंगे कि आखिर क्यों मथुरा-वृंदावन देशभर में श्री कृष्ण के दर्शन के लिए अच्छी जगह है।
यह मंदिर भक्ति और प्रेम का प्रमुख केंद्र है। यहां आने वाले भक्तों का उद्देश्य भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करना होता है। बांके बिहारी मंदिर में हर साल जन्माष्टमी, होली, राधाष्टमी और झूलन यात्रा जैसे त्योहारों पर भीड़ बहुत ज्यादा देखने को मिलती है।
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प्रेम मंदिर, वृंदावन
प्रेम मंदिर वृंदावन का एक और भव्य और सुंदर मंदिर है। यहां आने वाले लोग, इस मंदिर को देखे बिना वापस नहीं जाते। यहाँ का वातावरण लोगों को श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की महिमा का अनुभव कराता है। प्रेम मंदिर में नियमित रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह वृंदावन के सबसे सुंदर मंदिर में से एक माना जाता है।
यहां कीर्तन, भजन, और प्रवचन जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। प्रेम मंदिर का परिसर बहुत ही विशाल और सुंदर है। यहां विभिन्न बगीचे, फव्वारे, और जलकुंड हैं, जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। अगर आप एक दिन के ट्रिप पर जा रहे हैं, तो इस मंदिर को देखे बिना वापस न आएं।
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द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
यहां भगवान को राजा के रूप में पूजा जाता है। 'द्वारकाधीश' का अर्थ है 'द्वारका का राजा'। द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य और सुंदर है। खास त्योहारों पर मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और यहां भव्य झांकियों, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। मंदिर के आसपास का क्षेत्र शांतिपूर्ण और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है। ऐसे लगता है, जैसे श्री कृष्ण यहीं पर आज भी है।
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image credit- freepik
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