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Shardiya Navratri 2023: माता का अनोखा मंदिर, यहां फूल-माला नहीं देवी को चढ़ाया जाता है पत्थर

इस नवरात्रि आप माता रानी के एक ऐसे स्वरूप के दर्शन के लिए जा सकती हैं, जहां माता को प्रसन्न करने के लिए लोग पत्थर-कंकड़ चढ़ाते हैं।
Editorial
Updated:- 2023-10-10, 11:53 IST

देशभर में माता के ऐसे कई अनोखे मंदिर हैं, जिनका इतिहास आपको हैरान कर देगा। नवरात्रि का पर्व नजदीक है, इसलिए लोग माता के दर्शन के लिए जगह-जगह मंदिरों में जाते हैं। माता को फूल-प्रसाद, लाल चुनरी और श्रृंगार की चीजें चढाई जाती है।

लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में  बताने वाले हैं, जहां माता को प्रसाद के तौर पर लोगों द्वारा पत्थर चढ़ाया जाता है। यह सुनकर आपको काफी अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सच है। 

क्यों चढ़ाया जाता है माता को पत्थर?

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यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में स्थित है। मंदिर को वनदेवी (Vandevi Mandir) नाम से जाना जाता है। यहां माता को पत्थर चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी बताई जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि देवी को खेतों में मिलने वाला गोटा पत्थर काफी पसंद होता है। 

इसलिए उन्हें प्रसाद की जगह यह पत्थर चढ़ाया जाता है। सदियों से लोग माता को खेतों में मिलने वाले इस पत्थर को चढ़ाते आ रहे हैं।

माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से माता को यह पत्थर चढ़ाता है, देवी उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यहां आने वाले भक्त माता को 5 पत्थर चढ़ाकर आर्शिवाद लेते हैं। यह प्रथा आज भी चलती आ रही है। (वैष्णो देवी माता की रहस्यमयी कहानियां)

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मंदिर का इतिहास

यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि मंदिर का इतिहास 100 साल पूराना है। कोई नहीं जानता कि आखिर माता की यह मूर्ति कहां से आईं।

माना जाता है कि पहले यहां जंगल था लेकिन जह गांव का निर्माण हुआ, तो लोगों ने  पेड़ के नीचे रखी प्रतिमा के पास ही छोटा सा मंदिर का निर्माण कर दिया। (400 साल पुराने मंदिर का रहस्य)

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अनोखा मंदिर

इसी तरह देशभर में ऐसे अनेकों मंदिर हैं, जहां माता को प्रसाद के तौर पर फूल-माला की जगह अलग-अलग चीजें चढ़ाई जाती है। जैसे राजस्थान के नागौर जिले में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जहां माता को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाए जाने की प्रथा है।

इतना ही नहीं यहां खास बात यह है कि देवी को ढाई प्याला शराब ही चढ़ाया जाता है। यदि इस प्याले में थोड़ा भी प्रसाद कम होता है तो माता इसे ग्रहण नहीं करती हैं।

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Image Credit-Freepik

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